केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने Zee News के प्राइम टाइम शो DNA में एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी से बात करते हुए कहा कि देश ट्विटर के भरोसे नहीं चलता. ट्विटर हो या फिर कोई भी कंपनी उसे कानून तो मानना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां भारत में बिजनेस करने के लिए आजाद हैं लेकिन देश का कानून तो उन्हें मानना ही पड़ेगा.
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नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को देश के नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों की जानबूझकर अवहेलना करने और उनका पालन करने में विफल रहने के लिए ट्विटर की आलोचना की. इसके साथ ही ट्विटर ने भारत में मध्यस्थ प्लेटफॉर्म को मिलने वाली छूट का हक खो दिया है और यूजर के किसी भी तरह की गैरकानूनी सामग्री डालने पर वह उसकी जिम्मेदार होगी. इसी पृष्ठभूमि में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर देश में पहली बार FIR दर्ज हुई है. दरअसल, हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई का एक वीडियो वायरल हुआ था. बताया जा रहा था कि 'जय श्री राम' के नारे न लगाने पर उसे मारा गया था. यहां तक कि उसकी दाढ़ी भी काट दी गई थी. लेकिन जब गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले की जांच की तो पता चला कि ये वीडियो फेक है.
इस पूरे विवाद पर सरकार की तरफ से पहला बयान सामने आया है. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने Zee News के प्राइम टाइम शो DNA में एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी से बात करते हुए कहा कि देश ट्विटर के भरोसे नहीं चलता. ट्विटर हो या फिर कोई भी कंपनी उसे कानून तो मानना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां भारत में बिजनेस करने के लिए आजाद हैं लेकिन देश का कानून तो उन्हें मानना ही पड़ेगा.
बता दें कि भारत में ये पहली बार हुई है जब इस तरह के किसी मामले में किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधे-सीधे आरोपी बनाया गया है और उस पर FIR दर्ज की गई है. यानी कि एक फेक न्यूज की वजह से ट्विटर ने अपना इंटरमीडियरी स्टेटस खो दिया है. यानी अब ट्विटर अपने प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट के लिए जिम्मेदार होगा.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मामले में सीधी बात यह है कि हमने 25 फरवरी 2021 को नई गाइडलाइन बनाई. ये गाइडलाइन एकाएक नहीं बनाई गई. कई केस स्टडी को ध्यान में रखते हुए और फेक न्यूज पर सभी पार्टियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन बनाई गई. इतना ही नहीं संसद में इस पर दो बार चर्चा भी हुई. तीन-चार साल की व्यापक चर्चा के बाद ये गाइडलाइन बनाई गई. उन्होंने कहा कि मैं आज साफ कर देना चाहता हूं कि ट्विटर, फेसबुक या फिर वॉट्सऐप कोई भी कंपनी हो उन्हें कानून तो मानना ही पड़ेगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि सोशल मीडिया के जरिए लोग हमारी कितनी भी आलोचना करें हमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जो भारतीय सोशल मीडिया से परेशान हैं वो अपनी शिकायतें लेकर कहां जाएं? कुछ लोग खासकर महिलाओं को नीचा दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर फोटोज और वीडियोज वायरल करते हैं. ऐसे में जब हमसे लोग मदद मांगने आते हैं तो हम उनसे क्या कहें कि अमेरिका में जाकर शिकायत करो? ऐसे में हमने इन सोशल मीडिया कंपनियों को कहा कि आप एक शिकायत निवारण तंत्र खड़ा करिए. जिसमें एक ग्रिवांस ऑफिसर हो जो शिकायत ले और उसके खिलाफ कार्रवाई करे. एक कंप्लायंस ऑफिसर हो और एक नोडल ऑफिसर हो जो सरकार से कॉन्टैक्ट में रहे. ये सभी भारतीय हों और इनके मोबाइल नंबर और ईमेल सार्वजनिक हो. हमने इन कंपनियों को तीन महीने का समय दिया. बाकी कंपनियों ने इन ऑफिसरों को अपॉइंट कर लिया लेकिन ट्विटर टालमटोल करता रहा. ये तीन महीने की मियाद 25 मई को खत्म हो गई. फिर भी हमने ट्विटर को समय दिया. गाइडलाइन में इस बात का भी प्रावधान है कि अगर आपने गाइडलाइन का पालन नहीं किया तो सेक्शन 79 के तहत इंटरमीडियरी का एग्जेंप्शन खत्म हो जाएगा.'
रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में पक्षपात करने का आरोप लगाया. उन्होंने विदेशी कंपनियों को चेताते हुए कहा कि आप लोग भारत में आइए, व्यापार करिए, पैसे कमाइए, सरकार से सवाल भी पूछिए लेकिन आपको भारत का कानून मानना पड़ेगा. भारत का संविधान मानना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय IT और दवा कंपनियां अमेरिका में व्यापार करने जाती हैं तो वहां का कानून मानती हैं कि नहीं? उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी का भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता पर समझौता नहीं करेगा.
इंटरमीडियरी कानून का मतलब समझाते हुए केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा, 'आप एक प्लेटफॉर्म हैं. लोग आपके जरिए अपनी बातें कहते हैं. उनकी बातों से अगर कोई आपराधिक मामला बनता है तो आप पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा, ये है इंटरमीडियरी का एग्जेंप्शन.'
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि गाजियाबाद मामले में ट्विटर पर जो FIR हुई है इसमें सरकार ने कुछ भी नहीं किया है. ये गाइडलाइन के रूल 7 के अंतर्गत आने वाले नियम का परिणाम है कि ट्विटर पर फेक न्यूज फैलाने के लिए FIR दर्ज हुई है.
ट्विटर को चार महीने में 3 ऑफिसर नहीं मिले, क्या कंपनी की मंशा सही नहीं है? इस सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने कहा, 'ग्रिवांस, नोडल और कंप्लायंस ऑफिसर के लिए कोई IAS, PCS की परीक्षा कराने की जरूरत नहीं है. ट्विटर ने एडवर्टाइजिंग के माध्यम से पैसे कमाने के लिए तो कई लोग रखे हैं, लेकिन शिकायतों का समाधान करने के लिए उनसे तीन अधिकारी नियुक्त नहीं किए गए. वो लगातार इसे लेकर टालमटोल करते रहे. यहां तक कि अमेरिका की इतनी बड़ी कंपनी का भारत में कोई ऑफिस भी नहीं है. जब हमने उनसे कहा कि आपको भारत में अपना ऑफिस स्थापित करना पड़ेगा तो उन्होंने इसके लिए हमसे समय मांगा. ऐसा कब तक चलेगा.'
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बाकी कंपनियों ने भारत सरकार के साथ काफी सहयोग किया है और गाइडलाइन का पालन शुरू कर दिया है. लेकिन जो कंपनियां भारत के कानून को नहीं मानेंगी उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा कि हमने कानून में एक और प्रावधान किया है जिसमें कहा गया है कि ऐसे मैसेज जो वायरल हो रहे हैं कंपनी को उसके बारे में सरकार को बताना होगा. ऐसे मैसेज जिसके वायरल होने से दंगे, हिंसा और मॉब लिंचिंग हो सकती है या फिर उत्तेजना फैलती है ऐसे कंटेंट के बारे में इन कंपनियों को सरकार को बताना होगा. इसके अलावा महिला को नग्न रूप से दिखाने वाला कॉन्टेंट या फिर बच्चे के यौन शोषण का कॉन्टेंट जो वायरल हो रहे हैं, उसके बारे में कंपनियों को सरकार को जानकारी देनी पड़ेगी कि इसकी शुरुआत किसने की.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने इस पूरी गाइडलाइन को 3-4 साल की व्यापक चर्चा के बाद जारी किया है. उन्होंने देश की जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस गाइडलाइन से देश ने सामान्य सोशल मीडिया यूजर्स पर कोई असर नहीं होगा. ये गाइडलाइन उन लोगों पर नकेल कसने के लिए है तो फेक मैसेज फैलाकर देश में अशांति और हिंसा फैलाना चाहते हैं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में करीब 130 करोड़ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. इनमें वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य प्लेटफॉर्म शामिल हैं. हमें इसपर कोई आपत्ति नहीं है. मैं कंपनियों से कहना चाहता हूं कि आप भारत में आएं, मुनाफा कमाएं, अपने शेयर बढ़ाएं यहां तक कि सरकार की आलोचना भी करना का अधिकार है. लेकिन उन्हें भारत का कानून मानना पड़ेगा.
कानून मंत्री ने कहा कि इस मामले के बाद ट्विटर की क्या रणनीति होगी इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता, भारत आजाद देश है किसी को भी कोर्ट जाने का अधिकार है. कोर्ट जाएंगे तो हम अपनी बात रखेंगे.
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