पाकिस्तान को चीन का 'तोहफा', ड्रैगन की समुद्र शक्ति कितनी खतरनाक?
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पाकिस्तान को चीन का 'तोहफा', ड्रैगन की समुद्र शक्ति कितनी खतरनाक?

भारत के खिलाफ जिस टू फ्रंट वार की थ्योरी रखी जाती है, असल में ये Warship उसी का हिस्सा है. टू फ्रंट वार का मतलब है, जब भारत को एक ही समय पर पाकिस्तान और चीन दोनों से युद्ध लड़ना पड़े. चीन इसी थ्योरी पर काम कर रहा है.

पाकिस्तान को चीन का 'तोहफा', ड्रैगन की समुद्र शक्ति कितनी खतरनाक?

नई दिल्ली: चीन ने अपना अब तक का सबसे आधुनिक और शक्तिशाली युद्धपोत पाकिस्तान को दे दिया है, जिसे पाकिस्तान हिंद महासागर में तैनात करेगा. ये जहाज कहने को तो पाकिस्तान की नौसेना में होगा, लेकिन इसका रिमोट कंट्रोल चीन के पास होगा, इतना ही नहीं चीन की नौसेना अब दुनिया की सबसे बड़ी और शक्तिशाली नौसेना बन गई है और उसने अमेरिकी नौसेना को भी पीछे छोड़ दिया है, जिससे भारतीय उपमहाद्विप में एक बहुत बड़ा असंतुलन पैदा हो सकता है. 

  1. हिंद महासागर पर चीन की ना'पाक' नजर
  2. हिंद महासागर में भारत Vs चीन और पाकिस्तान
  3. चीन-पाकिस्तान की वारशिप वाली यारी

क्या चाहते हैं चीन-पाकिस्तान?

चीन ने पाकिस्तान की नौसेना को अब तक का सबसे बड़ा और आधुनिक वारशिप सौंपा है. नेवी की भाषा में कहें तो ये Type 054-A सीरीज का Frigates है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में समुद्री लड़ाकू जहाज कहा जाता है और नोट करने वाली बात ये है कि चीन ने पहली बार किसी देश को इस सीरीज का सबसे एडवांस्ड वारशिप दिया है. इसलिए यहां ये समझना जरूरी है कि चीन और पाकिस्तान आखिर चाहते क्या हैं?

ये है चीन की चाल?

पाकिस्तान इस वारशिप को अरब सागर में तैनात करने वाला है, जिससे उसे दो फायदे होंगे. पहला वो भारत के पश्चिमी समुद्री तटों की निगरानी कर सकेगा और दूसरा खाड़ी देशों से भारत को जो तेल और दूसरे कच्चे माल की सप्लाई होती है, उसे युद्ध जैसी स्थिति में सीधे तौर पर प्रभावित कर सकेगा. कहने के लिए तो ये वारशिप पाकिस्तानी नौसेना में अपनी सेवाएं देगा, लेकिन इसकी ईमानदारी चीन के साथ भी होगी. वो इसलिए क्योंकि इस वारशिप का प्रमुख काम है, निगरानी करना और अरब सागर में इसकी तैनाती से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर पाकिस्तान और चीन के लिए नजर रखना आसान हो जाएगा.

टू फ्रंट वार की थ्योरी पर काम

भारत के खिलाफ जिस टू फ्रंट वार की थ्योरी रखी जाती है, असल में ये वारशिप उसी का हिस्सा है. टू फ्रंट वार का मतलब है, जब भारत को एक ही समय पर पाकिस्तान और चीन दोनों से युद्ध लड़ना पड़े. अगर ऐसी परिस्थितियां बनीं तो इस तरह के वारशिप सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होंगे क्योंकि ये पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए एक यूनिट के तौर पर युद्ध के मैदान में खड़े होंगे. वर्ष 2017 में हुए रक्षा सौदे के तहत चीन ऐसे कुल चार वारशिपs पाकिस्तान को देने वाला है. इनमें एक उसे सौंपा जा चुका है और बाकी तीन युद्धपोत भी उसे जल्द मिल जाएंगे.

ये है बड़ा खतरा

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान कराची बंदरगाह पर भी ऐसे वारशिप तैनात कर सकता है, जो भारत के लिए अच्छी खबर नहीं होगी. कराची बंदरगाह से गुजरात का समुद्री तट सिर्फ 300 किलोमीटर दूर है. जबकि ये वार शिप जिन मिसाइल से लैस हैं, वो 7 हजार किलोमीटर की रेंज तक फायर कर सकती हैं. सोचिए.. कराची बंदरगाह से दिल्ली की दूरी लगभग एक हजार किलोमीटर है और ये मिसाइल 7 हजार किलोमीटर की रेंज तक फायर कर सकती हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि ये वारशिप सतह से सतह, सतह से हवा और पानी के नीचे भी हमला करने में सक्षम है और इससे एक बार में एक साथ 32 मिसाइल दागी जा सकती हैं.

वारशिप के नाम के क्या मायने?
ये युद्धपोत आधुनिक सर्विलांस सिस्टम से लैस है, आसानी से किसी भी रडार सिस्टम को चकमा दे सकता है और इसमें एक मिनट में कई राउंड फायर करने वाली एडवांस तोपें भी लगी हुई हैं. चीन ने वैसे तो इस युद्धपोत की कीमत नहीं बताई है लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस तरह के एक वारशिप की कीमत 350 मिलियन यूएस डॉलर यानी लगभग 2 हजार 600 करोड़ रुपये तक हो सकती है. इस वारशिप से जुड़ी एक और बात है, जिस पर बहुत सारे लोगों का ध्यान नहीं जा रहा. वो है इसका नाम. पाकिस्तान ने इसे PNS तुगरिल नाम दिया है. तुगरिल मध्यकालीन सलजूक सल्तनत का शासक था, जिसने 11वीं सदी में ईरान पर कब्जा कर लिया था.

इस्लामिक ताकतों के नापाक इरादे?
कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतें जिस गजवा-ए- हिंद के लिए खुरासान के इलाके पर विजय को जरूरी बताती हैं, उस इलाके पर भी तुगरिल ने जीत हासिल की थी. माना जाता है कि खुरासान का इलाका ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों तक फैला है, जहां से इस्लामिक ताकतें भारत की तरफ बढ़ेंगी और फिर इस देश को भी इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया जाएगा. यानी इस वारशिप के नाम में ही सबकुछ रखा है और इससे आप पाकिस्तान की नीयत और उसके इरादों को समझ सकते हैं. हालांकि पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा फायदा ये है कि चीन उसका पूरा साथ दे रहा है.

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दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना चीन के पास 
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वारशिपs चीन के पास हैं. इनकी संख्या 168 है. जबकि भारत के पास कुल 46 वारशिपs हैं और पाकिस्तान के पास केवल 10 हैं. यानी भारतीय नौसेना की तुलना में पाकिस्तान की नौसेना काफी कमजोर है लेकिन अगर पाकिस्तान को चीन का साथ मिल जाए तो वो भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकते हैं. यूएस डिफेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना अब अमेरिका के पास नहीं बल्कि चीन के पास है. चीन की नौसेना के पास इस समय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा समुद्री जहाज और सबमरीन हैं. इनकी संख्या 355 है. इनमें 2 एयरक्राफ्ट करियर हैं और पेट्रोलिंग के लिए अलग से 123 समुद्री जहाज हैं. इस सूची में दूसरे स्थान पर अमेरिका है, जिसके पास अब केवल 205 समुद्री जहाज और सबमरीन हैं. हालांकि चीन की तुलना में अमेरिकी नेवी के पास 11 एयरक्राफ्ट करियर हैं.

युद्ध की जमीन तैयार कर रहा चीन
भारतीय नौसेना अमेरिका और चीन की नेवी से थोड़ा पीछे जरूर हैं लेकिन कई मायनों में हमारी ताकत पहले से बढ़ी है. इस समय भारत के पास 203 समुद्री जहाज और सबमरीन हैं. इनमें एक एयरक्राफ्ट करियर, 17 सबमरीन और 139 पेट्रोलिंग जहाज हैं. पाकिस्तान की नौसेना तो इस रेस में काफी पीछे है. उसके पास केवल 68 समुद्री जहाज और सबमरीन हैं और एयरक्राफ्ट करियर एक भी नहीं है. हालांकि पाकिस्तान के पास चीन जैसा देश है, जो भारत के खिलाफ युद्ध की किसी भी स्थिति में उसका साथ देने से पीछे नहीं हटेगा. हमारे देश में अक्सर यही कहा जाता है कि टू फ्रंट वार हुआ तो भारत को पश्चिम में पाकिस्तान से युद्ध लड़ना होगा और पूर्व में चीन के खिलाफ जंग होगी लेकिन आज का सच ये है कि जिस तरह से चीन ने अपनी नौसेना को मजबूत किया है और जिस तरह से वो पाकिस्तानी नेवी की मदद कर रहा है, उससे LoC और LAC का ज्यादा बड़ा रोल नहीं रह जाएगा. हो सकता है कि हम सीमा पर दुश्मन का इंतजार करते रहें और दुश्मन देश समुद्र के रास्ते भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दे. आज शायद इन बातों पर विश्वास करना आपके लिए मुश्किल होगा लेकिन सच यही है कि चीन एक तरफ तो सीमा विवाद को विस्तार दे रहा है और दूसरी तरफ समुद्र के रास्ते युद्ध की जमीन तैयार कर रहा है.

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