गिलगित बाल्टिस्तान के कार्यकर्ता बोले- भारत की संसद में चाहते हैं प्रतिनिधित्व
Advertisement
trendingNow1559669

गिलगित बाल्टिस्तान के कार्यकर्ता बोले- भारत की संसद में चाहते हैं प्रतिनिधित्व

गिलगित-बाल्टिस्तान के एक कार्यकर्ता सेंगे एच.सेरिंग ने कहा, 'गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि पीओके जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है. हम भी यही मानते हैं कि गिलगित बल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है.

गिलगित-बाल्टिस्तान कार्यकर्ता सेंगे एच.सेरिंग (फोटो साभार - ANI)

नई दिल्ली: संसद में जम्मू और कश्मीर पर जारी चर्चा के बीच गिलगित-बाल्टिस्तान की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. गिलगित-बालिटस्तान के एक कार्यकर्ता ने कहा है कि उन्हें भारत के संवैधानिक ढांचे के तहत उन्हें अपने अधिकार चाहिए. बता दें बुधवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि पीओके जम्मू कश्मीर का अभिन्न अंग है. 

गिलगित-बाल्टिस्तान के एक कार्यकर्ता सेंगे एच.सेरिंग ने कहा, 'गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि पीओके जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है. हम भी यही मानते हैं कि गिलगित बल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है. हम लद्दाख एक्सटेंशन हैं. '

सेरिंग ने कहा, 'हम भारतीय संवैधानिक ढांचे के तहत अपने अधिकारों की मांग करते हैं. हम भारत की विधायी इकाईयों में अपना प्रतिनिधित्व चाहते हैं. जो नए केंद्र शासित प्रदेश बने हैं उनमें गिलगित बाल्टिस्तान का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए. हमारा प्रतिनिधित्व' 

'जम्मू एवं कश्मीर के लिए हम जान दे देंगे'
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कांग्रेस को कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा. उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार के नेता राज्य के लिए अपनी जान भी देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने संविधान में उल्लिखित अनुच्छेद पढ़कर बताया कि जम्मू एवं कश्मीर (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर सहित) भारत का अभिन्न अंग है.

लोकसभा में प्रस्ताव और विधेयकों को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करने के बाद अमित शाह ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है और यह कानून संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों पर आधारित है.

जहां जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को रद्द करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के एक आदेश से संबंधित है, वहीं जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का प्रावधान देता है.

राष्ट्रपति के आदेश ने अनुच्छेद 370 के तहत उन प्रावधानों को निरस्त कर दिया है जो राज्य को अपना संविधान और विदेशी मामलों, रक्षा व संचार से संबंधित कानूनों के अलावा अन्य कानून बनाने का अधिकार देने की अनुमति देता है. इन प्रस्तावों और विधेयकों को उच्च सदन द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news