सरकार का कहना है कि स्कूलों का खुलना कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगा.
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नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 5 महीनों से बंद स्कूलों के खुलने पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है. सरकार का कहना है कि स्कूलों का खुलना कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगा. यदि सितंबर में देश में कोरोना संक्रमण के मामले घटते हैं तो उसके अगले महीने से स्कूल खोलने पर कोई विचार हो सकता है. फिलहाल केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ ने स्कूल खोलने की मंशा जताते हुए केंद्र सरकार से अनमति मांगी है.
इसी बीच सोमवार को आयोजित हुई केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति की बैठक हुई. बीजेपी सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता में हुई बैठक में देश में स्कूल खोलने की संभावनाओं पर विचार किया गया. अफसरों ने कहा कि स्कूल खोलने की फिलहाल कोई योजना नहीं है. राज्यों की सलाह और कोरोना की स्थिति देखने के बाद के बाद ही इन्हें खोलने पर विचार किया जाएगा. अफसरों ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़ कक्षा 3 तक के स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लास की अनुमति नहीं है. इसके बच्चों के अभिभावक ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले सकते हैं और बाद में अपने बच्चों को गाइड कर काम करवा सकते हैं. वहीं कक्षा 4 से 7 तक सीमित ऑनलाइन क्लास ली जा सकती हैं.
समिति के सदस्यों ने कहा कि कई बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप की सुविधा नहीं है. ऐसे में गरीब बच्चों को रेडियो बांटनी चाहिए. जिससे कम्युनिटी रेडियो के जरिये वे बच्चे पढ़ सके. अफसरों ने बताया कि कॉलेजों में जीरो ईयर नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि इस साल के अंत मे परीक्षा होगी ,जिसको जीरो ईयर बोला गया है.
सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने सरकार को सुझाव दिया कि कॉलेज के छात्रों के लिए एक 'प्रश्न बैंक' बनाया जाना चाहिए. जिसमें दिए गए प्रश्नों से परीक्षा में सवाल पूछे जाएं. अफसरों ने इस सुझाव पर सहमति जताई और कहा कि इस पर विचार किया जा सकता है.
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