महाभारत के इतिहास को भी किया जा रहा जिंदा, हस्तिनापुर में 70 साल बाद खुदाई शुरू
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महाभारत के इतिहास को भी किया जा रहा जिंदा, हस्तिनापुर में 70 साल बाद खुदाई शुरू

1952 के बाद महाभारतकालीन जगह हस्तिनापुर में उत्खनन फिर से शुरू हो गया है. 70 साल बाद एएसआई अब कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा. रामायण में वर्णित अयोध्या को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की राह के बाद हस्तिनापुर को भी इसी रूप में देखा जा रहा है. 

पांडव टीले की खुदाई.

पारस गोयल/मेरठ: 70 साल बाद पाण्डवों की राजधानी हस्तिनापुर में फिर उत्खनन शुरू हो गया है. हस्तिनापुर के उल्टा खेड़ा और पांडव टीला में उत्खनन का कार्य आरम्भ हो गया है. एएसआई के अधिकारियों को उम्मीद है कि इस खुदाई से हस्तिनापुर में हजारों वर्ष पुराने राज पर से पर्दा उठेगा. 

  1. 70 साल बाद हस्तिनापुर में फिर से खुदाई शुरू 
  2. हस्तिनापुर के उल्टा खेड़ा और पांडव टीला में उत्खनन का कार्य आरम्भ
  3. इतिहास का नया राज उगलने को तैयार है ये धरती 

हस्तिनापुर की धरती इतिहास का नया राज उगलने को तैयार

इससे पहले 1952 में हस्तिानपुर में उत्खनन हुआ था. तब हजारों वर्ष पुराने कई रहस्यों पर से पर्दा उठा था. अब एएसआई का सर्किल ऑफिस मेरठ में खुलने के बाद एक बार फिर हस्तिनापुर की धरती इतिहास का नया राज उगलने को तैयार है. ऑफिसर्स का कहना है कि हस्तिनापुर, सिनौली से भी बड़ा राजफाश कर सकता है. गौरतलब है कि बागपत के सिनौली में बीते वर्षों में हजारों साल पुराने रथ सहित कई अन्य चीजें मिली थीं. अब हस्तिानपुर से भी अधिकारियों को उम्मीद जगी है कि ये धरती नया राज उगलेगी.

वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलेंगी यहां 

भारतीय पुरातत्व विभाग अब 'मिशन हस्तिनापुर' में जुट गया है. आपको जानकर अच्छा लगेगा कि दशकों बाद एएसआई की टीम ने यहां एक बार फिर से डेरा डाल दिया है. एएसआई की टीम ने यहां कैंप लगाकर अर्जुन की तरह अपनी लक्ष्य साधना शुरु कर दिया है. आजकल यहां अधिकारियों की टीम तकरीबन चार घंटे सुबह और चार घंटे शाम को पड़ताल में जुटी रहती है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में न सिर्फ हस्तिनापुर के रहस्यों पर से पर्दा उठेगा बल्कि यहां ऐसी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं होंगी कि टूरिस्ट खिंचे चले आएंगे.

पांडव टीले में उन्हीं भवनों की खोज जिसका इतिहास में है वर्णन

अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉक्टर दिबिषद ब्रजसुंदर गड़नायक के निर्देश पर एएसआई की टीम फिर से हस्तिनापुर के जंगल में पांडव टीले में उन्हीं भवनों को ढूंढ रही है जिसका इतिहास में वर्णन है. टीम की कोशिश है कि महाभारतकालीन अवशेष जो कई सालों से मिट्टी में ही दफन हैं, उनको सामने लाया जा सके. गौरतलब है कि पांडव टीला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत सुरक्षित है. समय-समय पर टीले से पौराणिक अवशेष मिलते रहे हैं. इन अवशेषों को एएसआई कार्यालय पर तैनात कर्मचारी संरक्षित कर लेते थे. शुरुआती कार्य में एएसआई टीम ने जयंती माता मठ, राजा रघुनाथ महल व अमृत कूप के समीप स्थानों को तराशा और उनके इर्द-गिर्द सफाई की व्यवस्था कर रही है.

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16 जिलों की 82 साइट्स पर एएसआई की टीम का फोकस

एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि अब आने वाले दिनों में यहां आने वाले टूरिस्ट को सारी सुविधाएं मुहैया होंगी. अब पर्यटकों को यहां टॉयलेट, पार्किंग स्पेस से लेकर ड्रिंकिंग वॉटर और कैफेटेरिया तक उपलब्ध होगा. गौरतलब है कि एएसआई के नए सर्किल ऑफिस से पश्चिमी उत्तरप्रदेश के सोलह जिलों के इतिहास को संजोया जा रहा है. इन 16 जिलों की 82 साइट्स पर एएसआई की टीम फोकस कर रही है लेकिन सबसे प्रमुख एजेंडे पर है महाभारतकालीन धरती हस्तिनापुर. उम्मीद है कि हस्तिनापुर की धरती महाभारतकालीन और राज अब उगल सकेगी.

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