भोपाल के रहने वाले वाले अमिताभ सोनी ने लंदन में इंजीनियर की नौकरी केवल इसलिए छोड़ दी, ताकि वे आदिवासी लोगों का भविष्य सुधार सके और पिछले पांच सालों में उन्होंने केकड़िया गांव के आदिवासियों को हाईटेक बना दिया है.
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भोपालः अगर किसी की नौकरी लग जाए तो यह उसके जीवन के लिए बड़ी उपलब्धि होती है. लेकिन कोई अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर दूसरों का जीवन सवांरने में जुट जाए, ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. लेकिन हम आपको एक ऐसी ही एक शख्सियत से रूबरू कराने जा रहे है. इस शख्स का नाम है अमिताभ सोनी जो लंदन में अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर आदिवासी बच्चों का भविष्य बनाने में जुटे हैं. जिनके चलते केकड़िया गांव की तस्वीर बदल गयी.
10 सालों तक लंदन में रहे फिर, वतन वापसी
भोपाल के रहने वाले अमिताभ सोनी के पिता आर्मी ऑफिसर थे. बचपन से ही पढ़ाई में होनहार अमिताभ ने इंटरनेशनल बिजनेस में इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की. जिसके बाद वे एक बड़ी कंपनी में नौकरी करने लिए लंदन चले गए और करीब 10 साल तक लंदन में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार की संस्था सोशल वेलफेयर भी में काम किया. लेकिन यहां अमिताभ का मन नहीं लगा और वे वापस अपने देश लौट आए.
केकड़िया गांव की बदली तस्वीर
भोपाल लौटने के बाद अमिताभ सोनी ने कुछ अलग करने का मन बनाया, पिता के आर्मी में होने की वजह से वे कई जगहों पर रहे इस दौरान उन्होंने आदिवासी लोगों को करीब से जाना. जिसके बाद उन्होंने एक ऐसे गांव की तलाश की, जहां सिर्फ आदिवासी लोग रहते हों और ऐसा गांव उन्हें राजधानी भोपाल के पास ही मिल गया. जब अमिताभ सोनी केकड़िया गांव पहुंचे तो यहां बिजली, पानी, शिक्षा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का आभाव था. जिसके बाद अमिताभ सोनी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इस गांव की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया और पिछले 5 सालों में वह कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
स्कूल की कराई मरम्मत, कंप्यूटर की भी शुरू हुई पढ़ाई
अमिताभ ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर फंड जुटाया और सबसे पहले केकड़िया गांव के स्कूल की मरम्मत कराई और स्कूल में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई, क्लासरूम को ऐसे तैयार किया, जैसे किसी निजी स्कूल का क्लासरूम हो. स्कूल तैयार होने के बाद उन्होंने सबसे पहले गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. जबकि गांव के ही सामुदायिक भवन में एक आईटी लैब बनवाई जिसमें कंप्यूटर रखे गए और बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देना भी शुरू कर दिया. इन कंप्यूटरों को चलाने के लिए एक सोलर प्लांट भी बनाया. अमिताभ की मेहनत रंग लाने लगी और अब तक पढ़ाई से दूर भागने वाले बच्चें अब खुद स्कूल पहुंचने लगे.
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500 लोगों को बनाया शिक्षित
1200 लोगों की आबादी वाले केकड़िया गांव में कोई महज गिनती के लोग ही शिक्षित थे. लेकिन अमिताभ सोनी के प्रयासों से गांव की तस्वीर बदलनी शुरू हो गयी. आज इस गांव में करीब 500 लोग शिक्षित है. यहां के आदिवासी बच्चे न केवल हिंदी बल्कि अंग्रेजी पर भी कमांड बना रहे हैं. खास बात यह है कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए बच्चों की फीस भी अमिताभ ही भरते हैं.
दुबई से लगती है ऑनलाइन क्लास
अमिताभ सोनी की मदद से केकड़िया गांव में दुबई से भी ऑनलाइन क्लासेस लग रही है. जिसमें योगा इंग्लिश और मोटिवेशनल क्लासेस लगाकार बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसके अलावा यहां की एक युवा साइकिल चलाने में काफी माहिर है. पुरानी साइकिल से एक रेस जीतने के बाद अमिताभ सोनी और गांव वालों की मदद से इस युवक को गियर वाली 50,000 कीमत की साइकिल उपलब्ध कराई गई और अगली की रेस में युवा फर्स्ट आ गया.
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गांव में पानी उपलब्ध कराया
केकड़िया गांव में पानी की भी बहुत समस्या थी. लिहाजा अमिताभ सोनी और उनकी टीम इस गांव की पुरानी बावड़ी को कुआं बनाने की कवायद में जुट गए हैं. गांव के लोगों की मदद से ही इस कुएं को बनाया जा रहा है. ताकि गांव में पानी की समस्या भी दूर हो जाए.
केकड़िया गांव के ग्रामीण भी खुश
अमिताभ सोनी के इन प्रयासों से केकड़ियां गांव के ग्रामीण बेहद खुश नजर आते हैं. उनका कहना है कि जो काम सालों तक गांव में नहीं हो सका वह अमिताभ की मेहनत से कुछ सालों में हो गया. आज उनके बच्चें अच्छी शिक्षा ले रहे है और मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
आदिवासी वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ना ही अमिताभ सोनी लक्ष्य
अमिताभ सोनी का कहना है कि वह बचपन से ही आदिवासी वर्ग के लिए काम करना चाहते थे. क्योंकि ये लोग भोले और ईमानदार रहते है. उनकी एक अभेद्द नाम की गैर सरकारी संस्था भी चलती है, जिसका उद्देश्य आदिवासियों को जिंदगी को बेहतर बनाने का है. वे अपनी ही इसी मुहिम में पिछले कई सालों से जुटे हुए हैं.
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