राजस्थान के दौसा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में दो कारों के बीच हुई भिड़ंत में अभिनेत्री एवं सासंद हेमामालिनी को सर में मामूली चोट लगी और वह खतरे से बाहर है। हेमा अपनी मर्सिडीज से जयपुर जा रही थी। हादसा यकीनन भयावह था तभी अल्टो में बैठे एक बच्ची की जान चली गई।
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नई दिल्ली: राजस्थान के दौसा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में दो कारों के बीच हुई भिड़ंत में अभिनेत्री एवं सासंद हेमामालिनी को सर में मामूली चोट लगी और वह खतरे से बाहर है। हेमा अपनी मर्सिडीज से जयपुर जा रही थी। हादसा यकीनन भयावह था तभी अल्टो में बैठे एक बच्ची की जान चली गई।
लेकिन हेमा मालिनी इस हादसे में बाल बाल बच गईं। उसकी एक बड़ी वजह उनकी मर्सिडीज में लगे एयरबैग का सही समय पर खुलना है। यह एयरबैग महंगी गाड़ियों में सीट के आगे लगा होता है जो दुर्घटना या टक्कर की स्थिति में अपने आप खुल जाता है और सीट पर बैठे व्यक्ति को दुर्घटना से बचा लेता है। हेमा के दुर्घटना की स्थिति में यही एयरबैग ने उनको गंभीर रूप से चोटिल होने से बचा लिया। आजकल जो भी लक्जरी गाड़ियां होती है उनमें एयरबैग की सुविधा जरूर होती है। आपातकालीन परिस्थियों में यह एयरबैग सीट पर सवाल बैठे व्यक्ति की जान बचा लेता है।
ड्राइविंग के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से कार के एयरबैग का एक अहम रोल होता है। जिन कारों में एयरबैग लगे होते हैं, उनमें एक डाइग्नोस्टिक सिस्टम लगा होता है, जिन्हें SRS (Supplemental Restraint System) के नाम से जानते हैं। ये सिस्टम हमें बताता है कि हमारे कार में लगे एयरबैग ठीक तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं। जैसे ही आप अपनी कार स्टार्ट करते हैं, आपकी कार की मीटर में लगे SRS इंडिकेटर्स कुछ सेकेंड के लिए जल जाते हैं। अगर SRS इंडिकेटर कुछ सेकेंड्स के बाद ऑफ नहीं होते या फिर जलते रह जाते हैं तो इसका मतलब होता है कि आपके एयरबैग में कोई ना कोई दिक्कत जरूर है। इसलिए ड्राइवर कहीं भी जाने से पहले स्टार्ट कर इसकी जांच करते हैं कि यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं।
एयरबैग आपातकालीन परिस्थियों में खुद-ब-खुद खुल जाता है। जिससे सीट पर बैठे व्यक्ति की जान बच जाती है। हादसा भयानक होने की स्थिति में भी कार में बैठा व्यक्ति गंभीर रूप से चोटिल होने से बच जाता है। टक्कर या हादसे के बाद एयरबैग के खुलने की रफ्तार 322 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। जबकि हेमा की कार मर्सिडीज मुश्किल से 100 या 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही होगी। अब आप खुद समझ सकते हैं कि एयरबैग कितनी तेजी से खुलकर सीट पर बैठे व्यक्ति की जान बचाने में सक्षम होता है। एयरबैग को बनाते वक्त इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि गाड़ी में बैठे आदमी ने सीट बेल्ट लगा रखा हो। यह उसी हालत में काम करता है जब आपने सीट बेल्ट बांध रखी हो।