जहाजरानी राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने कहा इससे ना सिर्फ भारत में ही जहाजों का निर्माण ज्यादा होगा, बल्कि भारतीयों को रोजगार भी मिलेगा और भारतीय कंपनियों को बढ़ावा भी मिलेगा.
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नई दिल्ली: देश के बंदरगाहों पर अब विदेशी जहाज को नहीं, बल्कि देसी जहाज को प्राथमिकता मिलेगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने आज नियमों में बदलाव किया है. केंद्र सरकार ने देश में मेक इन इंडिया (Make in India) को बढ़ावा देने के लिए आज ROFR (Right to first Refusal) की शर्तों में बड़ा बदलाव किया है.
कैसे तय होगी प्राथमिकता
कोई जहाज यदि पूरी तरह से भारत में बना होगा और जहाज किसी भी भारतीय कंपनी का होगा और साथ ही उसका मालिक भी यदि भारतीय होगा तो उसे ही केंद्र की तरफ से माल ढुलाई के लिए पहली प्राथमिकता मिलेगी. दूसरी प्राथमिकता उसे मिलेगी, जिसमें जहाज भले ही विदेश से बना होगा, लेकिन उसको चलाने वाली कंपनी भारत की हो और उसका मालिक भी भारतीय हो. इसके बाद तीसरी प्राथमिकता उसे मिलेगी, जिसमें जहाज भारत से बना हो, भले ही, उसको चलाने वाली कंपनी विदेशी हो और उसका मालिक विदेशी हो.
ढुलाई के लिए 5 हजार करोड़ खर्च
केंद्र सरकार का कहना है कि देश में क्रूड ऑयल, कोल, फर्टिलाइजर, गैस इन चार की ढुलाई के लिए 5 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आता है. इसके अलावा भी हर साल भारत से हजारों करोड़ की कीमत माल ढुलाई होती है.
मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
मेक इन इंडिया (Make in India) के तहत देश में शिपिंग इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. जहाजरानी राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने कहा इससे ना सिर्फ भारत में ही जहाजों का निर्माण ज्यादा होगा, बल्कि भारतीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और भारतीय कंपनियों को बढ़ावा भी मिलेगा. भारत सरकार पहले ही देश के भीतर ही शिप बनाने के लिए 20 फीसदी की छूट देती है.