क्या स्पेनिश फ्लू और कोरोना वायरस में हैं समानताएं? ये रहे इनसे जुड़े सवालों के जवाब
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क्या स्पेनिश फ्लू और कोरोना वायरस में हैं समानताएं? ये रहे इनसे जुड़े सवालों के जवाब

कोरोना से जूझती दुनिया के मन में अभी भी वही सवाल हैं जो सौ वर्ष पहले दुनिया की सबसे जानलेवा महामारी के समय भी थे. ऐसे में कोरोना से जुड़े कुछ सवाल हैं जिनके जवाब हमें स्पेनिश फ्लू के इतिहास में मिल सकते हैं. 

फोटो साभार- सोशल मीडिया

नई दिल्ली: जिस तरह आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (Coronavirus) तेजी से फैल रहा है उसी तरह करीब सौ वर्ष पहले भी दुनिया, सबसे बड़ी महामारी, स्पेनिश फ्लू (Spanish Flue) से जूझ रही थी. कोरोना संक्रमण के इस दौर में हमें इस सौ वर्ष पुरानी महामारी से मिले सबक याद रखने चाहिए. स्पेनिश फ्लू से दुनियाभर में करीब 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे और 5 करोड़ लोग मारे गए थे. सिर्फ भारत में ही एक करोड़ चालीस लाख लोगों की मौत हो गई थी. तब दुनिया में एंटी-बायोटिक (Anti-Biotic) भी नहीं था. 

पेनिसिलिन (Penicillin) की खोज वर्ष 1928 में हुई थी. वायरस की खोज ही 1930 के दशक के बाद हुई थी. इसके बावजूद दुनिया इस महामारी से लड़ी और उबरी भी. कोरोना से जूझती दुनिया के मन में अभी भी वही सवाल हैं जो सौ वर्ष पहले दुनिया की सबसे जानलेवा महामारी के समय भी थे. ऐसे में कोरोना से जुड़े कुछ सवाल हैं जिनके जवाब हमें स्पेनिश फ्लू के इतिहास में मिल सकते हैं. 

पहला सवाल तो यही है कि क्या वाकई कोरोना महामारी एक बार खत्म होने के बाद दोबारा लौटकर आ सकती है?
सौ वर्ष पहले स्पेनिश फ्लू ने साबित किया था कि वैश्विक महामारी एक बार में खत्म नहीं होती बल्कि पलटकर आती है. वर्ष 1918 की शुरुआत में स्पेनिश फ्लू का पहला दौर शुरू हुआ था. सितंबर तक जब ऐसा लगा कि प्रकोप खत्म होने को है तब दूसरा और सबसे खतरनाक दौर शुरू हुआ. फिर एक बार उम्मीद जगी तो फरवरी 1919 में इस महामारी की तीसरी लहर उठी. कुछ देशों में तो वर्ष 1920 में इस महामारी का चौथा दौर भी देखा गया था. चीन सहित कई देशों में कोरोना महामारी के दो से तीन दौर देखे जा चुके हैं.

कोरोना से जुड़ा एक सवाल ये भी है कि आखिर ये महामारी खत्म कैसे होगी ?
माना जाता है कि स्पेनिश फ्लू के खिलाफ बड़ी आबादी में सामूहिक  इम्यूनिटी विकसित हो गई थी. यानी जो लोग एक बार संक्रमित होकर ठीक हो रहे थे, वो दोबारा संक्रमित नहीं हो रहे थे और ये प्रतिरोधक क्षमता बाकी लोगों में भी विकसित हो रही थी. इसे अंग्रेजी में Herd Immunity कहा जाता है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए दुनिया को सामूहिक इम्यूनिटी के स्तर पर पहुंचना होगा.

कोरोना महामारी को लेकर पूछा जा रहा एक सवाल ये भी है कि क्या वैक्सीन आने तक संक्रमण खत्म नहीं होगा ?
तो आपको बता दें कि स्पेनिश फ्लू का वैक्सीन विकसित होने से पहले ही इसका प्रभाव खत्म हो गया था. महामारी खत्म होने के करीब 25 वर्षों बाद 1945 में स्पेनिश फ्लू की वैक्सीन आई थी. लेकिन कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए पूरी दुनिया में तेजी से काम हो रहा है और संभव है कि एक डेढ़ वर्ष में कामयाबी भी मिल जाए.

लोग ये भी जानना चाहते हैं कि क्या लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग ही कोरोना संक्रमण से बचाने का एकमात्र उपाय है ?
इसका जवाब अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र ने सौ वर्ष पहले भी दिया था और कहा था कि दुनियाभर में स्पेनिश फ्लू को फैलने से रोकने के लिए आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटीन और साफ-सफाई पर जोर दिया जाना चाहिए. आज भी ठीक वैसी ही स्थिति है.

और आजकल हर किसी के जेहन में ये भी सवाल है कि अब आगे अर्थव्यवस्था का क्या होगा?
ये सवाल तब भी उठे थे. जब अमेरिका समेत कई देशों में लॉकडाउन जैसे कदम उठाए गए थे. जिनकी वजह से अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान होते देखा गया था लेकिन वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) की रिपोर्ट के मुताबिक तब महामारी खत्म होने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई थी और दुनिया को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हो गई थी. इस समय भी कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्थाएं बुरी हालत में हैं लेकिन उम्मीद है कि लॉकडाउन हटने के बाद चीजें ठीक होंगी. International Monetary Fund यानी IMF ने वर्ष 2021 में Global Economy के 5.8 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान लगाया है. 

स्पेनिश फ्लू की वजह से उस वक्त दुनिया की दो से ढाई प्रतिशत आबादी खत्म हो गई थी. तब के मुकाबले आज दुनिया की आबादी बहुत ज्यादा है. लेकिन अच्छी बात ये है कि कोरोना को काबू करने के लिए दुनियाभर में जो प्रयास हो रहे हैं, वो इशारा करते हैं कि कोरोना महामारी, अब दुनिया में बहुत ज्यादा लंबे वक्त की मेहमान नहीं रह पाएगी. और ना ही स्पेनिश फ्लू जितना नुकसान पहुंचा पाएगी. 

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