सत्यमेव जयते: सालों तक माना गया देश का 'गद्दार' अब मिला न्याय, पढ़ें एक वैज्ञानिक की दास्तां
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सत्यमेव जयते: सालों तक माना गया देश का 'गद्दार' अब मिला न्याय, पढ़ें एक वैज्ञानिक की दास्तां

पूर्व इसरो (ISRO) वैज्ञानिक को मिला एक दशक बाद न्याय, केरल मंत्रिमंडल ने 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दी 

फाइल फोटो

केरल : लम्बे समय से न्याय की गुहार लगा रहे इसरो वैज्ञानिक को आखिरकार न्याय मिल गया है. केरल सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को ढाई दशक पुराने जासूसी मामले के निपटारे के लिए 1.30 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया है. महान वैज्ञानिक को राज्य पुलिस के द्वारा फंसाया गया था. पिछले साल दिसंबर महीने में केरल मंत्रिमंडल ने पूर्व इसरो वैज्ञानिक को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी थी. 

  1. दशकों से देश ने माना गद्दार, न्याय के लिए लगते रहे कोर्ट का चक्कर 
  2. पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को ढाई दशक पुराने जासूसी मामले में मिला न्याय
  3. केरल सरकार ने 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी

नंबी नारायणन की उम्र 79 वर्ष है. नारायण का मामला तिरुवनंतपुरम में सत्र न्यायालय में 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज किया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था, इस मामले में उनकी गिरफ्तारी अनावश्यक थी और उन्हें फंसाया गया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये की अंतरिम राहत दी जाये. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे उचित मुआवजे के लिए निचली अदालत जा सकते हैं। इससे ठीक पहले, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी उन्हें 10 लाख रुपये की राहत देने का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार सख्त हुई थी. पूर्व मुख्य सचिव के जयकुमार को इस मामले को देखने और एक सटीक मुआवजा राशि तय करने की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद, अदालत के सामने सभी सुझाव प्रस्तुत किए गए और ये समझौता किया गया. 

रिपोर्ट के मुताबिक, मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नारायणन ने कहा कि 'मैं खुश हूं. मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है.मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी.'

दरअसल ये, इसरो जासूसी मामला दो वैज्ञानिकों और दो मालदीवियन महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा दुश्मन देशों को काउंटी के क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के कुछ गोपनीय दस्तावेजों और रहस्यों के हस्तांतरण के आरोप लगे थे. इसमें नंबी नारायण का भी नाम था. नंबी नारायणन के खिलाफ साल 1994 में दो कथित मालदीव के महिला खुफिया अधिकारियों को रक्षा विभाग से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगाया गया था.

उस समय में इस इस मामले की काफी चर्चा हुई थी. इस मामले पर अब तक कई किताबें भी लिखी जा चुकी है. इतना ही नहीं ,अभिनेता निर्देशक आर माधवन ने नारायणन पर एक बायोपिक भी बनाई, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण के साथ इन आरोपों के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। कोरोना वायरस महामारी के कारण फिल्म की रिलीज में देरी हुई है. महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन को पिछले साल पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. ये घटना इस बात को साबित करती है कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं.

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