Haryana: बेटियों को तरसता जाटलैंड..बन गया 'कुंवारा लैंड', तेजी से गिर रहा लिंगानुपात..करनी पड़ेगी नई शुरुआत
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Haryana: बेटियों को तरसता जाटलैंड..बन गया 'कुंवारा लैंड', तेजी से गिर रहा लिंगानुपात..करनी पड़ेगी नई शुरुआत

Haryana: हरियाणा के कई जिलों में लिंगानुपात फिर तेजी से नीचे गिरा है जिसमें लड़कियों की जनसंख्या कम हुई है जो कि हरियाणा सरकार के लिए और प्रदेश के लिए चिंता बढ़ा रही है. खासतौर से देश के राजधानी दिल्ली से जुड़े और उसके आस पास के क्षेत्र काफी चिंता बढ़ा रहे.

Haryana: बेटियों को तरसता जाटलैंड..बन गया 'कुंवारा लैंड', तेजी से गिर रहा लिंगानुपात..करनी पड़ेगी नई शुरुआत

Gender Ratio: भारतीय हिन्दू संस्कृति में यह कहा जाता है कि विवाह सात जन्मों का एक बंधन है और लोग खुशी खुशी इस बंधन में बंधना चाहते है. आंकड़ो के मुताबिक भारत में हर घंटे 27000 से ज़्यादा विवाह होते हैं और हर माह 8 लाख लोग शादी के बंधन में बंधते हैं. हर साल 1 करोड़ लोग नए लोग वैवाहिक जीवन की शुरुआत करते हैं. लेकिन एक सर्वे के मुताबिक देश के हरियाणा राज्य में लाखो योग्य पुरुष इस बंधन में बंधने वंचित रह गए है और उसका सबसे बड़ा कारण है लड़कों के मुकाबले लड़कियों जनसंख्या में भारी कमी है.

असल में हरियाणा के कई जिलों में लिंगानुपात फिर तेजी से नीचे गिरा है जिसमें लड़कियों की जनसंख्या कम हुई है जो कि हरियाणा सरकार के लिए और प्रदेश के लिए चिंता बढ़ा रही है. खासतौर से देश के राजधानी दिल्ली से जुड़े और उसके आस पास के क्षेत्र काफी चिंता बढ़ा रहे है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ते आठ जिलों में अब एक हजार लड़कों के पीछे 900 से भी कम लड़कियां जन्म ले रही हैं. इनमें रोहतक, महेंद्रगढ़, सोनीपत, करनाल, चरखी दादरी, कैथल, भिवानी और गुरुग्राम के साथ साथ जींद एवं हिसार भी शामिल हैं.

दिसंबर 2022 में प्रदेश में लिंगानुपात 917 था जो अभी फर से काफी घट गया है. लिंगानुपात फिर गड़बड़ाने लगा है जिसके असर से प्रदेश कुंवारों के संख्या लाखो में पहुंच गई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में पानीपत से शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी अभियान 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के बाद प्रदेश में वर्ष 2019 में लड़कियों का आंकड़ा बढ़कर 923 पर पहुंच गया था. लेकिन बीते कुछ में यह आंकड़ा 906 पर आ गया था और अब उससे भी कम नज़र राह है. करीब साढ़े तीन साल के अंतराल में ही लिंगानुपात में 17 अंकों से ज़्यादा की गिरावट आई है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ते आठ जिलों में अब एक हजार लड़कों के पीछे 900 से भी कम लड़कियां जन्म ले रही हैं. इनमें रोहतक, महेंद्रगढ़, सोनीपत, करनाल, चरखी दादरी, कैथल, भिवानी और गुरुग्राम भी शामिल हैं. इसी तरह सिरसा और फतेहाबाद में लिंगानुपात 931 है. कुरुक्षेत्र और झज्जर ने भी लिंगानुपात में बेहतर काम किया है, जहां सात महीने में लिंगानुपात 893 से 34 अंकों की छलांग लगाते हुए 927 पर पहुंच गया था जो फिर से गिरने लगा है.

2022 में 917 था प्रदेश का लिंगानुपात
दिसंबर 2022 में प्रदेश में लिंगानुपात 917 था. इस तरह सात महीने में ही लिंगानुपात 11 अंक से भी ज़्यादा  गिर गया. सात महीने में दो लाख 93 हजार 926 बच्चों का जन्म हुआ है. इनमें एक लाख 54 हजार 223 लड़के और एक लाख 39 हजार 703 लड़कियां हैं. इस दौरान फतेहाबाद, रोहतक, चरखी दादरी, गुरुग्राम, कैथल, करनाल, भिवानी, नूंह, पंचकूला, नारनौल और पलवल में लिंगानुपात में बड़ी गिरावट आई है.

पीएम मोदी ने शुरू की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' मुहिम
दरअसल, वर्ष 2014 में हरियाणा में लिंगानुपात 871 था. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत पानीपत से की थी, ताकि कोख में बेटियों की हत्या का दाग धुले। पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर मनोहर सरकार ने पहली पारी में पूरी प्रतिबद्धता दिखाई. लिंग जांच और भ्रूण हत्या को लेकर लगातार सख्ती और पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में निरंतर छापामारी के चलते लिंगानुपात में 52 अंकों का सुधार आया. पिछले कुछ समय से पड़ोसी राज्यों में ढिलाई और हरियाणा में मानिटरिंग व जवाबदेही में कमी से लिंगानुपात फिर गड़बड़ाया है.

कैसे चलता है लिंग जांच और भ्रूण हत्या का रैकेट?
हरियाणा की सीमा से लगते पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भ्रूण लिंग जांच धड़ल्ले से हो रही है. दलालों के जरिये गर्भवती महिलाओं को गुपचुप तरीके से अनजान जगह या फिर अस्पताल और क्लीनिक ले जाया जाता है. 30 से 40 हजार रुपये तक लेकर भ्रूण लिंग जांच की जाती है तो 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में कोख में ही बेटी की हत्या की जा रही है. इसके अलावा, एमपीटी किट भी दवा विक्रेताओं के पास आसानी से उपलब्ध है. 250 रुपये से 500 रुपये के बीच की कीमत वाली इन किटों को रैकेट चलाने वाले 1000 रुपये से 1500 रुपये के बीच बेच रहे हैं. पाकेट साइज अल्ट्रा साउंड मशीनों की मदद से झोलाछाप लिंग जांच करते हैं.

हालांकि सरकार ने सख्ती बढ़ाई थी और सख्ती बढ़ाने के निर्देश के बाद हर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया था. फिर सब ठंडे बस्ते में चल गया और फिर से सेक्स रेश्यो गिरने की समस्याएं उतपन्न हो गई. इसी समस्या को लेकर हरियाणा में कुछ लोगों ने संगठन बना लिए और हरियाण के खराब लिंगानुपात को उनके अविवाहित रहने का मुख्य कारण बताते हुए, राज्य में अविवाहित पुरुषों के दो संघों ने सहायता के लिए प्रधानमंत्री से मदद की मांगी है.

अपने भेजे गए एक संयुक्त पत्र में, समस्त अविवाहित पुरुष समाज (40 वर्ष से अधिक उम्र के कुंवारे लोगों का एक संघ) और एकिकृत रांडा (इस शब्द का इस्तेमाल न करें) संघ (विधुरों का एक संघ) ने अपनी समस्याओं की ओर पीएम नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया है और राहत मांगी है. उनकी मांगों में कुंवारे लोगों की जनगणना और केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत दोनों समूहों के सदस्यों के लिए लाभ शामिल हैं. उन्होंने विधुरों के लिए रांडा से बेहतर शब्द गढ़ने की भी मांग की है. दोनों संगठनों के अध्यक्ष वीरेंद्र सांगवान द्वारा हस्ताक्षरित पत्र, ‘बेरोजगारी और गरीबी के साथ कन्या भ्रूण हत्या के कारण हरियाणा में कुंवारे लोगों की बढ़ती आबादी’ की ओर इशारा करता है.

2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा का लिंग अनुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 879 महिलाओं का है, जो देश के 1,000 पुरुषों के मुकाबले 943 महिलाओं से काफी कम है. पत्र में कहा गया है की कुंवारों की संख्या लाखों में है और हम सभी अपने परिवारों और समाज से समर्थन और सहानुभूति की कमी के कारण हताशा का शिकार हो रहे है. हमें नीची नजर से देखा जाता है और समाज में उपहास का पात्र बनाया जाता है. मंगलवार को ज़ी मीडिया नेटवर्क से बात करते हुए, हिसार जिले के नारनौंद उपमंडल के माजरा पियाउ गांव के निवासी 43 वर्षीय सांगवान ने कहा कि हरियाणा में 40 वर्ष से अधिक उम्र के 7 लाख से अधिक एकल पुरुष हैं, जिनमें से कम से कम 5 लाख हैं उनके जाट समुदाय से हैं. सरकारी कॉलेज, हांसी से स्नातक सांगवान ने कहा, “हमारे लिए समस्या विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि कोई भी अपनी बेटी की शादी तब तक करने को तैयार नहीं है जब तक कि उसके पास अच्छी जमीन न हो या सरकारी नौकरी न हो.” उनके अनुसार, दोनों एसोसिएशनों में कुल मिलाकर 1.27 लाख सदस्य हैं, जिनमें कुंवारों की संख्या  96,000 से ज़्यादा हैं.

सांगवान ने कहा कि राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कैप्टन अभिमन्यु, जिन्होंने 2014-2019 विधानसभा में नारनौंद निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, सरकार से अधिक उम्र के अविवाहित पुरुषों और महिलाओं के लिए 2,750 रुपये की मासिक पेंशन की घोषणा करने में कामयाब रहे. इस साल जुलाई में 45 में से, लेकिन उन्हें अभी तक यह प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा की हमें अपने परिवार पहचान पत्र, राशन कार्ड और ऐसे अन्य लाभों के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

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