पश्चिम बंगाल सरकार पर कोरोना वायरस के मरीजों के आंकड़े छुपाने से लेकर गरीबों को राशन नहीं बांटने तक के आरोप लगे हैं.
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सुतापा सेन, कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के गृह सचिव अलापन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) ने ZEE NEWS के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में गरीबों को राशन न मिलने से लेकर राज्य में कोरोना टेस्टिंग तक कई सवालों के जवाब दिए हैं. इसके अलावा अलापन बंदोपाध्याय ने राज्य में लॉकडाउन के नियम उल्लघंन से भी जुड़े सवाल का जवाब दिया है. पढ़ें पूछे गए सवाल और उनके जवाब-
सवाल- राज्य सरकार पर आरोप है कि कई गरीबों को राशन नहीं मिल रहा है?
जवाब- जिसने भी यह आरोप लगाया है, सरासर गलत है. कुछ इलाकों में ऐसी घटना हुई है. इसपर राज्य के खाद्य दफ्तर और पुलिस ने उचित कदम उठाए है. पश्चिम बंगाल में खाद्य साथी योजना है जिसके तहत 9 करोड़ 95 लाख लोगों को राशन मिल रहा है. जिसमें से 9 करोड़ 30 लाख लोगों के पास डिजिटल राशन कार्ड है और 65 लाख लोगों के पास कूपन है.
यह 65 लाख वह हैं जिन्होंने लॉकडाउन के पहले कार्ड के लिए आवेदन किया था. वहीं, डिजिटल राशन कार्ड नहीं देने के वजह से उनको कूपन मुहैया करवाया गया था. ये वो लोग है जो गरीब श्रेणी में आते है जो रोजाना मजदूरी करते हैं. जिसमें से लगभग 8 करोड़ को 6 महीनों तक मुफ्त में राशन दिया जाएगा और बाकि 1 करोड़ 95 लाख लोगों को मई, जून और जुलाई यानी 3 महीनों तक मुफ्त में राशन दिया जाएगा.
राज्य सरकार मई के पहले 4 दिनों में ही लगभग 50 % लोगों को राशन बांट चुकी है. राशन की दुकानों से 25 लाख क्विंटल राशन बांटा जा चुका है. सरकार ने पिछले महीने कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं. पिछले महीनों में खाद्य दफ्तर ने 359 राशन डीलर को शो कॉज किया गया है. जिसमें से 64 डीलर को सस्पेंड किया गया है और 25 डीलर को हर्जाना भरना पड़ा.
सवाल- आरोप यह भी है कि नेता अपने घरों में राशन ले जा रहे हैं और दूसरों को राशन बांट रहे हैं. ऐसे में जरूरतमंदों तक राशन नहीं पहुंच रहा? क्या नेताओं के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा?
जवाब- पिछले 4-5 दिनों में 25 लाख क्विंटल राशन, 5 करोड़ लोगों में बांटा गया है. अगर राजनेता राशन को अगर ले जाते तो क्या ऐसा संभव होता? हमारे राज्य में प्रशासन पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम कर रहा है. कोशिश की जा रही है कि सभी जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाया जा सके.
सवाल- मोदी सरकार का कहना है कि उसने राज्य में राशन भेजा है, लेकिन ममता बनर्जी सरकार उसे दिखा नहीं रही है?
जवाब- मेरी खाद्य सचिव से इस मामले को लेकर मुलाकात हुई है. हमने जो देखा विशेष करके केंद्र के तरफ से 14530 मीट्रिक टन दाल आने की बात थी वही अभी तक 6550 मीट्रिक टन दाल ही भेजी गई है. बंगाल सरकार पूरी तरह से अपनी राशन व्यवस्था को शांतिपूर्ण तरीके से चला रही है.
सवाल- राज्य सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि कोरोना टेस्टिंग ठीक से नहीं हो रही है? साथ ही संक्रमितों के आंकड़ें भी छुपाने की बात कही जा रही है?
जवाब- देश में कोरोना क्यों और कैसे हो रहा है ये साफ नहीं है. कोरोना से संक्रमितों की संख्या कम करके दिखा कर किसी राज्य को कोई फायदा नहीं है. शुरूआती समय में हमारे पास केवल 1 टेस्टिंग लैब थी. अभी राज्य में टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़कर 15 हो गई है. आने वाले वक्त में कई जिलों में करीब 10-12 और लेब्रोटरी खोले जाएंगे. पहले राज्य में हर दिन 250 टेस्ट हो रहे थे और आज 2500 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं.
सवाल- क्या ऑडिट समिति गठित करने की कोई जरुरत थी ? इस संकट काल में मौत कोरोना से नहीं बल्कि किसी और कारण से हुई है ये जानना राज्य सरकार के लिए जरूरी था?जवाब- पश्चिम बंगाल सरकार फिलहाल ये सभी प्रश्न को पीछे छोड़ कर आने वाले समय में हम क्या कर सकते हैं, इस बात फोकस कर रही है. राज्य में कोरोना से लड़ने के लिए सभी प्रकार के उपकरण जैसी PPE KIT , टेस्टिंग लैब्रोटरी पर ध्यान दे रही है. लोगों को कैसे संक्रमित होने से बचाया जाए, इस पर जोर दिया जा रहा है.
सवाल- बंगाल सरकार और प्रशासन के ऊपर सबसे बड़ा आरोप है राज्य में लॉकडाउन का पालन नहीं करा सकें?
जवाब- यह आरोप गलत है. पुरे विश्व में कोलकाता शहर में जितने लोग रहते है, उतने शायद ही किसी राज्य और शहर में रहते होंगे. इस विशाल जन समूह में भी लॉक डाउन का पालन हुआ.
सवाल- कुछ ऐसे इलाके भी है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग रहते है , वहां पर लॉकडाउन के नियमों का उलंघन किया गया?
जवाब- जिस प्रकार से पुलिस प्रशासन काम कर रही है वो सराहनीय है. जहां तक मुस्लिम समुदाय की बात है, आबादी और कम शिक्षा वाले जगहों पर , प्राइवेट घर और बस्ती के लोगों को मजबूरन घर से निकलना पड़ता है क्योंकि उनके पास कोई उपाय नहीं है. उनके पास सुविधाओं का अभाव है.