किसान आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की वार्ता से हल निकलने की उम्मीद लेकिन बैठक से पहले ही किसान नेता राकेश टिकैट ने कहा कि बिल वापसी और MSP से कम पर कोई बात नहीं होगी.
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नई दिल्ली: सरकार के साथ किसान संगठनों की आज 11वें दौर की वार्ता से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने जी न्यूज से बात की. राकेश टिकैत ने कहा कि रास्ता सरकार के पास है. जब सरकार चाह लेगी इस समस्या का हल निकल जायेगा. हम इस बैठक में उम्मीद के साथ जा रहे हैं. वार्ता से किसानों को कोई दिक्कत नहीं है. 26 जनवरी परेड को लेकर टिकैत ने कहा, हमसे तो सरकार ने 26 जनवरी को लेकर कुछ भी नहीं कहा है. पुलिस के साथ आज भी बात होगी. टिकैत ने एक बार फिर दोहराया कि हम रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली जरूर निकलेंगे. कृषि मंत्री के साथ बैठक के मुद्दों को लकर कहा, बिल वापसी और MSP से कम पर कोई बात नहीं होगी.
बतादें, किसान आंदोलन (Farmers Protest) का शुक्रवार को 58वां दिन है और प्रदर्शनकारी किसान तीनों केंद्रीय कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं. केंद्र सरकार ने पिछली वार्ता में किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव दिया था कि अगर किसान आंदोलन वापस लेने पर विचार करें तो सरकार तीनों कानूनों के कार्यान्वयन को एक से डेढ़ साल तक स्थगित कर सकती है और इस बीच सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर एमएसपी समेत तमाम मसलों का समाधान निकाला लिया जाएगा.
इस प्रस्ताव पर विचार करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा कि नये कृषि कानून पर सरकार का प्रस्ताव उसे मंजूर नहीं है. आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया.
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हुए हैं.
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इन कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी के अपने एक आदेश के जरिए बहरहाल रोक लगा दी है और एक विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर इन पर सुझाव देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने किसान संगठनों के साथ संपर्क करना शुरू कर दिया है, लेकिन आंदोलनकारी किसान संगठनों को कमेटी में जाना स्वीकार्य नहीं है.
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