DNA With Sudhir Chaudhary: दिल्ली में दंगों का खलनायक कौन? जानिए सच्चाई
DNA With Sudhir Chaudhary: जो दंगे हनुमान जन्मोत्सव पर दिल्ली में हुए, कुछ वैसे ही हालात Good Friday के मौके पर Sweden में हुए. इन दोनों मामलों में एक ही समानता नजर आ रही है.
Written ByZee News Desk|Last Updated: Apr 18, 2022, 11:36 PM IST
DNA With Sudhir Chaudhary: हमारे देश में शरणार्थियों का मुद्दा चुनावी माना जाता है. हमारे देश में नेता, ऐसे शरणार्थियों के आधार कार्ड बनवा देते हैं और बाद में इसी आधार कार्ड से उनका वोटर आईडी कार्ड भी बन जाता है. यानी वो शरणार्थी से वोटर बन जाते हैं. ये राजनीति का बिजनेस मॉडल है, जिसमें नेता वोटों की खरीदारी के लिए राष्ट्रीय हित को भी भूल जाते हैं. लेकिन हमें लगता है कि ये समस्या बहुत बड़ी और गंभीर है. जिसे आप हमारी इस खबर से समझ सकते हैं.
जब हनुमान जन्मोत्सव पर दिल्ली में दंगे हो रहे थे, ठीक इसी तरह के दंगे Good Friday के मौके पर Sweden में भी हो रहे थे. वहां पर भी इस्लामिक कट्टरपंथियों ने वैसे ही पत्थरबाजी की जैसे भारत के कई शहरों में हुई. अगर आप दिल्ली और स्वीडन की इन दो तस्वीरों को साथ देखेंगे तो आपका पता चलेगा कि ये पत्थरबाज और इनकी मानसिकता एक जैसी है.
Sweden में ये हिंसा (Linköping) वहां के लिंचोपिन शहर से शुरू हुई, जहां इस्लाम विरोधी पार्टी Stram Kurs (स्ट्राम कुर्स) ने कुरान की प्रतियां जलाने का ऐलान किया था. जिसके बाद स्वीडन के कई शहर इन दंगों की आग में झुलस गए और इस दौरान पुलिस को भी निशाना बनाया गया.
Sweden में तेजी से बढ़ी मुस्लिम आबादी
Sweden आज इस्लामिक कट्टरपंथ से इसलिए लड़ रहा है क्योंकि उसने खुद को धर्मनिरपेक्षता का चैम्पियन दिखाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में लाखों मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां शरण दी. एक जमाने में जिस Sweden में मुस्लिम आबादी नहीं ना के बराबर थी. आज वहां मुस्लिम आबादी बढ़ कर 8 प्रतिशत हो चुकी है. और Sweden की एक करोड़ की आबादी में तीन लाख शरणार्थी हैं. इसके अलावा अमेरिका के Think Tank Pew Research Center के मुताबिक वर्ष 2050 तक Sweden में मुस्लिम आबादी बढ़ कर 31 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. यही वजह है कि स्वीडन में शरणार्थियों को लेकर बनाई गई नीति को अब बदलने की मांग की जा रही है.