Kota School Controversy: इस प्राइवेट स्कूल की बुक में 'मम्‍मी-पापा' की जगह पढ़ाया जा रहा 'अम्‍मी-अब्‍बू', बिरयानी मांगी तो मचा बवाल
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Kota School Controversy: इस प्राइवेट स्कूल की बुक में 'मम्‍मी-पापा' की जगह पढ़ाया जा रहा 'अम्‍मी-अब्‍बू', बिरयानी मांगी तो मचा बवाल

Kota News: बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की आस में लोग उनका दाखिला प्राइवेट स्कूल में कराते हैं. ताकि वो अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें. लेकिन क्या होगा जब उन्हें पता चले कि वहां बच्चों के कोमल मन में ऐसी बातें भरी जा रही हैं जो उनके संस्कार, संस्कृति और जीवनशैली को धीरे-धीरे छीन रही हैं.

 

Controversial book

Kota School Controversial Syllabus: राजस्थान में शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर कोटा (Kota) से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां शिव ज्योति कान्वेंट स्कूल की दूसरी क्लास के सिलैबस में मौजूद कंटेट के जरिए शिक्षा के इस्लामीकरण करने (Islamization of Education) का आरोप लगा है. इस स्कूल में 6 से 7 साल के बच्चों के दिमाग में उनकी किताब में लिखे शब्दों का क्या असर पड़ रहा है जब ये बात उनके परिजनों को पता चली तो मानो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई.

बच्चों को पढ़ाया जा रहा अम्मी-अब्बू

इस प्राइवेट स्कूल की बुक में उर्दू के शब्दों का जितना इस्तेमाल हुआ है मानो ये किसी मदरसे की किताब हो. यही वजह है कि इसमें मौजूद उर्दू शब्दों की भरमार होने की वजह से बच्चों की आदतों में कुछ बदलाव आने लगा तो सच्चाई पता चलते ही बवाल मच गया. एक इंग्लिश मीडियम स्कूल की क्लास-2 की किताब में ऐसा सिलैबस है जिसके कंटेट की शिकायत शिक्षा विभाग से की गई है. इस किताब में नॉन मुस्लिम बच्चों को मंमी-पापा या मां और पिता जी की जगह अम्मी-अब्बू पढ़ाया जा रहा है. इसी तरह इस किताब में फारुक-बिरयानी जैसे कई शब्द हैं मानों यहां बच्चे सामान्य स्कूली शिक्षा न लेकर उर्दू भाषा का ज्ञान सीखने आए हों. 6 से 7 साल के मासूम बच्चों के दिमाग में बचपन से यहां जो भरा जा रहा है उसको लेकर शुरू हुआ विवाद बहुत आगे तक निकल गया है. 

किताब के कंटेट पर मचा बवाल  

जिन पैरेंट्स के बच्चों की आदतों में इस विवादास्पद सिलैबस वाली किताब की वजह से बदलाव आने लगा तो वेजिटेरियन परिवारों के बच्चे भी बिरयानी मांगने लगे. शुरु में जब कुछ बच्चों ने अपने पैरेंट्स को अम्मी-अब्बू कहा तो उन्हें लगा कि स्कूल में किसी मुस्लिम बच्चे के साथ पढ़ने की वजह से वो ऐसा कहने लगा होगा लेकिन जब उन्होंने बच्चों की सोच में अचानक हो रहे बदलाव की वजह को गहराई से तलाशा तो उन्हे सारा दोष इस निजी अंग्रेजी स्कूल की दूसरी क्लास की किताब में नजर आया.

हैदराबाद के पब्लिकेशन की किताब

परिजनों ने जब इस किताब के सारे पन्नों को कवर पेज से लेकर आखिरी तक खंगाला तो पता चला कि ऊर्दू शब्दों की भरमार वाली ये किताब एक हैदराबाद के पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित की गई है. अब ये किताब जीवन ज्योति स्कूल में क्यों पढ़ाई जा रही है इसको लेकर भी जांच की मांग की गई है. बच्चों के परिजनों ने पहले इस किताब को हिंदूवादी संगठन बजरंग दल के अधिकारियों को दिखाया. उसके बाद ये मामला शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया गया है. अब इस किताब के पन्नों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. बजरंग दल ने शिक्षा विभाग को दी शिकायत में शिक्षा के इस्लामीकरण के प्रयासों का आरोप लगाया है. वहीं बच्चों के परिजनों में भी खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है.

किताब के किस पन्ने में क्या लिखा है?

जिस अंग्रेजी ग्रामर की किताब को लेकर ये विवाद हो रहा है उसके पहले चैप्टर में उदाहरण के जरिए बच्चों को फादर को अब्बू, मदर को अम्मी बोलना सिखाया जा रहा है. इसके दूसरे चैप्टर में ग्रैंड फादर का नाम फारुख व बच्चे का नाम आमिर बताया गया है. तीसरे चैप्टर में जिराफ का नाम Hyena रखा है तो चौथे चैप्टर के पेज नंबर 20 पर बताया गया है कि पैरेंट्स किचन में हैं जो बिरयानी बना रहे हैं. छठे चैप्टर के पेज नंबर 46 पर शेर को शेरखान करके संबोधित किया गया है. पूरी किताब में इतने उर्दू शब्द लिखे हैं कि जिसने भी ये किताब पढ़ी वो ये देखकर हैरान रह गए.

वायरल हुआ एक-एक पन्ना

जबतक इस मामले की जानकारी बजरंग दल तक पहुंचती तब तक तो इस किताब के पन्ने इंटरनेट की दुनिया में वायरल होने लगे थे. हालांकि इसके बाद कुछ परिजनों ने बजरंग दल की हेल्पलाइन पर फोन करके किताब के कंटेट पर सवाल उठाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. 

बजरंग दल का आरोप

बजरंग दल के अधिकारियों ने कहा, 'इस किताब से साबित होता है कि छोटे-छोटे बच्चों को बचपन से इस्लाम की जानकारी दी जा रही है. किताब के जरिए संदेश दिया गया कि बच्चों के इस्लामिक नाम रखने चाहिए. बच्चों को इस्लामिक भोजन खिलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. बच्चे माता-पिता को अब्बू-अम्मी कहने लगे हैं. घर पर बिरयानी बनाने के लिए बोल रहे हैं. इससे पूरे हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई हैं. इसलिए शिक्षा विभाग को फौरन इस तरह की सभी किताबों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.'

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