Supreme Court on Nambi Narayanan case: स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगा था. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत रद्द कर दी है.
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ISRO Nambi Narayanan Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो (ISRO) के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) को झूठे मामले में फंसाने के आरोपियों को केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) से से मिली अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया है. इन आरोपियों में पुलिस/खुफिया ब्यूरो के अधिकारी आर बी श्रीकुमार, पीएस जयप्रकाश, थंपी एस दुर्गा दत्त और विजयन शामिल है. सीबीआई (CBI) ने आरोपियों को मिली ज़मानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट को 4 हफ्ते में नए सिरे से जमानत पर फैसला लेने को कहा है. हालांकि फिलहाल 5 हफ्तों तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी.
पूरा मामला क्या है?
स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगाया गया. बाद में हुई सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला. सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने माना कि नंबी नारायणन के खिलाफ केरल पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा दुर्भावनापूर्ण था. सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन को 50 लाख का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज डी के जैन की अध्यक्षता में नंबी नारायणन को फंसाने वालों पर कार्रवाई के लिए विचार करने के लिए तीन सदस्य कमेटी का भी गठन किया.
डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट पर CBI ने जांच की
जस्टिस डीके जैन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की गलती का हवाला दिया. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे जांच के लिए कमेटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी. जिसके बाद सीबीआई (CBI) ने FIR दर्ज कर पुलिस अधिकारियों की जांच शुरू की थी. इसी बीच चार आरोपियों को हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई.
ज़मानत के खिलाफ CBI की दलील
केरल हाई कोर्ट से आरोपियों को मिली ज़मानत के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की. सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलीसीटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यह अपराध राष्ट्र के खिलाफ था और इसमे विदेशी ताकतों का हाथ होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इस केस में आरोपियों को कस्टडी में लेकर पूछताछ की जरूरत पड़ सकती है पर आरोपियों को हाईकोर्ट से मिली राहत के मद्देनजर यह संभव नहीं है.
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