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Survey of Islamic Sites: भारत में इस्लामिक साम्राज्य के आने के बाद कई मंदिरों को इस्लामिक रूप में परिवर्तित कर दिया गया था. बीते कई वर्षों से इस्लामिक रूप में परिवर्तित हुए मंदिरों पर बहस भी छिड़ी हुई है और इस समय काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और दिल्ली की कुतुब मीनार स्थित कुवततुल इस्लाम मस्जिद का मामला कोर्ट में है और हिन्दू पक्ष यहां पूजा पाठ करने की मांग कर रहा है.
हालांकि ये तीन चार धार्मिक स्थल केंद्र बिंदु में जरूर हैं लेकिन हिन्दू मंदिरों से इस्लामिक रूप में परिवर्तित हुए धार्मिक स्थलों की संख्या हजारों में है. भारत में मशहूर इतिहासकार सीताराम गोयल ने वर्ष 1990 में छपी अपनी किताब Hindu temples: What Happened to them में बताया था कि भारत के 1800 से ज्यादा हिन्दू मंदिर ऐसे हैं जिन्हें भारत में इस्लामिक काल आने के बाद इस्लामिक धार्मिक स्थल में आक्रांताओं ने परिवर्तित कर दिया था.
आज ये स्थल इस्लामिक रूप में मौजूद जरूर हैं लेकिन इनके पुरात्व और असल इतिहास की गवाही तो खुद इनकी दीवारें दे रही हैं. इतिहासकार सीताराम गोयल की किताब में जिन हिन्दू धार्मिक स्थलों के इस्लामिक स्थल में परिवर्तित होने का उल्लेख था वहां Zee न्यूज की टीम गई. दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर स्थित कुवततुल इस्लाम मस्जिद इस समय विवादों में भी है और सीताराम गोयल की किताब में इसके परिवर्तन का जिक्र भी था. मस्जिद के बाहर ही लिखा है कि इसका निर्माण 27 हिन्दू जैन मंदिरों को ध्वस्त करके किया गया था. मस्जिद की दीवारों में हिन्दू देवी-देवताओं की शिल्पकृतियां बता रही हैं कि कैसे ये कभी एक प्राचीनकाल में हिंदू मंदिर था और आक्रांताओं ने इसका इस्लामीकरण कर इसे मस्जिद घोषित कर दिया था.
कुतुब मीनार परिसर में ही मौजूद है इल्तुतमिश का मकबरा. मकबरे की दीवारें हो या निचली सतह, दोनों इसके हिन्दू प्रमाणों को साफ साफ दिखा रही हैं. कलाकृति या शिल्पकृति भी ऐसी जैसी किसी दक्षिण भारत के मंदिर में दिखती है. हिन्दू शिल्पकृतियों के बीच कहीं कहीं अरबी के अक्षरों के सहारे इस पर आधिपत्य जताने की कोशिश की जा रही है.
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कुतुब मीनार परिसर में मौजूद अलाई दरवाजे को भारत में इस्लामिक आकृति से बनी पहली इमारत कहा जाता है. गुम्बद नुमा बना यह अलाई दरवाजा कुतुब मीनार के ठीक बगल में मौजूद है. लेकिन अलाई दरवाजे में भी हिन्दू शिल्पकृति साफ-साफ दिखाई देती हैं. यह साफ देखा जा सकता है कि जैसे ध्वस्त किए गए मंदिर के अवशेष से इसका निर्माण किया गया हो. साल 1871 में ASI द्वारा किए गए कुतुब मीनार के सर्वे में तत्कालीन ASI के अधिकारी जेडी बेगलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि अलाई दरवाजा जरूर भारत मे इस्लामिक आकृति से बनी पहली इमारत हो लेकिन इसकी सुंदरता इसमें मौजूद हिन्दू शिल्पकृति की वजह से ही है.
इसके अलावा कुतुब मीनार परिसर में ही मौजूद है अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा और अलाउद्दीन खिलजी का मदरसा. जहां खिलजी का मकबरा किसी उजड़े, ध्वस्त इमारत की गवाही दे रहा है तो मकबरे के अंदर जाने के लिए प्रवेश द्वार है. वहां भी हिन्दू शिल्पकृति साफ साफ नजर आ रही है. खजुराओ जैसे दक्षिण भारत के मंदिर की तरह ही यहां कमल के फूल जैसे प्राचीन शिल्पकृति साफ-साफ नजर आ रही है और इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा जोड़ तोड़ की गवाही दे रही है.
खिलजी के मदरसे में अंदर दीवारों को देख कर यहां हिन्दू शिल्पकृतियां कुछ दबी हुई नजर आती हैं और गुंबद के बारे में ASI के 1926 के सर्वेक्षण के मुताबिक यह गुंबद मंडपा Architecture की निशानी है, जिसका प्रयोग कई प्राचीन हिंदू मंदिरों के निर्माण में होता था.
सीताराम गोयल की किताब हिन्दू टेम्पल्स: WHAT HAPPENED TO THEM में महरौली स्थित कुतुब मीनार से डेढ़ किलोमीटर दूर माधी मस्जिद का भी जिक्र किया था और दावा किया था कि यह कभी हिंदू मन्दिर था जिसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया. माधी मस्जिद को देखने पर भी यह स्पष्ट हो जाता है. मस्जिद का आधा भाग जो सीढ़ियों से नीचे है वो ऊपरी भाग से बिल्कुल अलग दिखाई देता है. जहां निचला भाग राजपूताना कलाकृति दिखता है तो ऊपरी भाग इस्लामिक कलाकृति. मस्जिद के गुम्बद पर कमल के फूल और छज्जे तो ऐसे हैं जैसे राजस्थान के किसी किले के होते हैं.
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इस्लामिक स्थलों में हिन्दू कलाकृति पर भारत सरकार की इतिहास पर शोध करने वाली संस्था भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेश डॉ ओमजी उपाध्याय बताते हैं कि जब इस्लामिक आक्रांता भारत आए थे तो वो जल्द से जल्द भारत के मंदिरों को इस्लामिक रूप देना चाहते हैं. इसी जल्दबाजी में उन्होंने पुर्ननिर्माण करने के बजाए जोड़ तोड़ करना जरूरी समझा. क्योंकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा मंदिरों को परिवर्तित करना उनका लक्ष्य था. इसीलिए आज भी जिन निर्माणों को परिवर्तित किया गया था उनमें हिन्दू शिल्पकृतियां दिखती हैं.
कुतुब मीनार कॉम्प्लेक्स में बनी कुवततुल इस्लाम मस्जिद, इल्तुतमिश का मकबरा, खिलजी का मकबरा और अलाई दरवाजा के बारे में ASI की द्वारा अंग्रेज इंजीनियर जेडी बेगलर के नेतृत्व 1871 में कुतुब कॉम्प्लेक्स में किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट में जेडी बेगलर ने बताया था कि इल्तुतमिश के मकबरे, कुवततुल इस्लाम मस्जिद में हिन्दू साक्ष्य साफ दिखाई देते हैं और ये स्थल इस्लामिक आक्रांताओ द्वारा जोड़ तोड़ का सबसे बड़ा निशान है. इसी तरह खिलजी के मदरसे पर ASI की 1926 की रिपोर्ट में इसके गुंबद को हिदू मन्दिर की कलाकृति के तहत बना हुआ बताया था.
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