DNA With Sudhir Chaudhary: भारत के मुसलमानों पर सालों पहले जो लिख गए अंबेडकर, अब हो रहा सच
Advertisement

DNA With Sudhir Chaudhary: भारत के मुसलमानों पर सालों पहले जो लिख गए अंबेडकर, अब हो रहा सच

DNA With Sudhir Chaudhary: 1945 में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर ने एक पुस्तक लिखी थी, जिसका नाम था, पाकिस्तान और भारत का विभाजन. इस पुस्तक के अंश पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे. 

DNA With Sudhir Chaudhary: भारत के मुसलमानों पर सालों पहले जो लिख गए अंबेडकर, अब हो रहा सच

DNA With Sudhir Chaudhary: आज जिस तरह से भारत के बहुत सारे मुसलमान अपने देश का साथ देने के बजाय, भारत का विरोध करने वाले मुस्लिम देशों का साथ दे रहे हैं, उसका आभास देश के संविधान निर्माता डॉक्टर भीम राव अंबेडकर को आज से 77 वर्ष पहले ही हो गया था. 1945 में उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी, जिसका नाम था, पाकिस्तान और भारत का विभाजन. आज मैं इस पुस्तक के कुछ जरूरी अंश अपने साथा लाया हूं. और इसमें कई महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं.

मुसलमान भारत को मानते हैं युद्ध का घर 

इस पुस्तक के Page Number, 297 पर अंबेडकर लिखते हैं कि भारत चाहे मुस्लिम शासन के अधीन ना हो. लेकिन भारत के मुसलमान भारत को दार-उल-हर्ब मानते हैं, ना कि दार-उल-इस्लाम मानते हैं. दार-उल-इस्लाम का मतलब होता है, इस्लाम का घर और दार-उल-हर्ब का अर्थ होता है, युद्ध का घर. यानी अंबेडकर कहते थे कि भारत के मुसलमान भारत को युद्ध का घर मानते हैं. इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार उनके लिए जेहाद की घोषणा करना पूरी तरह न्यायसंगत है. इसी पुस्तक में वो ये भी लिखते हैं कि, भारत के मुसलमान सिर्फ जेहाद की घोषणा ही नहीं कर सकते, बल्की उसकी सफलता के लिए विदेशी इस्लामिक ताकतों की मदद भी ले सकते हैं और अगर विदेशी मुस्लिम ताकतें अगर जेहाद की घोषणा करना चाहती हैं तो इसमें उनकी सहायता भी कर सकते हैं.

देश के लिए ईमानदार नहीं

भारत के मुसलमानों के लिए ये विचार डॉक्टर अंबेडकर के थे. इस पुस्तक में उन्होंने ये भी बताया था कि भारत के मुसलमान कभी भी अपने देश के लिए ईमानदार साबित नहीं होंगे. इसके Page Number 337 पर वो लिखते हैं कि, इस्लाम धर्म एक बंद खिड़की की तरह है, जो मुसलमानों और गैर मुसलमानों के बीच भेद करता है. इस्लाम धर्म में जिस भाईचारे की बात कही गई है, वो भाईचारा मानवता का भाईचारा नहीं है बल्कि उसका मतलब सिर्फ मुसलमानों का मुसलमानों से भाईचारा से है. अंबेडकर ये भी लिखते हैं कि, मुसलमानों के भाईचारे का फायदा सिर्फ उनके अपने लोगों को ही मिलता है. और जो गैर मुस्लिम हैं यानी हिन्दू हैं, उनके लिए इस्लाम में सिर्फ घृणा और शत्रुता ही बची है.

धर्म के लिए वफादार होते हैं मुसलमान

इसके अलावा इसी इस पन्ने पर ये भी लिखा है कि मुसलमानों की वफादारी उस देश के लिए नहीं होती, जहां रहते हैं. बल्कि उनकी वफादारी अपने धर्म के लिए होती है, जिसका कि वो पालन करते हैं. और मौजूदा स्थिति में अंबेडकर की ये बातें बिल्कुल फिट बैठती हैं. 

 

Trending news