ISRO EOS-08 Satellite Launch Today: भारत ने आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऐतिहासिक छलांग लगाई. श्रीहरिकोटा से शुक्रवार सुबह 9.17 बजे SSLV-D3-EOS-08 मिशन को लॉन्च किया गया. यह Small Satellite Launch Vehicle यानी SSLV की तीसरी और आखिरी फ्लाइट है. SSLV-D3-EOS-08 रॉकेट अपने साथ एक सैटेलाइट लेकर गया जो धरती की निगरानी के लिए बना है. सैटेलाइट पर तीन पेलोड्स लगे हैं. आज के मिशन की सफलता के साथ, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इतिहास रच दिया. आज 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स ले जाने वाले सबसे छोटे रॉकेट की डेवलपमेंट फ्लाइट पूरी हो गई. इसरो के इस ऐतिहासिक मिशन से जुड़ी 10 बड़ी बातें:
- ISRO ने आज क्या लॉन्च किया: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार (16 अगस्त 2024) सुबह 9.17 बजे एक 'अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट' (EOS) लॉन्च किया. यह Small Satellite Launch Vehicle (SSLV) की तीसरी और आखिरी डेवलपमेंट फ्लाइट है. इस मिशन का नाम SSLV-D3-EOS-08 है.
- कहां और कितने बजे हुआ लॉन्च: SSLV-D3 रॉकेट को पहले 15 अगस्त की सुबह 9.17 बजे लॉन्च किया जाना था. लेकिन बाद में लॉन्चिंग का टाइम बदलकर 16 अगस्त की सुबह 9.17 बजे कर दिया गया. SSLV-D3-EOS-08 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया.
- क्या है SSLV-D3: करीब 34 मीटर ऊंचा, यह भारत का सबसे छोटा रॉकेट है जो अपने साथ 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा (500 किलोमीटर ऊपर तक) में स्थापित कर सकता है.
- स्पेसक्राफ्ट पर क्या-क्या उपकरण: Microsat/IMS-1 बस पर बनाए गए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS) पर तीन पेलोड्स हैं: इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और SiC UV डॉसिमीटर.
- क्या काम करेंगे: EOIR को मिड-वेव इंफ्रारेड रेंज (MIR) और लॉन्ग वेव इंफ्रारेड (LWIR) बैंड्स में तस्वीरें लेने के लिए डिजाइन किया गया है. यह दिन और रात फोटोज ले सकता है जिनका इस्तेमाल सैटेलाइट आधारित निगरानी से लेकर आपदाओं पर नजर रखने, पर्यावरण सूचना, ज्वालामुखी और अन्य आपदाओं से जुड़ी जानकारी हासिल करने में किया जा सकता है.
- कितना लंबा चलेगा मिशन: इस स्पेसक्राफ्ट को साल भर चलने वाले मिशन के लिए डिजाइन किया गया है. इसका वजन करीब 175.5 किलोग्राम है. यह करीब 420 वॉट बिजली पैदा करता है.
- SSLV-D3-EOS-08 मिशन क्या है: ISRO के मुताबिक, मिशन का मेन मकसद एक माइक्रोसैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना था. साथ ही माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ कम्पैटिबल पेलोड उपकरणों को बनाना और भविष्य के ऑपरेशनल सैटेलाइट्स के लिए नई तकनीकों को शामिल करना भी मिशन के उद्देश्यों में से है.
- कमर्शियल फायदा उठाने की तैयारी: यह मिशन ISRO की कमर्शियल शाखा - न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को भी बूस्ट करेगा. NewSpace India Ltd के जरिए एजेंसी छोटे सैटेलाइट लॉन्च वीइकल्स का इस्तेमाल करते हुए कमर्शियल लॉन्च शुरू करना चाहती है.
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी: SSLV में निजी क्षेत्र की भी भागीदारी है. मिशन में SEC Industries और MTAR Technologies जैसी कंपनियों ने भी योगदान दिया है. SEC इंडस्ट्रीज ने SSLV के स्टेज-1 रॉकेट मोटर केसिंग सप्लाई किए हैं. वहीं, MTAR ने मिशन के सेपरेशन सिस्टम, एक्टुएटर्स और इग्निशन सिस्टम से जुड़े अहम कंपोनेंट्स उपलब्ध कराए.
- पिछला टेस्ट कब: SSLV-D3-EOS-08 मिशन को फरवरी 2023 में Small Satellite Launch Vehicle (SSLV-D2-EOS-07) की दूसरी टेस्ट फ्लाइट के सफल लॉन्च के बाद शुरू किया गया था.