अब कोहरे-बारिश में नहीं थमेगी ट्रेनों की रफ्तार, रेलवे ने शुरू किया सबसे बड़ा मॉर्डनाइजेशन प्रोजेक्ट
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अब कोहरे-बारिश में नहीं थमेगी ट्रेनों की रफ्तार, रेलवे ने शुरू किया सबसे बड़ा मॉर्डनाइजेशन प्रोजेक्ट

भारतीय रेलवे ने करीब 78 हजार करोड़ रुपए की लागत से सबसे बड़ा मॉर्डनाइजेशन प्रोजेक्ट शुरू किया.

भारतीय रेलवे की मानें तो 2024 तक रेलवे की तस्वीर बदल जाएगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railway) की मानें तो 2024 तक रेलवे की तस्वीर बदल जाएगी. न सिर्फ ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी, बल्कि ट्रेन दुर्घटनाएं रोकने में भी मदद मिलेगी. रेलवे के मुताबिक इस अभियान पर भले ही भारी-भरकम बजट खर्च हो रहा हो, लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए बदलते वक्त के साथ यह बेहद जरूरी है.

  1. रेलवे लागू करेगा अब मॉडर्न ट्रेन कंट्रोल सिस्टम

    इसके लिए सबसे बड़ा सिग्नलिंग अपग्रेड करने का अभियान

    77918 करोड़ से ज्यादा की लागत आएगी इस अभियान पर

    2024 तक रेलवे का समूचा सिग्नल नेटवर्क कंप्यूटरीकृत हो जाएगा
  2.  

रेलवे का कहना है कि ऐसे वक्त में जब देश हाई स्पीड ट्रेन चलाने की योजना को कारगर करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है. इस तरह का मॉर्डनाइजेशन बेहद जरूरी है. खासतौर पर सिग्नलिंग सिस्टम में यही वजह है कि अब रेलवे ने इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया है. रेलवे की योजना के मुताबिक, मार्च से 640 किलोमीटर रेल मार्ग पर सिग्नल सिस्टम को मॉडर्न बनाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा .

पूरा नेटवर्क होगा कंप्यूटरीकृत
इसके बाद से देश के समूचे सिग्नलिंग सिस्टम पर काम किया जाएगा और उसको 2024 तक अपडेट करके पूरे नेटवर्क को कंप्यूटरीकृत कर दिया जाएगा. इससे ट्रेन दुर्घटनाएं भी पूरी तरह से रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर आधारित हो जाएगा. मानवीय दखल की इसमें कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि देखा गया है कि अधिकतर ट्रेन हादसे सिग्नलिंग की वजह से ही होते हैं. सिग्नलिंग में सुधार से ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे क्षमता भी बढ़ेगी और लेट लतीफ ट्रेनों का समय पर परिचालन सुनिश्चित हो पाएगा.

आईसीटी का प्रयोग होगा
इसके साथ ही नई ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी. घने कोहरे बारिश और खराब मौसम में ट्रेनों की रफ्तार बनी रहेगी और यात्री समय से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे. पहली बार है कि दुनिया के सबसे आधुनिक तकनीकी को एक साथ मिलाकर भारतीय रेलवे में प्रयोग कर रहा है. इसमें चार सबसे व्यस्त रेल मार्गों पर यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम यानी आईसीटी का प्रयोग होगा.

मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जाएगा
रेलवे का कहना है कि इन तमाम तकनीकी का प्रयोग करके रेलवे को मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जाएगा. सिग्नलिंग सिस्टम इतना बेहतर हो जाएगा कि ट्रेन जो भी औसतन 100 से 120 की स्पीड पर चलती है वह गाड़ी 160 की स्पीड पर ट्रैक पर दौड़ सकेगी.

रेल नेटवर्क में से एक की बने
रेलवे का इरादा दुनिया की सबसे बेहतरीन से बेहतरीन तकनीकी का एक साथ समावेश करके हर लिहाज से भारतीय रेलवे को बेहतर बनाना है, जिससे भारतीय रेलवे की तस्वीर दुनिया के सबसे बेहतर रेल नेटवर्क में से एक की बने.

दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय रेलवे हर दिन ऑस्ट्रेलिया की आबादी से ज्यादा यात्रियों को एकदिन में सफर कराती है. यानी भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. भारतीय रेलवे का नेटवर्क यही वजह है कि इसके मॉर्डनाइजेशन पर भी एक बड़ा बजट खर्च होता है. अभी तो सिर्फ सिग्नलिंग के मॉर्डनाइजेशन का काम रेलवे ने शुरू किया है, लेकिन रेलवे का मानना है कि इससे भारतीय रेलवे की तस्वीर बदल जाएगी.

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