Gratuity Payment: प्राइवेट टीचर्स के लिए खुशखबरी! सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मिलेगी ग्रेच्युटी
Advertisement
trendingNow11330138

Gratuity Payment: प्राइवेट टीचर्स के लिए खुशखबरी! सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मिलेगी ग्रेच्युटी

Gratuity Payment: प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स के लिए अच्छी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों में ग्रेच्युटी का कानून बरकरार रखा है. 1997 के बाद रिटायर हो चुके सभी टीचर्स को प्राइवेट स्कूल ग्रेच्युटी का भुगतान करेंगे.

Gratuity Payment: प्राइवेट टीचर्स के लिए खुशखबरी! सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मिलेगी ग्रेच्युटी

Gratuity for Private Teachers: प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे टीचर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2009 के उस कानून को बरकरार रखा है, जिसके अनुसार प्राइवेट टीचर भी ग्रेच्युटी के हकदार हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये नियम 1997 से लागू होगा. यानी 1997 के बाद रिटायर हो चुके सभी टीचर्स को प्राइवेट स्कूल ग्रेच्युटी का भुगतान करेंगे. प्राइवेट स्कूलों को ये भुगतान ब्जाय सहित 6 हफ्ते की भीतर करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी रखा फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और अन्य प्राइवेट स्कूलों की तरफ से इस मामले में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिया कि वो पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (अमेंडमेंट) एक्ट- 2009 के तहत सभी टीचर्स को ब्याज सहित ग्रेच्युटी दें.

प्राइवेट स्कूलों की याचिकाएं खारिज

प्राइवेट स्कूलों की तरफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि उनके पास टीचर्स को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं है. इस पर बेंच ने कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं है. राज्यों में फीस को लेकर कानून हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. लेकिन इन नियमों का पालने करने का मतलब ये नहीं है कि टीचर्स को ग्रेच्युटी से वंचित रखा जाए. ये टीचर्स का अधिकार है.

1972 से लागू है कानून

गौरतलब है कि ग्रेच्युटी से जुड़ा कानून 1972 से ही लागू है. इस कानून के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी या संस्था में 5 साल या उससे ज्यादा काम कर चुका है, तो इस्तीफे या रिटायरमेंट के समय उसे ग्रेच्युटी दी जाएगी. साल 1997 में लेबर मिनिस्ट्री ने शैक्षणिक संस्थानों को भी इसके दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. ये कानून सभी प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू किया गया. लेकिन प्राइवेट स्कूल इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए.

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

Trending news