हुवावे, अलीबाबा समेत चीनी आर्मी से जुड़ी 7 कंपनियों पर भारत में हो सकता है बड़ा एक्शन
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हुवावे, अलीबाबा समेत चीनी आर्मी से जुड़ी 7 कंपनियों पर भारत में हो सकता है बड़ा एक्शन

ये सभी सातों चीनी कंपनियां मोबाइल और टेक सेक्टर से नहीं जुड़ी हैं. 

हुवावे, अलीबाबा समेत चीनी आर्मी से जुड़ी 7 कंपनियों पर भारत में हो सकता है बड़ा एक्शन

नई दिल्ली: हुवावे, अलीबाबा समेत चीनी आर्मी से जुड़ीं 7 कंपनियों पर भारत में बड़ा एक्शन लिया जा सकता है. ये सभी सातों चीनी कंपनियां मोबाइल और टेक सेक्टर से नहीं जुड़ी हैं. लेकिन इन्होंने भारत की विभिन्न इंडस्ट्रीज में विशाल स्तर का निवेश किया है.

हुवावे और अलीबाबा जैसी बड़ी चीनी कंपनियां, जो सम्भवतया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीनी आर्मी से जुड़ी हुई हैं. इनके खिलाफ भारत में एक्शन हो सकता है. ये कंपनियां उन 7 कंपनियों में से एक हैं, जिनके खिलाफ भारतीय खुफिया सूत्रों ने रिपोर्ट दी है कि इन सभी के तार सीधे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े हुए हैं.

ये सातों कंपनियां हैं, XIndia स्टील्स, जिनजिंग कैथे इंटरनेशनल, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप, हुवावे, अलीबाबा, टेनसेंट और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन. भारत सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ये सभी कंपनियां निगरानी के दायरे में हैं और सम्भवतया इन पर एक्शन लिया जा सकता है.

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अलीबाबा ने तमाम मशहूर भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया
चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे ने इंडियन ऑपरेटर्स से 2018-19 के वित्तीय वर्ष में 12,800 करोड़ की कमाई की है. हुवावे, जिसकी स्थापना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इंजीनियरिंग कोर के डिप्टी डायरेक्टर रेन झेंगफी ने की थी, यूएस, यूके, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे तमाम देशों से 5G से जुड़े वैश्विक मुद्दे पर अलग अलग मामलों का सामना कर रही हैं.

सूत्र बताते हैं कि अलीबाबा, बाइडू और टेनसेंट चीन के मिलिट्री सिविल फ्यूजन और आर्टीफिशियल प्रोजेक्ट्स का हिस्सा हैं. सूत्र यूएस-चीन इकोनॉमिक और सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की 2019 की उस रिपोर्ट की तरफ इशारा करते हैं, जिसमें कहा गया था कि चीन की मिलिट्री-सिविल फ्यूजन पॉलिसी के तहत ‘वेंचर केपिटल फंड्स सहित सरकार समर्थित मैकेनिज्म, सिविल इन्नोवेशन का इस्तेमाल चीन के डिफेंस सेक्टर के फायदे के लिए करते हैं.

अलीबाबा ने तमाम मशहूर भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है, जिनमें पेटीएम, जोमेटो, बिग बास्केट, स्नैप डील, एक्सप्रेसबीज आदि शामिल हैं. टेनसेंट ने बड़ा निवेश भारतीय टेक सेक्टर में किया है, जिनमें 400 मिलियन डॉलर का निवेश ओला कैब्स में और 700 मिलियन डॉलर का निवेश फ्लिपकार्ट में शामिल है.

लेकिन ये केवल टेक या मोबाइल सेक्टर ही नहीं हैं, जहां कि पीएलए से जुड़ी चीनी कंपनियां मौजूद हैं. शंघाई में मुख्यालय वाली चीन की सरकारी ऑटोमोबाइल कंपनी एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन भारत में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) एमजी हैक्टर बेचती है. इस कंपनी की एक सहायक कंपनी नैनजिंग ऑटोमोबाइल्स पहले पीएलए की मोटर सर्विसिंग यूनिट थी.

एक मेटल प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जिनजिंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप भारत में अलग अलग रूप में काम कर रही है, जिनमें एक XIndia स्टील्स लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उपक्रम भी है.

चाइना इलेक्ट्रोनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन (सीईटीसी) के कर्मचारियों को तो सैन्य जासूसी के आरोप में दोषी तक ठहराया जा चुका है और माना जाता है कि ये कंपनी तो चीन के तनावग्रस्त पश्चिमी प्रांत झिनजियांग में मानवाधिकारों उत्पीड़न के लिए टेक्नोलॉजी तक मुहैया करवाती आई हैं. इस कंपनी ने 2018 में आंध्रप्रदेश में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में 320 करोड़ रुपए निवेश किए हैं.

ये खबर तब सामने आई है, जब पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने के बाद भारत सरकार ने मशहूर टिकटॉक एप्प समेत 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. चीन के सैनिकों की मौत भी इस झड़प में हुई थी, लेकिन उसने अभी तक उनकी संख्या नहीं बताई है.

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