हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी रियाज नायकू का शव परिवार वालों को नहीं सौंपा जाएगा. सारी कार्यवाही पूरी करने के बाद प्रशासन ही उसका अंतिम संस्कार करेगा.
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नई दिल्ली: हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी रियाज नायकू का शव परिवार वालों को नहीं सौंपा जाएगा. सारी कार्यवाही पूरी करने के बाद प्रशासन ही उसका अंतिम संस्कार करेगा. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ये एक बड़ा फैसला है ताकि आतंकवादियों को हीरो बनाने का सिलसिला बंद किया जा सके. पहले भी विदेशी आतंकवादियों के मामले में प्रशासन कई बार यही तरीका अपनाता रहा है.
बुधवार को रियाज नायकू के मारे जाने के बाद सेना ने केवल ये कहा कि दो आतंकवादी मारे गए हैं. सेना के अधिकारियों ने बताया कि उनकी नजर में कोई बड़ा आतंकवादी या टॉप कमांडर नहीं हैं, केवल एक आतंकवादी है. यहां तक कि सेना के किसी भी ट्वीट में रियाज नायकू के नाम का कोई जिक्र नहीं था.ये सेना की नई रणनीति है जिसकी शुरुआत लॉकडाउन के दौरान ही हुई है.
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दरअसल, एक पाकिस्तानी आतंकवादी के मरने के बाद उसके जनाजे में बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हुए थे. उसके बाद ये फैसला किया गया है. सेना और प्रशासन दोनों का ही मानना था कि मारे गए आतंकवादी के जनाजे का इस्तेमाल नई भर्तियों के लिए किया जाता है. जनाजे में आतंकवादी भी शामिल होते हैं और स्थानीय युवाओं को भड़का कर आतंकवादी बनने के लिए उकसाया जाता है.
खुद रियाज नायकू भी ऐसे ही एक जनाजे में शामिल हुआ था और उसने राइफल से फायरिंग भी की थी. सेना और प्रशासन इसे सिरे से बंद करना चाहते हैं. इसलिए अब किसी आतंकवादी का शव उसके परिवार वालों को नहीं दिया जाएगा. घरवालों के मांगने पर उसके डीएनए सैंपल के जरिए उसके मरने की पुष्टि कर दी जाएगी. लेकिन उसे दफनाने की जिम्मेदारी प्रशासन ही संभालेगा.
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