Sultanpur Robbery: यूपी में इन दिनों दनादन एनकाउंटर हो रहे. एनकाउंटर के मामले में यूपी का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा भी है. आरोपियों के घर गिराने के बाद अब योगी की पुलिस अपराधियों को ही 'गिरा' रही. अब तक 207 को गिराया भी जा चुका है. पुलिसिया कार्रवाई पर अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक योगी सरकार को घेर रहे. एनकाउंटर की पहचान भी जाति के आधार पर करने के इसी ट्रेंड पर आज योगी आदित्यनाथ ने कटाक्ष करते हुए साफ कहा कि जातियों में बांटने की राजनीति का मतलब है विकास को रोकना.
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Anuj Singh Encounter: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर एनकाउंटर सुर्खियों में है. उत्तर प्रदेश में चौबीस घंटों के अंदर चार एनकाउंटर हुए हैं. पहला एनकाउंटर कन्नौज में हुआ. इस एनकाउंटर में 50 हजार के ईनामी बदमाश राजन के पांव में गोली लगी. दूसरा एनकाउंटर गाजियाबाद के मसूरी में, जहां रशीद नाम के एक हिस्ट्रीशीटर के पांव में गोली लगी. तीसरा एनकाउंटर हुआ बिजनौर में, जहां पुलिस और गौ तस्करों के बीच गोलाबारी हुई. यहां भी एक तस्कर पुलिस की गोली से घायल हो गया और चौथी मुठभेड़ हुई उन्नाव में. उन्नाव में सुल्तानपुर डकैती केस का आरोपी अनुज सिंह पुलिस की गोली से मारा गया. उन्नाव में हुए इसी एनकाउंटर ने कई सवालों को खड़ा कर दिया.
जाति की राजनीति न होती तो बच जाता बेटा
जिस यूपी में अब तक एनकाउंटर में अपराधी की जाति ढूंढी जा रही थी, एनकाउंटर में भी अगड़े और पिछड़ों का नाम लिया जा रहा था, उसी यूपी में मारे गए अनुज के पिता ने साफ-साफ कह दिया कि अगर एनकाउंटर पर जाति वाली राजनीति नहीं की जाती तो उनका बेटा शायद जिंदा होता. उन्नाव एनकाउंटर में मारे गए अनुज प्रताप सिंह के पिता सियासत और सिस्टम दोनों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका गुस्सा उस राजनीति पर है जिसने अपराधी को भी जाति की नजर से देखा. जिस सुल्तानपुर डकैती मामले में अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर हुआ, उसी केस में पहले मंगेश यादव का एनकाउंटर हुआ था. मंगेश यादव के एनकाउंटर को अखिलेश यादव ने जाति से जोड़ा था.
अखिलेश बोले- फर्जी है एनकाउंटर
अनुज के एनकाउंटर के बाद समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो का एजेंडा बदल गया है. कल तक बयानों में जाति थी, आज निंदा है. अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर पर भी अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि 'सबसे कमज़ोर लोग एनकाउंटर को अपनी शक्ति मानते हैं. किसी का भी फ़र्ज़ी एनकाउंटर नाइंसाफ़ी है. हिंसा और रक्त से यूपी की छवि को धूमिल करना यूपी के भविष्य के विरुद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है. आज के सत्ताधारी जानते हैं कि वो भविष्य में फिर कभी वापस नहीं चुने जाएंगे. जिनका ख़ुद का कोई भविष्य नहीं होता, वही भविष्य बिगाड़ते हैं.'
मुखिया निंदा के मोड में आ चुके हैं लेकिन प्रवक्ताओं के एजेंडा में अब भी जाति है. जो अनुज सिंह के पिता ने कहा, वही समाजवादी पार्टी के नेताओं का भी दावा है कि जातिगत अकाउंट सेटल करने के लिए एक ठाकुर यानी अनुज प्रताप का एनकाउंटर किया गया.
यूपी में अब तक 207 अपराधी एनकाउंटर में ढेर
एनकाउंटर में जाति ढूंढने के इसी पॉलिटिकल ट्रेंड से जुड़े कुछ आंकड़े जानिए जो आपको बताएंगे कि पिछड़ों या अल्पसंख्यकों के एनकाउंटर के दावे कितने सच हैं. यूपी में हुए एनकाउंटर्स में अब तक 207 अपराधी मारे गए हैं, जिनमें से 67 मुस्लिम और 138 हिंदू और 2 सिख हैं. हिंदुओं में अपराधी की जाति देखें तो सबसे ज्यादा अपराधी ब्राह्मण जाति के थे. मारे गए अपराधियों में 20 ब्राह्मण, 18 ठाकुर, 16 यादव जाति के अपराधी मारे गए. जाट और गुर्जर जाति के 17 अपराधी ढेर किए गए. दलित समुदाय से 14 अपराधी थे. अनुसूचित जाति के 3 अपराधी थे. अन्य ओबीसी कैटेगरी से 8 अपराधी थे. अन्य जातियों से 42 अपराधी थे. इन आंकड़ों ने आपको बता दिया होगा कि जिस पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों के ज्यादा एनकाउंटर का दावा किया जा रहा था, आंकडों के हिसाब से वो सच साबित नहीं होता.
प्रियंका गांधी बोलीं- एनकाउंटर असंवैधानिक
उधर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुलतानपुर डकैती कांड के मामले में आरोपी एक व्यक्ति की पुलिस साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सोमवार को कहा कि यह असंवैधानिक काम बंद होना चाहिए. जितने भी एनकाउंटर सवालों एवं संदेह के घेरे में हैं, उन सबकी न्यायिक जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि भय का साम्राज्य कायम करने की करतूतों को कानून-व्यवस्था का नाम देना संविधान का अपमान है.
प्रियंका ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, हत्या, हिंसा, रक्तपात और जीवन छीन लेने की राजनीति का कानून, बुलडोजर का कानून, इसका संविधान और न्याय से कोई लेना-देना नहीं है. राजनीतिक वर्चस्व और भय का साम्राज्य कायम करने की करतूतों को कानून-व्यवस्था का नाम देना संविधान का अपमान करना है. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था समाज में शांति स्थापित करने, अपराधी को सुधार के लिए दंडित करने और हर नागरिक को जीवन जीने का मौका देने की बुनियाद पर टिकी होती है. अपवाद छोड़कर, अदालत के आदेश के बिना ली गई हर जान सिर्फ और सिर्फ हत्या है. प्रियंका गांधी ने दावा किया कि खबरों में आए आंकड़ों के अनुसार पिछले सात साल में उत्तर प्रदेश में लगभग 13,000 मुठभेड़ हुई हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या इससे प्रदेश की कानून-व्यवस्था सुधर गई? अपराध तो रुक नहीं रहे हैं. फिर इसका मकसद क्या है? यह खेल किसलिए खेला जा रहा है? प्रियंका गांधी ने कहा कि यह असंवैधानिक काम बंद होना चाहिए और जितनी मुठभेड़ें सवालों और संदेह के घेरे में हैं, उन सबकी न्यायिक जांच की जानी चाहिए.