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देहरादून: तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के उत्तराखंड (Uttarakhand) का मुख्यमंत्री बनने के साथ ही प्रदेश सरकार के मुखिया पद पर 'रावत' सरनेम की हैट्रिक हो गई. तीरथ सिंह ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री हैं जिनका सरनेम रावत है. इससे पहले, उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने साल 2017 से लेकर 2021 तक प्रदेश की बागडोर संभाली. साल 2017 से पहले 2014 में कांग्रेस नेता हरीश रावत मुख्यमंत्री बने थे.
बुधवार को तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही सोशल मीडिया पर एक मीम जमकर होने लगा. लोगों ने कहा एक 'TSR' (त्रिवेंद्र सिंह रावत) गए और दूसरे 'TSR' (तीरथ सिंह रावत) आ गए.
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गढ़वाल के कलगीखल विकासखंड के सीरों में नौ अप्रैल 1964 को जन्मे तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. वह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
रावत वर्ष 2012 से 2017 के बीच उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं. उन्होंने विधानसभा में चौबट्टाखाल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. राज्य के गठन के बाद वह यहां की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे.
रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने का भाजपा नेतृत्व को फैसला चौंकाने वाला रहा. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नामों की चर्चा थी.