ईरान ने भारत की अनदेखी की, चाबहार-जाहेदान रेल परियोजना के लिए शुरू किया काम
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ईरान ने भारत की अनदेखी की, चाबहार-जाहेदान रेल परियोजना के लिए शुरू किया काम

भारत (India) के संबंधों के लिए ईरान (Iran) का हालिया कदम एक बड़ा झटका है. ईरान ने अपने चाबहार (Chabahar) बंदरगाह जोकि मध्य एशिया में भारत के लिए एक प्रवेश द्वार की तरह है, से भारत को अलग कर दिया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत (India) के संबंधों के लिए ईरान (Iran) का हालिया कदम एक बड़ा झटका है. ईरान ने अपने चाबहार (Chabahar) बंदरगाह जोकि मध्य एशिया में भारत के लिए एक प्रवेश द्वार की तरह है, से भारत को अलग कर दिया है. इस बंदरगाह का उद्घाटन 2017 में किया गया था. ईरान ने न केवल इस कदम के साथ ही पाकिस्तान (Pakistan) की ओर अपना कूटनीतिक रुख किया है, बल्कि चीनी-नियंत्रित ग्वादर बंदरगाह के मामले में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है.

चाबहार में जहाज को ऑफलोड करना, उन्हें ट्रकों और गाड़ियों पर लादना, उन्हें ईरान में जाहेदान भेजना, अफगानिस्तान के जारंग तक जाना और मध्य एशियाई गणराज्यों में सामान ले जाने जैसी भारत की महत्वाकांक्षी योजना को इस कदम से नुकसान उठाना पड़ सकता है. दरअसल इस प्लान को सफल करने के लिए भारत को बंदरगाह से बेहतर कनेक्टिविटी चाहिए थी. इसके लिए चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे लाइन में प्रवेश करना जरूरी था. यह तभी हो सकता था जब बंदरगाह को जाहेदान से जोड़ने वाला 628 किलोमीटर लंबा ट्रैक बने.

भारत और ईरान ने संयुक्त रूप से हर साल 2.8 मिलियन टन माल ढुलाई के लिए अनुमानित 34 स्टेशनों के साथ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अपनी सहमति दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ईरान यात्रा के दौरान 2016 में यह सौदा हुआ था. अब चार साल बाद तेहरान ने भारत को इस परियोजना से बाहर कर दिया है. इस पर उसकी ओर से यह कहा जा रहा है कि वह अब अकेले रेलवे लाइन का निर्माण करना चाहता है. रिपोर्टों के दावों के मुताबिक तो ईरान ने पहले ही ट्रैक-बिछाने की प्रक्रिया का उद्घाटन कर दिया है.

तेहरान का दावा है कि भारत की ओर से इस परियोजना की फंडिंग में देरी हो रही है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण परियोजना को रोक दिया गया था. हालांकि इन प्रतिबंधों को 2018 में हटा भी लिया गया था लेकिन सप्लायर और पार्टनर को खोजना एक चुनौती बनी रही क्योंकि बैंक भी लोन देने में हिचकते दिखाई दे रहे थे. ईरान 2022 तक परियोजना को पूरा करना चाहता है.

 

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