वैदिक काल की प्रेरणा से होगा शिक्षा का वैश्वीकरण, भारत फिर बनेगा वैश्विक ज्ञान केंद्र
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वैदिक काल की प्रेरणा से होगा शिक्षा का वैश्वीकरण, भारत फिर बनेगा वैश्विक ज्ञान केंद्र

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Education Minister Dr. Ramesh Pokhriyal 'Nishank') ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime Minister Narendra Modi) के सुचिंतित नेतृत्व में संस्तुत, नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम भारत को पुन वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मुझे विश्वास है कि हमारे तमाम शैक्षिक संस्थान इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे.'

डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक'

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय(Union Ministry of Education), भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों जैसे कि तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला आदि से शिक्षा के वैश्वीकरण की प्रेरणा लेगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय दुनिया भर के छात्रों के लिए ज्ञान का केंद्र रहे हैं. नई शिक्षा नीति (New education policy) इन पुराने विश्वविद्यालयों के बारे में भी सिखाएगी.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Education Minister Dr. Ramesh Pokhriyal 'Nishank') ने कहा, 'हमारे देश के स्वर्णिम अतीत की तरफ देखें तो तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय नजर आते हैं, जो पूरे विश्व में ज्ञान के केंद्र रहे हैं, जहां संसार के कोने-कोने से छात्र शिक्षा ग्रहण करने हेतु आते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime Minister Narendra Modi) के सुचिंतित नेतृत्व में संस्तुत, नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम भारत को पुन वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मुझे विश्वास है कि हमारे तमाम शैक्षिक संस्थान इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे.'

  1. प्राचीन मनीषियों ने हमें ज्ञान का खजाना दिया है
  2. भारतीय शिक्षण पद्धति की जड़े 'श्रुति-वेद' से जुड़ी: डॉ निशंक
  3. नई शिक्षा नीति इन पुराने विश्वविद्यालयों के बारे में भी सिखाएगी
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प्राचीन मनीषियों ने हमें ज्ञान का खजाना दिया है
निशंक ने कहा, 'विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आध्यात्म, दर्शन, योग, साहित्य, कला तथा खगोल शास्त्र जैसे क्षेत्रों में वैचारिक गहराइयों तक उतरकर हमारे प्राचीन मनीषियों ने हमें जो ज्ञान का खजाना दिया है, वह न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विरासत की तरह है. मुझे खुशी है कि इस विरासत को, इस खजाने को संजोने का एवं इसे आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है.'

भारतीय शिक्षण पद्धति की जड़े 'श्रुति-वेद' से जुड़ी: डॉ निशंक
डॉ निशंक ने कहा, 'भारतीय शिक्षण पद्धति की जड़े 'श्रुति-वेद' से जुड़ी हुई हैं. विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के लगभग सभी वैश्विक प्रणालियों के मूल में कहीं न कहीं प्राचीनतम भारतीय प्रणाली का योगदान रहा है. इस योगदान में हमारी आध्यात्मिकता और योग की भी अलौकिक परंपरा शामिल है. यह परंपरा भारत के सात ब्रह्म-ऋषियों (सप्तऋषियों) द्वारा स्थापित की गई महान परंपरा है.'

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नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी 
केंद्रीय मंत्री ने सभी लोगों को नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में विस्तार से अवगत करवाया और कहा, 'इस नीति के माध्यम से हम एक बहुभाषी तथा बहुआयामी शिक्षण के साथ-साथ अपनी प्राचीन भारतीय कलाओं, परंपराओं एवं शिल्पों का भी विकास करेंगे. प्राचीन भारतीय शिक्षण की वाहिका संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का उन्नयन भी हमारा एक मुख्य उद्देश्य है.' (इनपुट आईएएनएस) 

 

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