MP Election: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अब 48 घंटे से भी कम का समय बचा है. आखिरी वक्त में सचिन पायलट की भी एंट्री हो गई है.
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MP Election: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आखिरी वक्त में प्रचार तेज हो गया है. कांग्रेस और बीजेपी के स्टार प्रचारक धुंआधार प्रचार में जुट गए हैं. खास बात यह है कि कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो अब तक मोर्चा संभाल ही रखा था, लेकिन आखिरी वक्त में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की भी एंट्री हो गई है. पायलट इस बार भी मालवा-निमाड़ बेल्ट में प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं. पायलट इस बेल्ट में इतनी अहम भूमिका क्यों निभाते हैं, इसकी कई वजहें हैं.
सोनकच्छ में करेंगे सभा
सचिन पायलट देवास जिले के सोनकच्छ में कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन सिंह वर्मा के समर्थन में सभा करेंगे. खास बात यह है कि पायलट को आखिरी वक्त में प्रचार के लिए उतारा गया है. राजस्थान से आने वाले पालयट हमेशा मालवा-निमाड़ में बड़ा रोल अदा करते आए हैं. बता दें कि सोनकच्छ सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है, कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन सिंह वर्मा यहां से कई चुनाव जीत चुके हैं. इस बार बीजेपी
इस वजह से सचिन खास
दरअसल, मालवा-निमाड़ अंचल में सचिन पायलट का प्रचार कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहता है. पायलट गुर्जर समाज से आते हैं. मालवा-निमाड़ की कई सीटों पर यह वर्ग निर्णायक भूमिका में होता है. खास तौर पर राजस्थान से लगने वाले एरिया में ऐसे में सचिन पायलट कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए भी उपयोगी साबित होते हैं. ऐसे में कांग्रेस यहां जातिगत समीकरण को साधकर चल रही है. सचिन पायलट ने इससे पहले के चुनावों में भी लगातार प्रचार किया है.
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दिग्गजों ने लगाया जोर
सचिन पायलट ने 2020 में हुए मध्य प्रदेश के उपचुनावों में भी पार्टी के लिए प्रचार किया था. जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला था. सचिन पायलट के अलावा राहुल और प्रियंका गांधी भी लगातार मैदान संभाल रही हैं, जबकि खड़गे भी कई सीटों पर ताकत झोंक चुके हैं. इसके अलावा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी मालवा निमाड़ में एक्टिव हैं. दिग्विजय भी पहली बार प्रचार में जुटे हुए हैं.
किंगमेकर हैं मालवा-निमाड़
मालवा-निमाड़ में प्रदेश की 66 विधानसभा सीटें आती हैं, ऐसे में जो इस अंचल में ज्यादा सीटें जीतता है, उसके सत्ता में आने के चांस ज्यादा बढ़ जाते हैं. 2018 में बीजेपी ने यहां 28 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस 35 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. ऐसे में कांग्रेस की सरकार में भी वापसी हुई थी. यही वजह है कि कांग्रेस यहां पूरा जोर लगा रही है.
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