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Gyanvapi Masjid Row: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में हुए सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसका सीधा मतलब ये है कि ज्ञानवापी मस्जिद में जो सर्वे तीन दिन तक चला था, अब उसकी रिपोर्ट देश के लोगों के सामने आकर रहेगी. ये रिपोर्ट 19 मई को वाराणसी की सिविल कोर्ट में पेश की जाएगी. अब सवाल ये है कि ज्ञानवापी परिसर के वुज़ूखाने में मिला बड़ा पत्थर शिवलिंग है या फव्वारा.
हमारे देश के ज्यादातर लोग काशी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के बारे में तो जानते हैं. लेकिन उन्हें शायद उस मस्जिद के बारे में पता नहीं होगा, जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की पहली महिला मुस्लिम शासक रज़िया सुल्तान ने कराया था. ये मस्जिद उसी जगह पर बनाई गई थी, जहां भगवान शिव का प्राचीन मन्दिर हुआ करता था. और इस मन्दिर को दिल्ली सल्तनत के पहले गुलाम शासक कुतुबद्दीन ऐबक ने तुड़वा दिया था. Zee News पहला ऐसा चैनल है, जिसने न केवल इस मस्जिद के बारे में बताया बल्कि भगवान शिव के प्राचीन मन्दिर के सम्पूर्ण इतिहास की जानकारी भी दी.
मंगलवार को वाराणसी सिविल कोर्ट में इस सर्वे से संबंधित रिपोर्ट पेश होनी थी. लेकिन अदालत की ओर से नियुक्त किए गए कोर्ट कमिश्नर ने इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए दो दिन का और वक्त मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. यानी अब ये रिपोर्ट 19 मई को अदालत को सौंपी जाएगी. दूसरा बड़ा अपडेट ये है कि इसी मामले में मंगलवार को दो और याचिकाएं वाराणसी कोर्ट में दायर हुई हैं.
#DNA : ज्ञानवापी में शिवलिंग या फव्वारा?
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— Zee News (@ZeeNews) May 17, 2022
इनमें एक याचिका उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दायर हुई है, जिसमें ये कहा गया है कि कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Masjid) के जिस वुज़ूखाने को सील करने का आदेश दिया है, उसमें एक नल को चालू रखने के लिए बाहर अलग से व्यवस्था की जाए ताकि नमाज पढ़ने वाले लोगों को वुज़ू के दौरान कोई परेशानी ना हो. नमाज से पहले जब लोग अपने हाथ और पैरों को साफ करते हैं तो उसे वुज़ू कहा जाता है.
इसी याचिका में एक और मांग ये की गई है कि वुज़ूखाने में जो शौचालय है, उसे भी बाहर लाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाए. इसके अलावा इस याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार तालाब की मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाना चाहती है.
बड़ी बात ये है कि वाराणसी सिविल कोर्ट ने इस याचिका पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष से 18 मई तक जवाब मांगा है. उम्मीद है कि कल इस पर अदालत द्वारा कोई आदेश भी आ सकता है. इसके अलावा अदालत में आज एक और याचिका दायर हुई, जिसमें ये मांग की गई कि वुज़ूखाने की दीवार को तोड़ा जाए और वहां मिले शिवलिंग के आकार, उसकी लम्बाई और उसकी चौड़ाई का पता लगाया जाए. इस याचिका पर भी अदालत ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है, जिस पर कल तक फैसला आने की उम्मीद है.
सबसे महत्वपूर्ण बात, जिला अदालत ने इस मामले में मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को सर्वे की प्रक्रिया से हटा दिया है. अजय कुमार मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने सर्वे से जुड़ी गोपनीय जानकारियां मीडिया में लीक की और कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन किया.
पहली बात- सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Masjid) में हुए सर्वे पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है. दूसरी बात- अदालत ने ये भी कहा है कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिलने का दावा है, उसे सील रखा जा सकता है. लेकिन इस दौरान किसी भी व्यक्ति को मस्जिद परिसर में नमाज पढ़ने से रोका नहीं जाएगा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 मई को करेगा.
इस पूरे विवाद के बीच ज़ी न्यूज की टीम मंगलवार को काशी विश्वनाथ मन्दिर के उस हिस्से में भी गई, जहां नंदीजी की प्रतिमा स्थापित है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि नंदीजी की प्रतिमा उत्तर दिशा की ओर देख रही है, जहां मस्जिद परिसर के वुज़ूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा है.
ज्ञानवापी परिसर में स्थित वुज़ूखाने का एक वीडियो भी वायरल है, जिसे लेकर हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की तरफ से अलग अलग दावे किए जा रहे हैं. ये वीडियो कब का है, इस पर तो कोई जानकारी अभी सामने नहीं आई है. लेकिन हिन्दू पक्ष का दावा है कि इस वुज़ूखाने के मध्य में जो शिवलिंग के आकार का पत्थर है, वही भगवान शिव को समर्पित प्राचीन ज्योतिर्लिंग है. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को गलत बताया है और उसका कहना है कि हिन्दू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहा है, वो असल में एक फव्वारा है.
हालांकि मंगलवार को जब ग्राउंड जीरो पर रहकर हमारी टीम रिपोर्टिंग कर रही थी, तब ये बात पता चली कि सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष से इस फव्वारे को चालू करने के लिए कहा था. लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए. इस पर हमने अलग अलग पक्षों से बात की है और ये समझने की कोशिश की है क्या जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है, वो वाकई में शिवलिंग हो सकता है और क्या शिवलिंग पर भी किसी तरह का कोई निर्माण किया गया है?