CM Yogi Adityanath: सावन महीने में होने वाली शिवभक्तों की पवित्र कांवड़ यात्रा के समय पूरे रास्ते की दुकानों का नाम और दुकानदार का नाम सही-सही बताने को लेकर यूपी सरकार के फैसले पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. पहले सिर्फ मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को लेकर भाजपा के विरोधियों ने जमकर विरोध जताया. इसके बाद योगी सरकार ने इस फैसले को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने का आदेश दे दिया. अब भाजपा के साथी दलों के नेता एतराज जताने लगे हैं.


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भाजपा के तीन सहयोगी दलों ने फैसले पर उठाई उंगली


भाजपा के नेतृत्व में बने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल सहयोगी दलों जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) LJPR और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) तीनों ने यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. कांवड़ यात्रा के सबसे लंबे रूट वाले इलाके यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावी रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने इस बारे में कहा कि राजनीति में धर्म और जाति नहीं होनी चाहिए. 


ये उचित फैसला नहीं, रालोद के नेताओं ने खोला मोर्चा


त्रिलोक त्यागी ने कहा कि ये उचित फैसला नहीं है. दुकानों के बाहर मालिक का नाम लिखवाने की परंपरा गलत है. जनता की मर्जी है कि वह जहां चाहे वहां से सामान खरीदे. उन्होंने शराब का जिक्र छेड़ते हुए यूपी सरकार से पूछा कि क्या शराब पीने से धर्म भ्रष्ट नहीं होता? सिर्फ मांस से ही धर्म भ्रष्ट होता है? रालोद के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने भी आदेश का विरोध किया. उन्होंने कहा कि प्रशासन का दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने कहना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला आदेश है.


'सबका साथ सबका विकास' से उलट फैसला- केसी त्यागी


इसी तरह जदयू के महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि सावन में उत्तर प्रदेश से बड़ी कांवड़ यात्रा तो बिहार में निकलती है. वहां तो इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है. जब पीएम मोदी कुछ कहते हैं तो सभी को उनकी बात माननी चाहिए. उन्होंने यूपी सरकार के हालिया आदेश और नियमों को पीएम मोदी मोदी के 'सबका साथ सबका विकास' स्लोगन के खिलाफ बताया. केसी त्यागी ने योगी सरकार से फिर से विचार करने का अनुरोध भी किया.


जाति या धर्म के नाम पर विभाजन को समर्थन नहीं- चिराग


इसके बाद, केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी लोजपा-रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान ने यूपी सरकार के फैसले पर एतराज जताया. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दुकानों और दुकानदार का नाम बताने वाले आदेश का वह समर्थन नहीं करते हैं. चिराग पासवान ने कहा कि जब भी जाति या धर्म के नाम पर कोई विभाजन होता है, तो मैं इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करता. चिराग ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब बस दो ही कैटेगरी के लोग मौजूद हैं.


कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने दिया कांवड़ियों की सेवा का हवाला


इसके पहले उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश का विपक्षी दलों ने विरोध जताया था. कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने सावन में कांवड़ यात्रा शिविरों में मुसलमानों की ओर से सेवा किए जाने की मिसाल भी दी. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रियों की ड्रेस, हौजरी मुसलमान कारीगर बनाते हैं. मेरठ में मुसलमान कांवड़ सजाने का काम करते हैं. नफरत की बातें करने का कोई फायदा नहीं है. कांवड़ियों को इससे फर्क नहीं पड़ेगा. हमें आपस में प्यार-मोहब्बत से रहना है.


नाराज ओवैसी ने हिटलर से की सरकारी आदेश की तुलना 


इससे पहले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताते हुए इस आदेश को हिटलर से जोड़ा. उन्होंने कहा कि यह आदेश मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने की कोशिश है, ताकि कोई भी हिंदू श्रद्धालु गलती से भी किसी मुस्लिम की दुकान से कुछ न खरीदे. ओवैसी ने कहा कि हिटलर के जर्मनी में यहूदी कारोबारों का ऐसे ही बहिष्कार किया जाता था. इसी तरह समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी अपना गुस्सा जताया था.


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कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए फैसला


उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को अपने आदेश में पूरे प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर खाने पीने की दुकानों पर 'नेमप्लेट' लगाने और दुकानों पर मालिक और संचालक का नाम और पहचान लिखने कहा था. सीएमओ के मुताबिक, कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है. साथ ही इस दौरान हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचनेवालों पर भी कार्रवाई की बात कही गई. हालांकि बाद में इस आदेश को ऐच्छिक किए जाने की चर्चा भी सामने आई है.


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