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नई दिल्लीः 2021 में भारत के लोगों ने 12 महीनों में से तीन महीने सिर्फ़ अपने मोबाइल फोन की Screen देखते हुए बर्बाद कर दिए. भारत के लोगों को अपने मोबाइल फोन और इंटरनेट का इतना नशा है कि.. वो अपने दिन के लगभग पांच घंटे अपने मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं. कल हमने आपको बताया था कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है और अगले 20 वर्षों में भारत के युवाओं ने परिश्रम किया तो भारत सुपर पावर बन जाएगा. लेकिन अगर स्थिति ऐसी रही तो भारत के लोग अगले 20 वर्षों में लगभग साढ़े चार साल मोबाइल फोन चलाते हुए बर्बाद कर देंगे और साढ़े 6 साल सोते हुए गुज़ार देंगे. तो फिर ये लोग काम कब करेंगे?..
इस स्टडी के मुताबिक़ वर्ष 2021 में भारत के लोगों ने साल के 12 महीनों में से लगभग तीन महीने मोबाइल फोन चलाने में बिता दिए. इसके अलावा भारत में अब प्रत्येक व्यक्ति औसतन हर दिन 4 घंटे 45 मिनट मोबाइल फोन चलाता है. वर्ष 2020 में ये समय 4 घंटे 30 मिनट था. जबकि 2019 में यही समय 3 घंटे 45 मिनट था. यानी धीरे-धीरे हमारे देश के लोग मोबाइल फोन की स्क्रीन में कैद होते जा रहे हैं. और इसे आप नए दौर की मोबाइल फोन वाली गुलामी भी कह सकते हैं.
इस गुलामी के खतरों का अन्दाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि अगर भारत का हर एक युवा मोबाइल फोन पर रोज़ाना औसतन 5 घंटे बिताता है, तो इस हिसाब से वो अगले 20 साल में अपने 4 साल 2 महीने सिर्फ़ मोबाइल चलाते हुए ही बर्बाद कर देगा.
अगर वो प्रति दिन औसतन आठ घंटे की नींद लेता है तो इस तरह वो लगभग 6 साल 7 महीने का समय सोने में गुजार देगा यानी अपने अगले 20 साल में से वो लगभग 11 साल सिर्फ सोने और मोबाइल फोन पर वीडियो गेम खेलते हुए नष्ट कर देगा. और जो बाकी 9 साल बचेंगे, उसमें युवाओं पर देश को सुपर पावर बनाने की ज़िम्मेदारी होगी. हालांकि, इस समय में भी वो देश को विश्व गुरु बनाने के लिए परिश्रम करना चाहेंगे या नहीं, ये एक बड़ा सवाल है.
भारत के लिए चुनौती इसलिए भी ज्यादा हैं, क्योंकि हमारे देश के युवा अपनी नज़रें मोबाइल फोन से हटाना ही नहीं चाहते. Screen Time के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है. Screen Time का मतलब होता है कि लोग दिनभर में कितना समय अपने मोबाइल फोन, Computer और Laptop की Screen देखते हुए गुज़ार देते हैं. इस सूची में ब्राज़ील पहले, इंडोनेशिया दूसरे, साउथ कोरिया तीसरे और मेक्सिको चौथे स्थान पर है. जबकि जापान, सिंगापुर, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश स्क्रीन टाइम के मामले में भारत से बेहतर स्थिति में है.
इसी तरह मोबाइल Apps को Download करने के मामले में भारत पूरी दुनिया में दूसरे नंबर है. वर्ष 2021 में भारत में 2 हजार 670 करोड़ Apps Download किए गए. हालांकि इस मामले में चीन पहले स्थान पर रहा. वहां पिछले साल 9 हज़ार 840 करोड़ Apps Download किए गए. भारत में इस समय 46 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है. अगर ये 46 करोड़ बच्चे एक देश बनाएं तो आबादी के लिहाज़ से ये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन सकता है. ये वो 46 करोड़ बच्चे हैं, जो अगले 20 वर्षों में भारत की वर्क फोर्स में शामिल होंगे, यानी अगले दो दशकों तक भारत की अर्थव्यवस्था का जिम्मा इन्हीं लोगों पर होगा. लेकिन चुनौती ये है कि, इनमें से सात करोड़ बच्चे Online Gaming का शिकार हो चुके हैं.
हमारे देश में भले इस ख़तरे को गम्भीरता से नहीं लिया जाता. लेकिन हम चाहें तो चीन से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं. चीन ने अपने युवाओं को Online Gaming की लत से बचाने के लिए कड़े नियम बना दिए हैं. वहां अब लोग हफ्ते में 3 घंटे ही Online Game खेल सकते हैं. और हमें लगता है कि भारत में भी आज ऐसे नियम कानून लागू करने की आवश्यकता है. मोबाइल फोन की गुलामी के कई दूसरे खतरे भी हैं. उदाहरण के लिए हाल ही में भोपाल में 11 साल के एक बच्चे ने इसलिए खुदकुशी कर ली, क्योंकि उसके माता पिता उसे Online Game खेलने से रोकते थे. इस बात से ये बच्चा इतना परेशान हुआ कि उसने अपनी जान ले ली.
भोपाल में ही पिछले साल भी 13 साल के एक बच्चे ने इसी तरह फांसी लगा ली थी. तब इस बच्चे ने अपनी मां के UPI अकाउंट से 40 हजार रुपये निकालकर Online गेम में खर्च कर दिये थे और बाद में ये पैसे वो हार गया था. इसी के बाद परिवार के डर से इस बच्चे ने भी खुदकुशी कर ली थी. इसलिए हमें लगता है कि आज इंटरनेट के इस नशे से य़ुवाओं को बचाने की ज़रूरत है. दुनिया में एक जीबी डेटा की औसतन कीमत 320 रुपये के आसपास है. जबकि भारत में एक जीबी डेटा की औसतन कीमत 40 से 50 रुपये के बीच है. यानी भारत में इंटरनेट एक सस्ता नशा है और इसीलिए यहां लोग बेहिसाब तरीक़े से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.