Earphones Research: आपके कानों की सेहत का आपके ईयरफोन के प्रकार पर भी निर्भर करता है. यानी आपके बहरा होने की गति इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन सा ईयरफोन इस्तेमाल करते हैं.
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King George Medical University: आजकल दो बातें लोगों में बहुत कॉमन हैं. हाथों में मोबाइल फोन और कानों में हेडफोन. बच्चे,युवा और बुजुर्ग, ये सभी चाहे गेम खेल रहे हों, या फिर कोई रील देख रहे हों, कान में ईयरफोन लगा ही रहता है. कई नौकरियों में दिनभर कान पर हेडफोन लगाना मजबूरी भी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई घंटों तक लगातार ईयरफोन लगाने की वजह से लोग बहरे होते जा रहे हैं. और बच्चों में स्थिति ज्यादा खराब है.
लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स ने ईयरफोन को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. उनके मुताबिक दिन में 4 घंटे तक लगातार ईयरफोन लगाना, हर दिन आपको बहरा बनाता जा रहा है. यही नहीं, ईयरफोन, बच्चों में सोचने समझने की क्षमता को भी कम कर रहा है.
हाथों में स्मार्ट फोन...और गले में हेडफोन
ये कूल बनने का नहीं..
बल्कि खुद को FOOL बनाने जैसा है.
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बच्चों और युवाओं में ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है.
जिन लोगों आप ज्यादा ईयरफोन लगाते देखे रहे हैं
मुमकिन है कुछ वर्षों में वो सामान्य आवाजें भी ना सुन पाएं
बहरे हो जाएं.
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आवाज़ को ज्यादा क्लियर सुनने
और बेहतर साउंड एक्सीपिरियंस के लिए...
हम नए नए तरीके के ईयरपॉड या हेडफोन तो खरीद लेते हैं,
लेकिन ये नहीं सोचते कि उनका इस्तेमाल...
हमें बहरा ही नहीं, मानसिक बीमार भी बना रहा है.
बेहद डराने वाला खुलासा किया
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने ईयरफोन के इस्तेमाल को लेकर अपने शोध के बाद, बेहद डराने वाला खुलासा किया है.
- KGMU ने 18 से 40 वर्ष तक के लोगों पर एक खास रिसर्च की.
- शोध के लिए ऐसे लोगों को चुना गया जिनकी सुनने की क्षमता अच्छी थी.
- ईयरफोन के इस्तेमाल से इन लोगों की सुनने की क्षमता पर असर पड़ा.
- ऑडियोमेट्री और बैरामीटर के जरिए सुनने की क्षमता जांची गई थी.
- रिसर्च में पाया गया कि ईयरफोन का 4 घंटे प्रतिदिन से ज्यादा इस्तेमाल बहरापन लाता है.
- ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों में चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन भी हो रहा है.
सिर्फ यही नहीं,आपके कानों की सेहत का आपके ईयरफोन के प्रकार पर भी निर्भर करता है. यानी आपके बहरा होने की गति इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन सा ईयरफोन इस्तेमाल करते हैं.
जिन लोगों के लिए हेडफोन लगाना ऑफिस की मजबूरी है, उनके लिए ये समझना जरूरी है कि वो कौन सा हेडफोन लगाएं. सिर्फ यही नहीं अगर आप अपने बच्चों को नए नए तरीके के ईयरफोन लगाकर देर रहे हैं तो यकीन मानिए कुछ वर्षों में आपको उनके लिए सामान्य आवाज़ सुनने वाली मशीनें भी खरीदनी पड़ेंगी. इसीलिए आज की सावधानी, कल का बचाव है.
लखनऊ से प्रीति श्रीवास्तव के साथ ब्यूरो रिपोर्ट,जी मीडिया