भारत और चीन सीमा: माइनस 40 डिग्री पर आईटीबीपी कर रही है सीमा की रखवाली
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भारत और चीन सीमा: माइनस 40 डिग्री पर आईटीबीपी कर रही है सीमा की रखवाली

लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का मौसम इस वक़्त बेहद सर्द है लेकिन  जवान हर वक़्त सीमा पर मुस्तैद रहते हैं.

भारत-चीन सीमा पर ड्यूटी करना इतना आसान भी नहीं है....

देहरादून: भारत-चीन सीमा के कई इलाकों में बेहद खराब मौसम है और हर तरफ बर्फबारी हो रही है. ऐसे में इन इलाकों की निगरानी करनी आसान नहीं है. जब से भारत-चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ है, तब से सीमा पर कड़ी चौकसी रखी जा रही है. आज हम भारत औऱ चीन सीमा की रखवाली करने वाले उन बहादुर हिमवीरो से आपकी मुलाकात कराएंगे जो इन विषम परिस्थितियों के बावजूद सीमा पर हर वक़्त मुस्तैद हैं. आपने सियाचिन में भारतीय सेना के जवानों को दुनिया के सबसे उंचे लड़ाई के मैदान में देश की सीमाओं की रखवाली करते काफी देखा और सुना होगा लेकिन भारत-चीन सीमा पर सियाचिन की तरह ही ऐसे कई इलाके हैं जहां पर आइटीबीपी तैनात है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का मौसम इस वक़्त बेहद सर्द है लेकिन  जवान हर वक़्त सीमा पर मुस्तैद रहते हैं.

भारत-चीन सीमा पर ड्यूटी करना इतना आसान भी नहीं है. खासतौर पर जब दूर इन वीरान पहाड़ों में दूर-दूर तक कोई बस्ती न हो. यहीं नहीं इन सीमाओं में ज्यादातर ऐसे इलाके हैं जहां पर सड़कें नहीं है और अपने बेस कैंप तक आने में ही इन जवानों को 5-6 दिन लग जाते हैं. ऐसे में ये जवान बर्फ में बने घरों जिसे इगलो कहा जाता है, उसमें अपनी जान बचाते हैं और जब बर्फबारी और तूफान रुक जाते हैं तो फिर ये पेट्रोलिंग के लिए ये जवान निकल पड़ते है. ऐसे सर्द मौसम का फायदा दुश्मन उठा सकता है इसलिए सीमा पर कड़ी चौकसी रखनी जरूरी है.

आईटीबीपी जवान सुनील कुमार का कहना है, "जब हम पेट्रोलिंग के लिए जाते हैं तो कई बार ऐसा भी होता है कि मौसम अचानक खराब हो जाता है बर्फ़ीली हवाएं चलती हैं और हमें इस सर्द मौसम की मार से बचने के लिए किसी सुरक्षित जगह रूक कर सही मौसम का इंतजार करना होता है मौसम कब सही होगा इसका कोई भरोसा नही होता."  

इन इलाकों में सीमा की रखवाली के लिए आईटीबीपी की महिला जवान भी तैनात है जो अपने दूसरे साथियों की तरफ ही सीमा पर तैनात है. देश की बहादुर बेटियों का जोश देखते ही बनता है. आईटीबीपी जवान आरती सिंह का कहना है, "हमारे लिए ये फख्र की बात है कि हमे देश की सेवा का मौका मिला है. जब मुझे शुरू-शुरू में इस बर्फीले इलाके में तैनात किया गया तो शरू में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन हमें जो ट्रेनिंग दी गई है, हम उससे ऐसे चुनौतियों से निपटने में अब पूरी तरफ सक्षम हैं." 

ऐसी कठिन ड्यूटी के लिए इन जवानों को कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना होता है. ऐसे में जवानों को फिट रहना बेहद जरूरी है. हिमवीरो का जोश देखते ही बनता है. इस कड़ाके की ठंड और बर्फ के बीच ये जवान नंगे बदन कभी कराटे की प्रैक्टिस करते हैं तो कभी दुश्मन को सिहरा देने वाले खतरनाक एक्शन करते हैं. जिन आईटीबीपी के जवानों को चीन सीमा पर तैनात किया जाता है उन्हें पहले उत्तराखंड के औली में बने मोउंटीरिंग एंड स्किंग इंस्टीट्यूट में 6 हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. इन जवानों को वो सब कुछ सिखाया जाता है जिससे वो इन इलाकों में अपने आप को जिंदा रख सके. 

माउंटीरिंग एंड स्किंग इंस्टीट्यूट के डीआईजी जीएस चौहन का कहना है, "देखिए हम अपने जवानों को ऐसे ट्रेनिग देते है जिससे वो ऐसे मौसम में बचाव कर सके .पहले उन्हें सिखाया जाता है कि खुद को कैसे फिट रखना है अगर हमारे जवान फिट नही होंगे तो देश की सुरक्षा कैसे होगी." जब देश के लिए मर मिटने का जज्बा हो तो हर चुनौती बड़ी आसान लगती है...अपने परिवार से दूर इन जवानों के दिल में सिर्फ भारत बसता है. 

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