दिल्ली में अब हाईड्रोजन कंप्रेस्ड सीएनजी से बसें चलेंगी. इसके लिए दिल्ली में हाइड्रोजन सीएनजी (Hydrogen CNG) पंप की शुरूआत हो गई है.
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नई दिल्ली: दिल्ली में अब हाईड्रोजन कंप्रेस्ड सीएनजी से बसें चलेंगी. इसके लिए दिल्ली में हाइड्रोजन सीएनजी (Hydrogen CNG) पंप की शुरूआत हो गई है. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) और केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने इसका उद्घाटन किया. उद्घाटन समारोह में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, दिल्ली परिवहन विभाग, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
डीटीसी के सहयोग से लगा संयंत्र
4 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला यह कॉम्पैक्ट सुधारक- आधारित HCNG उत्पादन संयंत्र IOCL द्वारा दिल्ली के परिवहन विभाग के सहयोग से स्थापित किया गया है। दिल्ली परिवहन विभाग ने इस संयंत्र की स्थापना और अध्ययन के संचालन के लिए 15 करोड़ रु प्रदान किया है. इसके अलावा, 6 महीने की अवधि के लिए आज से शुरू होने वाले ट्रायल के लिए परिवहन विभाग द्वारा 50 क्लस्टर बसें भी प्रदान की गईं हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने HCNG को सितंबर, 2020 से ईंधन के रूप में अधिसूचित किया है.
क्या है एचसीएनजी?
हाइड्रोजन समृद्ध- कंम्प्रेस्ड प्राकृतिक गैस या HCNG, को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का पहला चरण माना जाता है, और इसका उपयोग गैसोलीन, डीजल ईंधन / LPG के स्थान पर किया जा सकता है और इसका दहन एक सामान्य ऑटोमोबाइल ईंधन की तुलना में कम अवांछनीय गैसों का उत्पादन करता है. यह कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% तक कम करता है और ईंधन दक्षता को 3% तक बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप लगभग 5% की कुल ईंधन बचत होती है. मौजूदा बसों को HCNG ईंधन आधारित करने के लिए न्यूनतम संशोधनों की आवश्यकता होती है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री का बयान
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा 'हम आज से राजघाट डिपो की 50 बीएस- IV बसों में HCNG ईंधन का 6 महीने का ट्रायल शुरू कर रहे हैं. दिल्ली, देश की राजधानी के रूप में पर्यावरण के प्रति सचेत परिवहन नीतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इस दिशा में HCNG, इलेक्ट्रिक वाहन आदि जैसे स्वच्छ ईंधन महत्वपूर्ण कदम हैं. HCNG ईंधन का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह 70% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है और कुल हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन को लगभग 15% कम कर देता है जिससे 3-4% ईंधन दक्षता में वृद्धि होगी. 6 महीने के इस परीक्षण के दौरान, बसों के टेलपाइप उत्सर्जन पर लगातार निगरानी और विश्लेषण किया जाएगा. मुझे विश्वास है कि एक बार परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो जाने के बाद, एचसीएनजी का उपयोग दिल्ली की अन्य बसों और निजी वाहनों में किया जा सकेगी.'