DNA Analysis: अगले 4 महीने में तैयार हो जाएगा भारत का 'नया संसद भवन', सम्राट अशोक की इस निशानी से जुड़ा है खास कनेक्शन
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DNA Analysis: अगले 4 महीने में तैयार हो जाएगा भारत का 'नया संसद भवन', सम्राट अशोक की इस निशानी से जुड़ा है खास कनेक्शन

New Parliament Building: देश के गौरवशाली इतिहास में 4 महीने बाद एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा, जब नवंबर में नए संसद भवन का उद्घाटन होगा. इस नए संसद भवन का सम्राट अशोक से भी दिलचस्प कनेक्शन होगा. 

DNA Analysis: अगले 4 महीने में तैयार हो जाएगा भारत का 'नया संसद भवन', सम्राट अशोक की इस निशानी से जुड़ा है खास कनेक्शन

DNA on New Parliament Building: प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर लगे 20 फीट ऊंचे अशोक स्तम्भ का अनावरण किया. इस विशाल अशोक स्तम्भ का वज़न 9 हज़ार 500 किलोग्राम है, जो कांस्य से बनाया गया है. उसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. इसके अलावा इस अशोक स्तम्भ की नींव को मजबूती देने के लिए लगभग साढ़े 6 हज़ार किलोग्राम वाले स्टील की एक संचरना का भी निर्माण किया गया है. इसके अनावरण के साथ ही नए भारत के इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत हो गई है. 

गौरवशाली भारत का अपना संसद भवन

इस दिन का महत्व शायद बहुत सारे लोगों को समझ में नहीं आ रहा होगा. लेकिन इस अवसर पर भारत के लोकतंत्र का Reset बटन दबाया जा सकता है और गुलामी की यादों को Delete करके राष्ट्रवाद के नए अध्याय की शुरुआत की जा सकती है. यानी ये देश के नव निर्माण का मौका होगा. इस मौके पर आपके मन में वही भावनाएं और वही उत्साह होना चाहिए, जो किराए के मकान से अपने खुद के घर में गृह प्रवेश के दौरान होता है. आपको किराए के मकान में रहते रहते उससे कितना भी लगाव हो जाए..लेकिन अपना घर अपना ही होता है. नए संसद भवन का निर्माण पूरा होते ही भारत अपने खुद के घर में गृह प्रवेश कर पाएगा.  

वर्तमान संसद भवन के जरिए हमने आज़ादी के बाद अपना व्यक्तित्व और चरित्र तय किया था, इसके जरिए हमने ये भी तय किया था कि एक देश के तौर पर हमें कहां जाना है, क्या करना है, कैसे करना है? आजाद भारत के निर्माताओं ने देश को लेकर बहुत सारे सपने देखे थे और सोचा था कि हमारा देश विकास और नैतिकता के नए आयाम छूएगा. लेकिन अफसोस ये है कि समय के साथ साथ हम पतन के रास्ते पर आगे बढ़ गए . इसीलिए हम कह रहे हैं नए संसद भवन का निर्माण नई शुरुआत का एक मौका है और इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया जाना चाहिए .

सम्राट अशोक का स्तंभ बनेगा मुकुट

सम्राट अशोक ने भारत के विभिन्न हिस्सों में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तंभों का निर्माण कराया और बुद्ध के उपदेशों को इन स्तंभों पर शिलालेख के रुप में उत्कीर्ण कराया. अशोक स्तम्भ भी इन्हीं में से एक है. जिसका निर्माण 250 ईसा पूर्व सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ में हुआ था. इस स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं और सभी की पीठ एक दूसरे से लगी हुई है. ये भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह है, जिसे 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था, जब देश का संविधान लागू हुआ था. अशोक स्तम्भ अब देश के नए संसद भवन (New Parliament Building) और भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती का भी प्रतीक चिन्ह बन जाएगा. इसलिए अब आपको नए संसद भवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं.

सरकार ने नवम्बर 2022 तक नए संसद भवन के निर्माण का लक्ष्य रखा है. उम्मीद है कि 2022 में संसद के शीत कालीन सत्र की कार्यवाही नए संसद भवन में ही होगी. नया संसद भवन त्रिभुज यानी Triangle के आकार का होगा, जो 64 हजार 500 वर्ग मीटर इलाके में फैला होगा. जबकि मौजूदा संसद भवन गोलाकार है, जो 47 हजार 500 वर्ग मीटर इलाके में फैला है.

संसद सदस्यों के बैठने की ज्यादा सीटें

नए संसद भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. जबकि मौजूदा लोकसभा 552 सदस्यों के बैठने की ही व्यवस्था है. इसी तरह नए संसद भवन में राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे, जबकि मौजूदा राज्य सभा में 245 सीटें हैं.

वर्ष 1951 में जब भारत में पहली बार लोक सभा के चुनाव हुए थे, उस समय देश में 36 करोड़ की आबादी पर लोक सभा की कुल 489 सीटें थीं. इस हिसाब से एक सांसद औसतन साढ़े सात लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता था. लेकिन आज देश में 135 करोड़ की आबादी पर लोक सभा की सिर्फ़ 543 सीटें हैं. इस हिसाब से एक सांसद औसतन 25 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है.

971 करोड़ रुपये आएगा बिल्डिंग का खर्च

ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्ष 1976 के बाद से देश में परिसीमन ही नहीं हुआ. यानी आबादी के हिसाब से लोक सभा की नई सीटें नहीं बनी हैं. लेकिन वर्ष 2026 में ये काम शुरू हो सकता है. नए संसद भवन (New Parliament Building) को बनाने का अनुमानित ख़र्च 971 करोड़ रुपये है. जबकि मौजूदा संसद भवन को बनाने पर ब्रिटिश सरकार ने 83 लाख रुपये ख़र्च किए थे. अभी जो संसद भवन है, उसे बनाने का काम वर्ष 1921 में शुरू हुआ था, तब इसे Central Legislative Assembly कहा जाता था. इस संसद भवन को बनाने में अंग्रेज़ी सरकार को 6 साल लगे थे. लेकिन नया संसद भवन दो साल में ही बन कर तैयार हो जाएगा. 

नया संसद भवन (New Parliament Building) नए भारत की ज़रूरत है. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हमारे देश के विपक्षी दलों ने इस पर भी राजनीति शुरू कर दी है. नया संसद भवन नए भारत का प्रतिनिधित्व करेगा..लेकिन वर्तमान संसद भवन का इतिहास भी अपने आप में कम दिलचस्प नहीं है. वर्तमान संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को हुआ था. इसकी वास्तुकला का काम Sir Herbert Baker (सर हरबर्ट बेकर) को सौंपा गया था.

हबर्ट बेकर चाहते थे कि संसद भवन त्रिकोण आकार का हो और उसके हर कोण पर सदन और बीच में एक सेंट्रल हॉल बनाया जाए. लेकिन तब British Architect Sir Edwin Lutyens ने इसका विरोध किया था. उन्होंने अपने प्रस्ताव में इसे गोल आकार देने का सुझाव रखा था. जिसके बाद Herbert Baker के सुझाव को नज़र अंदाज करते हुए अंग्रेज़ों ने Edwin Lutyens के प्रस्ताव को मान लिया था .  

मौजूदा संसद भवन अंग्रेजों ने बनाया था

इसके अलावा संसद भवन के अन्दर सेंट्रल हॉल की दिशा में मौजूद दीवारों पर हाथ से बनाई हुई कई तस्वीरे लगी हैं. ये तस्वीरें भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हैं. लोक सभा के पहले स्पीकर जी. वी. मावलंकर ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था और इन तस्वीरों को बनाने के लिए देशभर से चित्रकारों को आमंत्रित किया था.

वर्तमान संसद भवन से जुड़ा एक रोचक तथ्य ये भी है कि जब कोई नया सांसद.. संसद भवन में पहुँचता है तो वो भटक जाता है. ऐसा इस भवन के डिजाइन की वजह से होता है. गोल आकार होने की वजह से संसद भवन के अन्दर ज़्यादातर मोड़ एक जैसे लगते हैं, जिसकी वजह से कई सांसदों को इस इमारत को समझने में समय लग जाता है.

गोलाकार है वर्तमान संसद भवन का डिजाइन

वर्तमान संसद भवन से जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा है. जब संसद भवन बनना शुरू हुआ था तो इसकी छत काफी ऊंची बनाई गई थी. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि ऊंची छतों वाले कमरे ठंडे रहते हैं. लेकिन इससे भवन के अंदर बात करने वालों की आवाज़ें गूंजने लगी थीं और किसी को किसी की बात सुनाई नहीं दे रही थी . इसके बाद इस पर काफ़ी विचार विमर्श हुआ और संसद भवन की सीलिंग को लगभग 11 फीट नीचे लाया गया.

लेकिन नैतिक तौर पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ..क्योंकि तब Central Legislative Assembly में बैठने वाले अंग्रेज एक दूसरे की बात तो साफ साफ सुनने लगे..लेकिन भारत के करोड़ों लोगों की आवाज़ उन्हें सुनाई नहीं दे रही थी. अंग्रेज़ो तक आवाज़ पहुंचाने के लिए ही भगत सिंह ने संसद भवन में धमाका किया था. 

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