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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और अन्य लोगों द्वारा कोविड-19 (Covid-19) को लेकर जारी गाइडलाइन फॉलो नहीं करने पर चिंता जताई. बता दें कि किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) पिछले 42 दिनों से जारी है और किसान लगातार कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच किसान गुरुवार (7 दिसंबर) को दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से सवाल किया है कि क्या प्रदर्शन के दौरान कोरोना नियमों (Coronavirus Guidelines) का पालन किया जा रहा है? इसके बाद केंद्र सरकार के वकील ने नहीं में जवाब दिया. इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि अगर कोरोना नियमों का पालन नहीं किया गया तो नई दिल्ली में पिछले साल हुए तबलीगी जमात के तरह हालात हो सकते हैं.
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बता दें कि पिछले साल जब देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था, उसी समय तबलीगी जमात का मामला सामने आया था. पिछले साल मार्च में नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे और फिर वह अलग-अलग राज्यों में गए थे. मरकज में शामिल कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और कोरोना नियमों को तोड़ने का आरोप लगा था.
कृषि कानूनों (Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पिछले 42 दिनों से जारी है और इस दौरान सरकार के साथ किसानों की सात दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन पूरी तरह से सहमति नहीं बन पाई है. किसान संगठन कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार कानूनों की खामियों वाले बिंदुओं पर चर्चा करना चाह रही है. किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत 8 जनवरी को होगी. 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की बाचतीच में बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी, लेकिन दो बड़े मुद्दों पर गतिरोध बना रहा. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.