Oxygen की किल्लत के बीच अच्छी खबर, IISER भोपाल ने तैयार किया 'ऑक्सीकॉन'
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Oxygen की किल्लत के बीच अच्छी खबर, IISER भोपाल ने तैयार किया 'ऑक्सीकॉन'

कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के बीच बढ़ती मांग देख आईआईएसईआर भोपाल ने सस्ता ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बनाया है. रिसर्चर का मानना है, इसको मंजूरी मिलने के बाद मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की किल्लत से राहत मिल सकती है.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन के लिए हाहाकार है. इस बीच भोपाल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के रिसर्चर ने कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये एक सस्ता ऑक्सीजन कन्संट्रेटर विकसित किया है.

कितनी है लागत?

IISER भोपाल की तरफ से कहा गया है, इस ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की लागत 20 हजार से भी कम है और यह 3 लीटर प्रति मिनट की दर से 93 से 95 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीजन दे सकता है. शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक, फिलहाल इसकी लागत 60 से 70 हजार रुपये है और इसे महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के समाधान के तौर पर विकसित किया गया है.

गांवों से लेकर शहर तक ले जाना होगा आसान

आईआईएसईआर भोपाल के निदेशक शिव उमापति ने कहा, 'ऑक्सीकॉन नाम का यह उपकरण ‘ओपन-सोर्स’ तकनीक और सामग्री का इस्तेमाल करते हुए विकसित किया गया है. एक बार मंजूरी मिलने के बाद इसके साइज की वजह से छोटे गांवों से लेकर शहर तक कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकता है.' ओपन सोर्स तकनीक एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है जो यूज, डिस्ट्रीब्यूशन और अल्टरेशन के लिये स्वतंत्र होती है और इसकी लागत कम होती है.

दूसरी लहर में अधिक उपयोगी

उमापति ने कहा, 'महामारी की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर का प्रकोप बहुत ज्यादा है. इसका प्रसार बहुत ज्यादा है और कई लोगों को आपात ऑक्सीजन सहायता की जरूरत पड़ रही है. इसलिये, देश भर में अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडरों और कंसन्ट्रेटरों की जरूरत है और यह मांग थोड़े समय में बहुत तेजी से बढ़ी है.' शोधकर्ताओं का कहना है कि विकसित किया गया उपकरण छोटा, एक जगह से दूसरे जगह ले जाने योग्य और आसानी से कहीं भी फिट किये जाने लायक है.

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ये है खासियत

आईआईएसईआर भोपाल में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर मित्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि इसमें दो कंप्रेसर होते हैं जो हवा में मौजूद हवा लेकर उन्हें जियोलाइट नामक पदार्थ से भरी दो vessels में अधिकतम दबाव के साथ गुजारते हैं. अल्टरनेट साइकल्स में इन दोनों vesseld का इस्तेमाल किया जाता है और इसके लिये इलेक्ट्रिकल तरीके से नियंत्रित वाल्व का प्रयोग किया जाता है जिससे यह प्रक्रिया स्वचालित होती है और निर्बाध ऑक्सीजन मिलती है. उन्होंने कहा, 'जियोलाइट हवा में मौजूद नाइट्रोजन को अवशोषित कर लेता है और वापस हवा में छोड़ देता है, इससे निकास द्वार पर हवा में ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ जाती है.'

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