ImmunityConclaveOnZee में AIIMS के महानिदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा...
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नई दिल्ली: कोरोना काल में आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण आपका स्वास्थ्य, आपकी सेहत और आपकी इम्युनिटी है. जिस अदृश्य दुश्मन से दुनिया लड़ रही है, उसे हराने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपका शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो. इसलिए ZEE NEWS आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम इंडिया इम्युनिटी E-CONCLAVE लाया है.
ImmunityConclaveOnZee में AIIMS के महानिदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना का पीक टाइम अलग क्षेत्रों में अलग समय पर आएगा. दिल्ली, मुंबई जैसे क्षेत्रों में पीक अलग समय पर आएगा, अगर कभी कोरोना के मामले कम भी होते हैं लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद दोबारा सेकेंड वेव आ सकती है. ऐसा अमेरिका में पहले हो भी चुका है.
कोरोना के मामले अभी तो कुछ टाइम तक बढ़ेंगे. अभी सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. सभी सावधानी बरतेंगे तो कर्व को फ्लैट किया जा सकता है.
कोरोना का पीक कब तक आएगा उसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है क्योंकि ये अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग समय पर आएगा. पीक आने के बाद भी ये दोबारा आ सकता है. कोरोना हमारे साथ महीनों, सालों तक रह सकता है. हमें साथ में नहीं बैठना चाहिए, खाना नहीं खाना चाहिए. ये सबको देखना पड़ेगा.
लोग अनलॉक के बाद सावधानियां कम बरत रहे हैं, बाजार में बिना मास्क के चले जाते हैं, ये समझना जरूरी है कि अब हमारी जिम्मेदारी पहले के मुकाबले अब ज्यादा बढ़ गई है.
शहरों की बात करें तो एक समय ऐसा आएगा कि ज्यादातर लोगों को इंफेक्शन हो चुका होगा. फिर उनकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी और उसके बाद मामले कम होना शुरू होंगे. अगर पूरे देश की बात करें तो साउथ में केरल में मामले कम हुए हैं.
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लॉकडाउन के वक्त 2 महीने में हमें मौका मिला जब हमने कोरोना से निपटने के लिए तैयारी की. इस समय हमने डॉक्टरों की ट्रेनिंग की, वेबिनार किए गए. हॉस्पिटल में 1500 बेड कोरोना मरीजों के लिए रखे गए हैं. 10 हजार बेड वाला क्वारंटाइन सेंटर भी दिल्ली में बनाया गया है. मेरा मानना है कि बेड कम नहीं पड़ेंगे.
यूरोप के मुकाबले हमारी इम्युनिटी ज्यादा है इसीलिए यहां रिकवरी रेट अच्छा है. हम घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं इसकी वजह से भी ऐसा है.
देश में अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है लेकिन हमें ध्यान रखना है कि आगे ये हो सकता है. हम इसका कारण कभी नहीं बनें, हम हमेशा मास्क लगाएं. अगर आप जॉब करते हैं या डेली वेजेस पर काम करते हैं ऐसे में जब कई बार कोरोना का कोई लक्षण दिखता है तो हम पैरासीटामॉल लेकर काम पर जाते हैं. इसके लिए हमें सावधान रहना होगा. सावधानियां बरत कर ही परिवार वालों और ऑफिस के स्टाफ को बचाया जा सकता है.
वैक्सीन 15 अगस्त तक बनना मुश्किल है. पहले उसका टेस्ट करना होगा. कई वैक्सीन पहले आईं जिनसे शरीर में एंटीबॉडी ज्यादा बनीं तो नुकसान हो गया. इसीलिए सावधानी की जरूरत है. पहला चरण पार करने के बाद दूसरा चरण और फिर हम वैक्सीन की मास मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जा सकते हैं.
हम अपने स्वास्थ्यकर्मियों को अभी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दे रहे हैं जिससे फायदा भी हो रहा है. लेकिन बाकी दवाइयां मुझे कारगर नहीं लगती हैं.
ये हो सकता है कि भारत ही कोरोना की पहली वैक्सीन लेकर आएगा. भारत में कई कंपनियां काम कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सहयोग से भी काम हो रहा है. मेरा मानना है कि हम ही वैक्सीन पहले लाएंगे. कोरोना कब तक जाएगा ये अभी नहीं कह सकते.