‘हिंदी में हर कार्य संभव, हर संभव कार्य हिंदी में’ अब यह महज बैंकों में बोर्ड पर लिखे जाने वाले शब्द नहीं हैं, इन पर तेजी से अमल भी हो रहा है.
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नई दिल्ली: ‘हिंदी में हर कार्य संभव, हर संभव कार्य हिंदी में’ अब यह महज बैंकों में बोर्ड पर लिखे जाने वाले शब्द नहीं हैं, इन पर तेजी से अमल भी हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के कार्यकाल में हिंदी (Hindi) को उसका सम्मान वापस मिल रहा है. सरकारी कार्यालयों से लेकर हर तरफ हिंदी में कामकाज को प्राथमिकता मिल रही है, सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर भी काम कर रही है. आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के मौके पर आइये जानते हैं कि आखिर कब और कैसे हिंदी एक सामान्य भाषा से राजभाषा बन गई.
सहमति, विरोध फिर सहमति
सन् 1947 में आजादी के बाद जब भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ, तो यह प्रश्न निकलकर सामने आया कि आखिर किस भाषा को आधिकारिक भाषा बनाया जाए. क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था और बाद में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया. डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे. काफी विचार-विमर्श के बाद हिंदी को आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार करने पर सहमति बनी. हालांकि, गैर-हिंदी भाषी लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया. जिसके बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया.
इस दिन मना पहला हिंदी दिवस
इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है. हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. उन्होंने 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया. पहला आधिकारिक हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था, तब से हर साल इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं.
जितनी मीठी उतनी सरल
हिंदी जितनी मीठी है उतनी ही सरल भी. अंग्रेजी से इतर हिंदी में जैसा लिखा जाता है, इसका उच्चारण भी उसी प्रकार किया जाता है. देश में कुल 22 अनुसूचित भाषाएं हैं, जिनमें से दो हिंदी और अंग्रेजी को आधिकारिक तौर पर संघ स्तर पर उपयोग किया जाता है. देश में 77 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं, जबकि लगभग 27 करोड़ लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. आधिकारिक कामकाज की भाषा के तौर पर हिंदी का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में काफी बढ़ गया है.
इनका रहा अहम योगदान
हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में यूं तो कई लोगों का योगदान रहा, लेकिन हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, सेठ गोविंद दास और व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने इसमें अहम भूमिका निभाई. सिंह के 50वें जन्मदिन पर यानी 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था. राजेन्द्र सिंह उस दौर में हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने अमेरिका में विश्व सर्वधर्म सभा सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदी में भाषण दिया था, जिसकी काफी सराहना हुई थी.
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