Analysis: बसपा, रालोद, सपा... गठबंधन भूल जम्मू-कश्मीर चुनाव में अकेले क्यों चल पड़ी हैं पार्टियां?
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Analysis: बसपा, रालोद, सपा... गठबंधन भूल जम्मू-कश्मीर चुनाव में अकेले क्यों चल पड़ी हैं पार्टियां?

Jammu-Kashmir  जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव साथ लड़ने वाली राजनीतिक पार्टियों ने राह बदल ली है और गठबंधन को भूलकर अकेले चुनाव लड़ने चल पड़ी हैं. क्या आप जानते हैं कि ये दल ऐसा क्यों कर रहे हैं?

Analysis: बसपा, रालोद, सपा... गठबंधन भूल जम्मू-कश्मीर चुनाव में अकेले क्यों चल पड़ी हैं पार्टियां?

Jammu-Kashmir Chunav 2024: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है और राज्य की जनता 10 साल बाद विधानसभा के लिए नेता का चुनाव करेगी. इस वजह से जम्मू-कश्मीर चुनाव पर हर किसी की निगाह टिकी है. लेकिन, इसके साथ ही चुनाव में एक चीज और देखने को मिल रही है और वो ये है कि ज्यादातर पार्टियां गठबंधन को भूलकर अकेले चुनाव लड़ने चल पड़ी हैं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने किसी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है. केंद्र और यूपी सरकार में एनडीए की सहयोगी आरएलडी (RLD) ने बीजेपी (BJP) से अलग चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. समाजवादी पार्टी (SP) भी कांग्रेस से अलग कुल 37 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

गठबंधन भूल अकेले क्यों चल पड़ी हैं पार्टियां?

जम्मू-कश्मीर चुनाव में ज्यादातर पार्टियां अकेले दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रही हैं. इसके साथ ही चुनाव प्रचार और तैयारियों को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए कई पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने जम्मू कश्मीर में डेरा डाल दिया है. जम्मू-कश्मीर की मौजूद परिस्थितियों को देखते हुए कोई भी दल गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं. सभी पार्टियां चुनाव के बाद की परिस्थितियों के आधार पर गठबंधन का विकल्प खुला रखना चाहती हैं.

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पिछली बार बनी थी बीजेपी-पीडीपी की सरकार

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार साल 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे नंबर पर रही बीजेपी ने 25 सीटों पर कब्जाय किया था. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने गठबंधन किया. बीजेपी-पीडीपी सरकार में महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं. ये गठबंधन करीब 2 साल तक चला, लेकिन साल 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई.

इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस के बीच बनी सहमति

हालांकि, जम्मू-कश्मीर चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस (Congress) मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के तहत सीट शेयरिंग पर सहमति भी बन गई है. दोनों पार्टियां 85 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारेंगी. सीटों पर बने फॉर्मूले के मुताबिक, नेशनल कांफ्रेंस 51 और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दोनों पार्टियों के बीच 5 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी. वहीं, सीपीएम और पैंथर्स पार्टी एक-एक सीट पर उम्मीदवार उतारेगी.

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जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में होगी वोटिंग

चुनाव आयोग ने जम्‍मू कश्‍मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है, जहां तीन चरणों में वोट डाले जाएंगे. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर, दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर और तीसरे चरण में एक अक्टूबर को 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं,सभी 90 सीटों पर मतगणना 8 अक्टूबर को होगी, जो पहले 4 अक्टूबर को होने वाली थी. चुनाव आयोग ने हरियाणा में एक बिश्नोई आसोज अमावस्या को देखते हुए मतदान की तारीख एक अक्टूबर से बदलकर पांच अक्टूबर करने के बाद यह कदम उठाया है.

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