भारत का कहना है कि वो प्रोजेक्ट का अध्ययन हो रहा है. विदेश मंत्रालय (MEA) के अधिकारी ने कहा, 'बिल्ड बैक बेटर (BBB) को लेकर जो आप पूछ रहे हैं तो मैं यही कह सकता हूं कि भारत अपनी एजेंसियों से इसके प्रभाव का आकलन कराएगा और फिर इससे जुड़ भी सकता है.'
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नई दिल्ली: कूटनीतिक मोर्चे पर अमेरिका (US) और चीन (China) के बीच अदावत जारी है. पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के दौर में होने वाली मुखर बयानबाजी भले ही फिलहाल बंद है लेकिन जो बाइडेन (Joe Biden) ड्रैगन को संकेत दे चुके हैं कि वर्चस्व की लड़ाई में उनका देश ही सरताज है. बीजिंग को काबू में रखने की कवायद के तहत अभी G-7 की बैठक में वाशिंगटन (Washington) की ओर से आए प्रपोजल पर भारत (India) ने विचार करने की बात कही है.
अमेरिका की ओर से हाल ही में आए इस ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट BBB के बारे में भारत जल्द ही कोई फैसला ले सकता है. राष्ट्रपति बाइडेन ने ही इस 'बिल्ड बैक बेटर' प्लान का प्रस्ताव दिया था, जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट (Belt and Road Initiative) को काउंटर करने वाला टूल माना जा रहा है. अगर G-7 देश इस दिशा में आगे बढ़ते हैं तो एशिया से यूरोप तक दखल देने का सपना देख रहे चीन को तगड़ा झटका लगेगा.
इस परियोजना का नेतृत्व दुनिया के सभी बड़े लोकतांत्रिक देश करेंगे. जो इसमें तकनीकी और आर्थिक मदद भी करेंगे. इस पर कुल 40 ट्रिलियन यूएस डॉलर की लागत आने का अनुमान है. हालांकि ये प्रोजेक्ट उन देशों पर फोकस करेगा, जो कोरोना संकट में बुरी तरह प्रभावित हुए हैं या किसी अन्य वजह से कर्जे में है. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि इस प्रोज्क्ट की वजह से इस परियोजना के दायरे में आने वाले देशों में रोजगार के लाखों नए मौके पैदा होंगे.
भारत का कहना है कि वह इस परियोजना का अध्ययन कर रहा है और वो भी जल्द इससे जुड़ सकता है. मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्रालय के अधिकारी पी. हर्ष ने कहा, 'बिल्ड बैक बेटर को लेकर यदि आप सवाल पूछ रहे हैं तो मैं यही कह सकता हूं कि भारत अपनी एजेंसियों के जरिए इसका प्रभाव का आकलन कराएगा और उसके बाद इससे जुड़ भी सकता है.'
चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट की उन देशों की ओर से भी आलोचना शुरू हो गई है, जो उसका हिस्सा हैं. संबंधित देशों पर लगातार बढ़ रहे कर्ज और स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार न मिलने को लेकर इसकी आलोचनाएं हो रही हैं. भारत, चीन के इस प्रोजेक्ट से दूर है, जबकि पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका इसमें शामिल हैं. ये तीनों देश चीन के भारी कर्ज में दबे हैं. चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर भी भारत ने नाराजगी जताई थी क्योंकि ये जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के उस हिस्से से गुजरता है, जिस पर पाकिस्तान का लंबे समय से अवैध कब्जा है.
(इनपुट एएनआई से)
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