विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, भारत 2023 में ही सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन (China) को पीछे छोड़ देगा. अनुमान के मुताबिक तब देश की आबादी 1 अरब 42 करोड़ तक पहुंच जाएगी. वहीं आगामी दस सालों में अमेरिका (USA) तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा.
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नई दिल्ली: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) की 2020 रिपोर्ट में भारत में जलवायु परिवर्तन (India’s first climate change ) की शुरुआत को लेकर अहम जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में अगले दशक के भारत को लेकर कुछ महत्वपूर्ण पूर्वानुमान लगाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में क्लाइमेट चेंज की शुरुआत बीसवीं सदी में हुई जो भविष्य में भी जारी रहेगी. कोरोना महामारी की वजह से दुनिया 2021 में एक नई शुरुआत कर रही है. आइए नजर डालते भारत में आने वाले दशक में होने जा रहे कुछ बदलावों पर.
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, भारत 2023 में ही सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन (China) को पीछे छोड़ देगा. अनुमान के मुताबिक तब देश की आबादी 1 अरब 42 करोड़ तक पहुंच जाएगी. वहीं आगामी दस सालों में अमेरिका (USA) तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा. साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी एक अरब 21 करोड़ थी.
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मौसम विभाग मंत्रालय ने डिटेल्ड अध्यन के बाद ये रिपोर्ट प्रकाशित की. जिसमें दुनिया के कई अहम संस्थानों की रिपोर्ट का अध्यन करने के बाद ये पूर्वानुमान लगाए गया है.
देश के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों की आबादी में असमान वृद्धि के राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिलेंगे. फिलहाल देश की संसदीय सीटों का निर्धारण 1971 की जनगणना पर आधारित है. मौजूदा संद में लोकसभा के लिए 543 सीट और राज्य सभी के लिए 245 सीटें हैं. ऐसे में दिल्ली में बनने जा रही नई संसद में भी दशकों की आबादी का ध्यान रखा गया है. संसद की नई इमारत में लोकसभा के लिए कुल 888 सीटों का इंतजाम होगा. राज्य सभा के लिए 384 सीट तय की गई हैं. त्रिकोणीय संसद केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है. उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार जैसे राज्यों में परिसीमन यानी डिलिमिटेशन की मांग लंबे समय से हो रही है. हालांकि साल 2026 तक देश की लोकसभा सीटों की संख्या में बदलाव संभव नहीं है. लेकिन देश की सरकार ऐसे कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 20 वीं शताब्दी के मध्य से देश में शुरू हुआ जलवायु परिवर्तन आगे भी जारी रहेगा. यानी साफ है कि भविष्य में भी हमें भारत में अप्रत्याशित गर्मी या अप्रत्याशित ठंड, भारी बारिश या बाढ़ जैसे दुष्परिणाम, कुदरत के कहर के तौर पर देखने को मिलेंगे.
महामारी के कारण दुनिया में पैदा हुई मुश्किलों का असर भारत में भी देखने को मिलेगा. साल 2020-2021 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 41 साल बाद पहला संकुचन देखने को मिलेगा. इसके बाद के बाकी वर्षों में बहुत सी चीजें इस बात पर भी निर्भर करेंगी कि देश की देश कामकाजी उम्र (20-59 साल) वाली आबादी वर्तमान चुनौतियों से किस तरह से निपटते हुए नए अवसरों का लाभ उठाएगी.
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