Himalayas Rivers: हिमालय को लेकर एक चिंताजनक जानकारी सामने आई है. स्टेट ऑफ इनवायरमेंट (SoE) द्वारा जारी रिपोर्ट में हिमलाय ग्लोबल एवरेज की तुलना में बहुत तेजी से पिघल रहा है. रिपोर्ट में इसकी वजह लगातार बारिश में आई कमी और हर साल बर्फबारी में देरी को बताया गया है.


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मीडिया की खबरों के मुताबिक यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई. हिमालय चेप्टर के राइटर राजू सजवान और अक्षित संगोमला ने कहा है कि तापमान बढ़ने से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इसका प्रभावित इलाकों में लोगों के पानी के स्रोत और रोजगार के अवसरों पर गहरा असर पड़ेगा.


आंकड़ों के मुताबिक हिमालय से निकलने वाली नदियां भारत की करीब 40% जनसंख्या के लिए जल आपूर्ति करती हैं.  ये नदियां भारत की करीब 21 करोड़ आबादी को रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं.


य़ूएन महासचिव ने किया आगाह
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी आगाह किया कि आने वाले दशकों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनद घटने से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों में जल प्रवाह कम हो सकता है.


‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ ग्लेशियर प्रिजर्वेशन’ पर बुधवार (22 मार्च) को आयोजित एक कार्यक्रम में गुतारेस ने कहा, ‘हिमनद पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक हैं. दुनिया के 10 प्रतिशत हिस्से में हिमनद हैं. हिमनद दुनिया के लिए जल का एक बड़ा स्रोत भी हैं.’


एशिया की कई बड़ी नदियां हिमालय से निकलती हैं.
एशिया की 10 प्रमुख नदियां हिमालय क्षेत्र से निकलती हैं, जो इसके जलसम्भर में रहने वाले 1.3 अरब लोगों को जल की आपूर्ति करती हैं.


गुतारेस ने कहा, ‘जैसे-जैसे आने वाले दशकों में हिमनद और बर्फ की चादरें घटेंगी, वैसे-वैसे सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों में इसका प्रभाव दिखेगा और उनका जल प्रवाह कम होता जाएगा.’


यूएन महासचिव ने कहा कि दुनिया पहले ही देख चुकी है कि कैसे हिमालय पर बर्फ के पिघलने से पाकिस्तान में बाढ़ की स्थिति बिगड़ गई है. वहीं समुद्र का बढ़ता स्तर और खारे पानी का प्रवेश इन विशाल ‘डेल्टा’ के बड़े हिस्से को नष्ट कर देगा.


यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन के मौके पर आयोजित किया गया. 


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