Kashmir: कश्मीर में फोटोग्राफी का मक्का है 'माहट्टा', इसकी सुंदरता को दिल दे बैठेंगे आप
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Kashmir: कश्मीर में फोटोग्राफी का मक्का है 'माहट्टा', इसकी सुंदरता को दिल दे बैठेंगे आप

Photography Mecca: कश्मीर की खूबसूरती के किस्से सभी जानते हैं. हर कोई कश्मीर (Kashmir) की सुंदरता में खो जाता है. फोटोग्राफी (Photography) के लिए भी कश्मीर एक बहुत अच्छी जगह है. कुछ लोग कहते हैं कि कश्मीर फोटोग्राफर और फोटो प्रेमियों के लिए मक्का है.

Kashmir: कश्मीर में फोटोग्राफी का मक्का है 'माहट्टा', इसकी सुंदरता को दिल दे बैठेंगे आप

Mahatta Is The Mecca Of Photography: कश्मीर एक ऐसी जगह है, जो कि आपके लिए कभी भी पर्याप्त नहीं हो सकती है. 1915 में पर्यटक (Tourists) के रूप में कश्मीर आए दो भाइयों अमरनाथ मेहता और रामचंद मेहता ने इस कहावत को साबित किया है. उनकी यात्रा कुल मिलाकर एक घर वापसी की तरह ही थी, क्योंकि उन्होंने कश्मीर में रहने का फैसला इसलिए किया था कि वह अपने फोटोग्राफी के जुनून को कायम रख सकें. फोटोग्राफी के लिए कश्मीर में उनके पास मंत्रमुग्ध करने वाली घाटी, इसकी शाही भव्यता और यहां के लोगों की सादगी से बेहतर अभिव्यक्ति का कोई साधन नहीं हो सकता था. तीन पीढ़ियों से, मेहता परिवार मानता है कि कश्मीर फोटोग्राफर और फोटो प्रेमियों के लिए मक्का है. अमरनाथ और रामचंद 1905 में गुरदासपुर (पंजाब) से कश्मीर आए थे. 1915 में उन्होंने श्रीनगर शहर की झेलम नदी (Jhelum River) पर एक हाउसबोट में एक फोटो शॉप शुरू की.

क्या कहता है इतिहास?

इसके बाद, वे झेलम नदी के तटबंध पर एक दुकान में स्थानांतरित हो गए, जहां स्टूडियो आज 'माहट्टा एंड कंपनी' के रूप में खड़ा है. 'मेहता' से 'माहट्टा' (Mahatta) नाम बदलना अपने आप में एक कहानी है. 2 फरवरी, 1972 को स्टूडियो में शामिल हुए गुलाम मुहम्मद सोफी ने कहा, 'ब्रिटिश पर्यटकों द्वारा 'मेहता' नाम का गलत उच्चारण 'माहट्टा' के रूप में किया गया था और यही अंतत: हमारा ब्रांड नाम बन गया.' उन्होंने कहा कि रामचंद मेहता (Ramchand Mehta) ने सोफी सहित अपने कर्मचारियों को अपने बच्चों की तरह माना. सोफी ने याद करते हुए कहा, '1994 में उनकी मृत्यु के बाद, जगदीश मेहता ने पदभार संभाला. वह हमेशा हमें बताते थे कि चूंकि सीनियर मेहता हमें अपना बेटा कहते थे इसलिए हम उनके भाई हुए.'

कई मशहूर लोगों की खींची तस्वीरें

उन्होंने बताया कि संयोग से रामचंद मेहता, उनकी पत्नी और बेटे जगदीश सभी का 23 जून को निधन हो गया था. हालांकि उन सभी का निधन अलग-अलग वर्षों में हुआ था. सोफी ने आगे कहा, 'मैं 'माहट्टा' में आधिकारिक तौर पर कश्मीर में वीवीआईपी कार्यों के लिए फोटोग्राफर के रूप में लगा हुआ था. मैंने दिवंगत इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), ज्ञानी जैल सिंह (Giani Zail Singh), नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiv Reddy), शेख मुहम्मद अब्दुल्ला (Sheikh Muhammad Abdullah) और अन्य वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें ली हैं. फिल्मी सितारों में मैंने दिलीप कुमार (Dilip Kumar), सायरा बानो (Saira Banu), राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और जगदीप के कश्मीर दौरे के दौरान उनकी तस्वीरें खींची हैं.' सोफी ने एक बच्चे की तरह पुराने समय को याद किया, जिसने अब अपने सभी खिलौने खो दिए हैं. उन्होंने कहा, 'स्टूडियो में तस्वीरें लेना, उन्हें सुधारना, फिल्मों को प्रोसेस करना, रंगों को आगे बढ़ाना आदि एक कला थी जो अब गायब हो गई है. लोग इन दिनों डिजिटल फोन या कैमरे से शूट करते हैं.'

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रंगीन फोटोग्राफी शुरू करने वाला 'माहट्टा' सबसे पहला स्टूडियो

उन्होंने आगे कहा कि फोटोग्राफी अब एक ऐसी कला नहीं रह गई है, जो पहले हुआ करती थी. 1957 में दिल्ली और श्रीनगर में रंगीन फोटोग्राफी (Color Photography) शुरू करने वाला 'माहट्टा' सबसे पहला स्टूडियो था. मुंबई को छोड़कर, ये केवल दो स्थान थे, जहां रंगीन फोटोग्राफी उपलब्ध थी. 1915 के बाद 'माहट्टा' के प्रति जुनून और उसके बढ़ते व्यवसाय की कोई सीमा नहीं थी. स्टूडियो शुरू में पोट्र्रेट के लिए जाना जाने लगा, क्योंकि यह पहला ऐसा स्थान था, जहां ग्राहकों को सभी प्रकार के प्रॉप्स और बैकग्राउंड क्रिएट करने की सुविधा थी. उनका कारोबार बेतहाशा बढ़ा. उन्होंने लाहौर, सियालकोट, रावलपिंडी और पाकिस्तान के र्मुी हिल स्टेशन पर फोटो स्टूडियो की स्थापना की. 1947 में देश के बंटवारे के साथ इन स्टूडियो को बंद करना पड़ा लेकिन इसके बाद उन्होंने दिल्ली (Delhi) के कनॉट प्लेस में एक बड़ा फोटो स्टूडियो शुरू किया, जो कुछ साल पहले ही बंद हो गया. रामचंद मेहता के बेटे जगदीश मेहता ने 2016 में अपनी मृत्यु तक स्टूडियो संभाला और उनकी पत्नी अनीता मेहता इन दिनों स्टूडियो चलाती हैं.

'विरासत को जारी रखने में तीन पीढ़ियां बिताई' 

अनीता मेहता (Anita Mehta) ने कहा, 'हमने अपनी विरासत को जारी रखने में तीन पीढ़ियां बिताई हैं. स्थानीय कला, संस्कृति, शिल्प, रीति-रिवाजों, विरासत, पर्यटन और राजनीति के संरक्षण से लेकर कई चीजें हमारे पास हमारी गैलरी में फ्रेम दर फ्रेम संरक्षित हैं.' उन्होंने कहा कि परिवार कश्मीर द्वारा उन्हें दी गई महानता का कुछ हिस्सा वापस करना चाहता है. उन्होंने आगे कहा, 'मेरे लिए पारिवारिक परंपरा और विरासत को बनाए रखना एक पूजा है. मेरे दो बेटे दिल्ली में काम करते हैं और हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी फोटो स्टॉक एजेंसी (Photo Stock Agency) है. तो आप समझते हैं कि हम व्यापार में नुकसान और अन्य परेशानियों से नहीं डरे हैं, जिनका हमने हर दूसरे कश्मीरी की तरह सामना किया है.' मेहता ने कहा, ' शुद्ध और पारंपरिक रूप में फोटोग्राफी का एक भविष्य है, जिसे कोई भी छीन नहीं सकता. प्रौद्योगिकी एक संपत्ति के रूप में आती है, कला के दुश्मन के रूप में नहीं.' अनीता मेहता ने कहा, 'भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर, हम एक कैफे चलाते हैं, जहां युवा और बूढ़े हमारी फोटो गैलरी देखने के लिए इकट्ठा होते हैं और बीते दिनों की घटनाओं के साथ-साथ इस जगह के भविष्य पर इस भव्य विरासत के प्रभाव पर चर्चा करते हैं.'

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पूरे देश को संजोए हुए है फोटो गैलरी

महतास की फोटो गैलरी वास्तव में न केवल कश्मीर (Kashmir), बल्कि पूरे देश को संजोए हुए है. यहां महाराजा हरि सिंह, उनके शाही दरबार, उनके बेटे और राज्य के पहले रीजेंट कर्ण सिंह (Karan Singh), जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), इंदिरा गांधी, शेख अब्दुल्ला, वी.पी. सिंह (VP Singh), अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और कई अन्य लोगों के फोटोग्राफ मौजूद हैं. ये मेहता द्वारा शुरू किए गए स्टूडियो की ओर से ली गई मूल तस्वीरें हैं और इनमें कोई भी एडिटिंग नहीं की गई है. इसी तरह, उनके पास अलग-अलग समय पर ली गई अमरनाथ पवित्र गुफा की मूल तस्वीरें हैं. अनीता के दो बेटे अब दिल्ली में काम कर रहे हैं जबकि वह कश्मीर में पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. 2012 में, भारत सरकार ने स्टूडियो को देश के दूसरे सबसे पुराने फोटो स्टूडियो के रूप में मान्यता दी थी.

(इनपुट - आईएएनएस)

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