J&K: आतंकपरस्तों पर सरकार का बड़ा प्रहार, सैयद अली शाह गिलानी का पोता सरकारी नौकरी से बर्खास्त
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J&K: आतंकपरस्तों पर सरकार का बड़ा प्रहार, सैयद अली शाह गिलानी का पोता सरकारी नौकरी से बर्खास्त

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकी गतिविधियां तेज होने के साथ ही सरकार ने पाकिस्तान परस्त तत्वों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. सैयद अली शाह गिलानी के पोते पर भी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है.

फाइल फोटो

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकी गतिविधियां तेज होने के साथ ही सरकार ने पाकिस्तान परस्त तत्वों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. सरकार ने आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) के पोते को शनिवार को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया. 

  1. शोध अधिकारी के पद पर था पोता
  2. पाकिस्तान का मोहरा था गिलानी
  3. दो महीने पहले हुई गिलानी की मौत

शोध अधिकारी के पद पर था पोता

अधिकारियों के मुताबिक सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का बेटा अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश है. अल्ताफ फंटूश का बेटा अनीस उल इस्लाम वर्ष 2016 में शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शोध अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था. अब संविधान के अनुच्छेद 311 के विशेष प्रावधान का इस्तेमाल कर उसे नौकरी से निकाल दिया गया है. 

हिज्बुल सरगना के बेटों पर हो चुकी कार्रवाई

अनीस उल इस्लाम के साथ ही डोडा के एक शिक्षक फारूक अहमद बट को भी आतंकियों का साथ देने के आरोप में सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है. इन दोनों की बर्खास्तगी के साथ ही जम्मू कश्मीर में पिछले 6 महीने में सरकारी नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 27 हो गई है.

इससे पहले सेवा से निकाले गए लोगों में हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और दागी पुलिस अधीक्षक देवेंद्र सिंह शामिल हैं. देवेंद्र सिंह को एक वांछित आतंकवादी तथा दो अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था. उप राज्यपाल ने उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (2) में प्राप्त शक्तियों के तहत बर्खास्त किया था. इस प्रावधान के तहत बर्खास्त किए गए कर्मचारी केवल जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.

नियमों को ताक पर रखकर दी गई थी नौकरी

अधिकारियों ने बताया कि अनीस उल इस्लाम के संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में रहने वाले तीन संदिग्ध लोगों से गहरे संबंध में हैं. अनीस के पिता अल्ताफ फंटूश को आतंकियों को फाइनेंस करने के मामले में NIA पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है और वह 2017 से तिहाड़ जेल में बंद है.

अनीस उल इस्लाम को वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (एसकेआईसीसी) में शोध अधिकारी नियुक्त किया गया था. बिना परीक्षा और पद सृजन किए गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी दी गई. इसके लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया था. 

वीडियो बनाकर ISI को भेजता था अनीस

अधिकारियों के अनुसार, अनीस 31 जुलाई से 7 अगस्त 2016 के बीच पाकिस्तान गया था. वहां पर गिलानी के कहने पर उसने आईएसआई के कर्नल यासिर से मुलाकात की थी. उसकी वापसी के बाद जम्मू कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. 

आरोप है कि अनीस अपनी नियुक्ति से पहले श्रीनगर शहर और उसके आसपास ड्रोन उड़ाकर कानून व्यवस्था की स्थिति का वीडियो बनाता था. बाद में उस फुटेज को सीमापार आईएसआई से साझा करता था. जिसका इस्तेमाल कर ISI वहां पर हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देती थी.

अपने आतंकी भाई को सूचना भेजता था शिक्षक

शनिवार को बर्खास्त किया गया दूसरा कर्मचारी फारूक अहमद बट जम्मू के डोडा में एक स्कूली शिक्षक है. उसे वर्ष 2005 में संविदा पर नियुक्त किया गया था और बाद में 2010 में स्थाई कर दिया गया था. बट का भाई मोहम्मद अमीन बट लश्कर ए तैयबा का सक्रिय आतंकी है. वह पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में बैठकर कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियां चला रहा है. 

पाकिस्तान का मोहरा था गिलानी

बता दें कि सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने में पाकिस्तान का सबसे बड़ा मोहरा था. वह खुलेआम जम्मू कश्मीर के बचे हिस्से को भारत से काटकर पाकिस्तान में मिलाने का ऐलान करता था. अपने इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उसने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था. जिसके बैनर तले वह कश्मीर घाटी में हड़तालों का कैलेंडर जारी करता था.

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दो महीने पहले हुई गिलानी की मौत

पाकिस्तान (Pakistan) ने गिलानी को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में फंडिंग की. इसके लिए हवाला के जरिए करोड़ों रुपये गिलानी और उसके गुर्गों तक पहुंचाए गए. करीब 2 महीने पहले  सितंबर में 91 साल की उम्र में सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का निधन हो गया. उसके बाद रात के अंधेरे में ही शहर के बाहरी इलाके हैदरपोरा में उसकी लाश को एक मस्जिद में दफना दिया गया था.

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