जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते (Paris Agreement) की पांचवीं वर्षगांठ पर आयोजित हुई वैश्विक समिट 'क्लाइमेट एक्शन समिट' में भारत और यूरोप के सांसदों के अलावा जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ आपसी सहयोग और विचार-विमर्श पर चर्चा के लिए एक साझा मंच पर आए.
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नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर पेरिस समझौते (Paris Agreement) की पांचवीं वर्षगांठ पर 12 दिसंबर को वैश्विक समिट 'क्लाइमेट एक्शन समिट’ का आयोजन हुआ. इसमें भारत व यूरोप के सांसद और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ आपसी सहयोग और विचार-विमर्श पर चर्चा के लिए एक साझा मंच पर आए. ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक यूरोप एशिया फाउंडेशन लिमिटेड (ईएएफएल) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में तय हुआ कि जलवायु परिवर्तन से निपटने पर एक साथ काम किया जाएगा.
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर यूरोप एशिया फाउंडेशन लिमिटेड के वेबिनार की सीरीज का पहला भाग 'इंडिया टॉक्स' था. वेबिनार के पैनल में राज्य सभा सांसद एमजे अकबर (MJ Akbar), यूरोपीय संघ के भारत के पूर्व राजदूत मनजीव पुरी, एमईपी बैस ईखौत और यूरोपीय नीति केंद्र के वरिष्ठ नीति विश्लेषक एनिका हेडबर्ग शामिल हुए. पूर्व जर्मन पर्यावरण मंत्री और एमईपी जो लेइनन ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और यूरोप एशिया फाउंडेशन लिमिटेड के निदेशक और पूर्व एमईपी नीना गिल ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की.
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यूरोपीय संघ के भारत के पूर्व राजदूत मनजीव पुरी ने चर्चा के दौरान कहा कि भारत और यूरोपीय संघ ने अपने एजेंडे में जलवायु परिवर्तन को बहुत पहले से ही स्वीकार कर लिया है. महामारी के कारण संदेह के बावजूद, हम पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को जन आंदोलन बनाकर पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत कैसे बदल गया है. इस तरह के मुद्दों को पहले प्राथमिकताओं के निचले छोर में जगह मिली. परोपकार की तरह ही, घर में भी जलवायु परिवर्तन शुरू होता है. इससे पहले कि हम दूसरों की ओर उंगलियां उठाना शुरू करें, थोड़ा सा आत्मनिरीक्षण आवश्यक है.
मनजीव पुरी ने 7 दिसंबर को जारी क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स पर हालिया रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें बताया गया है कि भारत जलवायु परिवर्तन में शीर्ष दस सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों में से है. 2014 में जब प्रधान मंत्री मोदी ने पदभार संभाला था, तब भारत को उसी सूचकांक में 31वें स्थान पर रखा गया था. तब से, भारत ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है.
एमजे अकबर ने पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से हरित ऊर्जा में सहयोग की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'सौर ऊर्जा कागज पर सस्ती है, लेकिन जब तक बैटरी भंडारण की समस्या का समाधान नहीं किया जाता है, यह पूरी तरह भरोसेमंद पहल नहीं हो सकती है. हम इसे सुलझाने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं. हमें लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करना होगा.'
एमजे अकबर ने आगे कहा, 'जिन देशों ने बड़े पैमाने पर कोयले का इस्तेमाल किया है और संकट में बहुत योगदान दिया है, वे हमें उपदेश और व्याख्यान नहीं दे सकते हैं. एक प्रतिबद्धता है, जिसे बनाया गया है. 100 बिलियन डॉलर एक शब्द है जिसका उल्लेख किया गया है. मैं नहीं जानता कि विकासशील देशों में इनमें से कितने डॉलर पहुंचे हैं. यदि हमने इस वर्ष से कुछ नहीं सीखा है, तो हमारा भविष्य निश्चित रूप से निराशावादी है.'
यूरोप एशिया फाउंडेशन लिमिटेड (EAFL) एक यूके आधारित संगठन है, जो गहन सोच के लिए एक मंच प्रदान करता है और यूरोप व एशिया के लोकतंत्रों को एक साथ लाता है. यह दोनों पक्षों के प्रमुख हितधारकों के लिए एक जगह प्रदान करने और आपसी हित के मुद्दों पर स्पष्टता लाने के लिए काम करता है. इसका उद्देश्य दोनों क्षेत्रों में अच्छी प्रथाओं को साझा करने के लिए एक स्थान प्रदान करना है और दोनों क्षेत्रों के हितधारकों के बीच एक संरचित बातचीत के माध्यम से सफल मॉडल और नीति समाधानों की प्रतिकृति को प्रोत्साहित करना है.