बहाने छोड़ कांग्रेस को अपनाना होगा ये तरीका, गांधी परिवार के इस्तीफों से बनेगा काम
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बहाने छोड़ कांग्रेस को अपनाना होगा ये तरीका, गांधी परिवार के इस्तीफों से बनेगा काम

सोनिया गांधी को ये तो दिख रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन उन्हें ये नहीं दिख रहा कि कांग्रेस खतरे में हैं. आज कांग्रेस पार्टी अपनी हार के लिए उन्हीं सोशल मीडिया Platforms को जिम्मेदार बता रही है, जिनकी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एक समय उसने बड़ा आन्दोलन चलाया था.

बहाने छोड़ कांग्रेस को अपनाना होगा ये तरीका, गांधी परिवार के इस्तीफों से बनेगा काम

नई दिल्ली: सोनिया गांधी ने संसद में ये मांग की है कि चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक लगनी चाहिए और Facebook और Twitter जैसे Platforms लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं. इससे पहले कांग्रेस चुनाव हारने के बाद कहती थी कि EVM हैक कर ली गई हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस कह रही है कि सोशल मीडिया Platforms ने लोकतंत्र को हैक कर लिया है और वो सोशल मीडिया पर चल रहे दुष्प्रचार की वजह से हारी है. ये चुनावी हार का एकदम नया बहाना है.

  1. अब कांग्रेस ने ढूंढा चुनावी हार का नया बहाना
  2. गांधी परिवार की जिम्मेदारी तय होना जरूरी
  3. कांग्रेस के विकास में रोड़ा है गांधी परिवार

चुनावी हार का नया बहाना

सोनिया गांधी को ये तो दिख रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन उन्हें ये नहीं दिख रहा कि कांग्रेस खतरे में हैं. आज कांग्रेस पार्टी अपनी हार के लिए उन्हीं सोशल मीडिया Platforms को जिम्मेदार बता रही है, जिनकी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एक समय उसने बड़ा आन्दोलन चलाया था. एक और बात, कांग्रेस उस सोशल मीडिया पर सवाल उठा रही है, जिस पर ये माहौल बनाया गया कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव आ रहे हैं. जिस पर पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी की फिर से सरकार बनने का दावा किया गया और ये वही सोशल मीडिया है, जिसने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का सबसे बड़ा सुपरस्टार साबित कर दिया था. आपको नवजोत सिंह सिद्धू का 2018 का वो भाषण जरूर याद होगा, जिसने सोशल मीडिया पर उन्हें कांग्रेस का हीरो बना दिया था. तब उन्होंने राहुल गांधी की तारीफ में शेर पढ़े थे और सोनिया गांधी के पैर भी छुए थे.

कांग्रेस को करनी चाहिए इस बात की चिंता

सोनिया गांधी को सोशल मीडिया पर कांग्रेस के घटते Followers से ज्यादा चुनावों में कांग्रेस के घटते वोट की चिंता करनी चाहिए. उन्होंने सोशल मीडिया को दोष देने के बजाय, ये समझना चाहिए कि कांग्रेस जमीनी स्तर पर क्या गलती कर रही है. 

सोनिया की सबसे बड़ी लगती

सोनिया गांधी की एक गलती तो ये है कि चुनाव हारने के बाद उन्होंने अपने 5 प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे भी ले लिए हैं. लेकिन ना तो अपने बेटे पर कोई कार्रवाई की है और ना ही अपनी बेटी से इस्तीफा लिया है. गांधी परिवार का मानना है कि इन राज्यों में पार्टी को जो हार मिली है, उसके लिए ये सभी नेता जिम्मेदार हैं. लेकिन सवाल ये है कि यही नियम और कानून कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार पर लागू क्यों नहीं होता.

2014 के बाद 40 चुनाव हारी कांग्रेस

2014 के बाद से अब तक 45 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस पार्टी ने 40 चुनाव हारे हैं. यानी गांधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी हर साल औसतन 5 चुनाव हार रही है. लेकिन इसके बावजूद ना तो सोनिया गांधी का इस्तीफा होता है, ना राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा देते हैं और ना ही प्रियंका गांधी वाड्रा की जिम्मेदारी तय की जाती है.

सोनिया गांधी को अपनाना होगा ये तरीका

आज सोनिया गांधी के लिए सबसे अच्छा रास्ता ये होगा कि वो खुद पार्टी अध्यक्ष बनी रहें लेकिन अपने दोनों बच्चों को अब सक्रिय राजनीति से दूर कर दें. वर्ना कांग्रेस में जो थोड़ी बहुत जान बची है, वो भी निकल जाएगी. राहुल गांधी कांग्रेस के केवल 1 सांसद हैं. लेकिन वो पार्टी में सारे बड़े फैसले लेते हैं. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने से लेकर चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने तक सभी फैसले उन्होंने ही लिए. वो चुनावों में कांग्रेस के लिए रैलियां करते हैं, बड़े-बड़े ऐलान करते हैं. जबकि वो पार्टी की ओर से सिर्फ सांसद हैं.

प्रियंका की तय हो जिम्मेदारी

इसी तरह प्रियंका गांधी वाड्रा आज तक ना तो विधायक बनी हैं और ना ही सांसद बनी हैं. लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ती है. वो पार्टी में महासचिव के पद पर हैं. इस पद पर दूसरे किसी भी नेता को पहुंचने में 15 से 20 साल राजनीति में देने पड़ते. लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा को ये पद आसानी से मिल गया. इसलिए सोनिया गांधी कांग्रेस को पुनर्जीवित करना चाहती हैं तो उन्हें पार्टी के बड़े फैसलों से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दूर रखना होगा.

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