जैसे-जैसे कॉरिडोर तैयार होते जाएंगे, माल गाड़ियां रेलवे के नार्मल ट्रैक से शिफ्ट होती जाएगी और रेलवे का जो नॉर्मल नेटवर्क है वह खाली होता जाएगा. ऐसे कंजेशन कम होने से रेलवे ऑन रूट पर और ज्यादा ट्रेनें भी चला पाएगा और जो ट्रेन वर्तमान में चल रही है उनकी रफ्तार बढ़ाने में सहूलियत होगी.
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नई दिल्ली: आपके लिए अच्छी खबर है. भारतीय रेलवे (Indian Railways) के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट DFC कॉरिडोर के पहले हिस्से पर गुड्स ट्रेनों का कमर्शियल रन शुरू होने जा रहा है. भले ही अभी यह कुछ हिस्सों में चलना शुरू हो, लेकिन आने वाले दिनों में इसका व्यापक असर होने जा रहा है. इसका सीधा फायदा ना सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों (Passenger Trains) को तेज रफ्तार देने में मिलेगा बल्कि माल ढुलाई भी रफ्तार पकड़ेगी. यही वजह है कि केंद्र सरकार सिर्फ दो कॉरिडोर पर भारी-भरकम 81,000 करोड़ रुपये का बजट खर्च कर रही है.
दिसंबर से रफ्तार पकड़ेंगी ट्रेन
जैसे-जैसे कॉरिडोर तैयार होते जाएंगे, माल गाड़ियां रेलवे के नार्मल ट्रैक से शिफ्ट होती जाएगी और रेलवे का जो नॉर्मल नेटवर्क है वह खाली होता जाएगा. ऐसे कंजेशन कम होने से रेलवे ऑन रूट पर और ज्यादा ट्रेनें भी चला पाएगा और जो ट्रेन वर्तमान में चल रही है उनकी रफ्तार बढ़ाने में सहूलियत होगी. सीधे शब्दों में कहे तो अगले महीने से आपका ट्रेन का सफर कुछ और जल्दी पूरा होगा.
कितना पूरा हुआ कॉरिडोर का काम?
जानकारी के अनुसार, देश का सबसे बड़ा रेल प्रोजेक्ट डीएफसी कॉरिडोर 11 किलोमीटर पूरा हो गया है. डीएफसी के जनरल मैनेजर ऑपरेशन वेद प्रकाश के मुताबिक, दोनों ही कॉरिडोर ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर जून 2022 तक पूरे हो जाएंगे. रेलवे के तैयार हुए पॉलिडोर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे इसके लिए रेलवे की तरफ से प्रपोजल भेजा गया है. डीएफसी कॉरिडोर के पहले हिस्से को दिसंबर से शुरू किया जा रहा है. इसके बाद तीन सेक्शन जिन पर मालगाड़ी चलना शुरू होना होगी इसमें...
1. यूपी में खुर्जा से भावपुर जो कानपुर के पास है और इसकी लंबाई 351 किलोमीटर है.
2. बिहार के औरंगाबाद में चिरेलापातो से उत्तर प्रदेश के गंज ख्वाजा तक जिसकी लंबाई 100 किलोमीटर है.
3. गुजरात के पालनपुर से हरियाणा में रेवाड़ी तक इसकी लंबाई 650 किलोमीटर है.
शामिल होंगे. 351 किलोमीटर के एक सेक्शन को पहले चरण में खोला जा रहा है. यह कानपुर से कोलकाता हावड़ा के रूट पर है. भारतीय रेलवे को इसका बड़ा फायदा मिलेगा. दिल्ली-कानपुर के बीच अभी ट्रेनें भी बहुत ज्यादा है. ट्रैक पर लोड पहुंच जाता है. इस सेक्शन में Dedicated freight corridor के जनरल मैनेजर ऑपरेशन वेद प्रकाश के मुताबिक, रेवाड़ी से पालनपुर मालगाड़ी पहुंचने में तकरीबन 40 घंटे लग जाते हैं. डीएफसी कॉरिडोर पर वही मालगाड़ी 14 से 15 घंटे में पहुंच जाएगी. रेलवे के नॉर्मल रूट पर कंजेशन कम होगा वह अलग से.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन
Dedicated freight corridor के सीएमडी आरएन सिंह का कहना कि जैसे ही प्रधानमंत्री उद्घाटन करते हैं उसके बाद जो-जो कॉरिडोर तैयार होते जाएंगे उन पर रेलवे के नॉर्मल ट्रक से माल गाड़ियां हटाकर शिफ्ट होती जाएगी और रेलवे का नार्मल ट्रैक खाली होता जाएगा जिस पर से फुर्सत पैसेंजर गाड़ियां दौड़ेगी. रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना के दौरान इसका निर्माण कार्य प्रभावित हुआ था लेकिन अब इस को तेजी से पूरा किया जा रहा है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के खुर्जा दादरी से लेकर हरियाणा के रेवाड़ी तक जो यह पूरा इंडस्ट्रियल बेल्ट है इसी इलाके से यह कॉरिडोर भी गुजरता है, जिससे इसका बड़ा फायदा दिल्ली से सटे चंदू राज्यों के इंडस्ट्रियल इलाके को भी होगा. हालांकि देश के चारों हिस्से जुड़ने से बाद में इसका व्यापक फायदा सभी राज्यों के इंडस्ट्रियल इलाके को मिलेगा और इसके साथ ही पूरा नेटवर्क तैयार होने के बाद इसका दूसरा बड़ा फायदा रेलवे को पैसेंजर ट्रेन है और ज्यादा और तेज रफ्तार से चलाने में होगा.
100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेंगी मालगाड़ी
Dedicated freight corridor पर डबल डेकर मालगाड़ी तो दौड़ेगी ही इन की स्पीड भी 100 किलोमीटर प्रति घंटे होगी. अभी रेलवे के नॉर्मल ट्रैक पर माल गाड़ियों की औसत स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसके साथ ही अभी जो माल गाड़ी की लंबाई होती है वह तकरीबन 700 मीटर होती है. डीएफसी कॉरिडोर पर यही मालगाड़ी ठीक 1400 से 1500 मीटर हो जाएगी. यानी तकरीबन डेढ़ किलोमीटर लंबी जिसमें एक बार में 1 से 13 साल के बराबर सामान या 1300 ट्रक को ढोया जा सकेगा.
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