भोपाल गैस कांड की 32वीं बरसी : पीड़ितों ने निकाली रैली
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भोपाल गैस कांड की 32वीं बरसी : पीड़ितों ने निकाली रैली

विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड की 32वीं बरसी के मौके पर गैस पीड़ितों के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों ने शनिवार को यहां बंद पड़े युनियन कार्बाइड कारखाने तक रैली निकाली। रैली के अंत में विरोध स्वरूप अमेरिकी झंडे और अमेरिकी प्रशासन, सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुतले का दहन किया।

फाइल फोटो

भोपाल : विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड की 32वीं बरसी के मौके पर गैस पीड़ितों के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों ने शनिवार को यहां बंद पड़े युनियन कार्बाइड कारखाने तक रैली निकाली। रैली के अंत में विरोध स्वरूप अमेरिकी झंडे और अमेरिकी प्रशासन, सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुतले का दहन किया।

इसके साथ ही इन संगठनों (एनजीओ) ने इस अवसर पर दो बहुराष्ट्रीय कंपनियों डॉव केमीकल और यूनियन कार्बाइड के लोगो (चिन्ह) को भी जलाया।

प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी प्रशासन, दो अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, मोदी और चौहान पर अमानवीय होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंद बड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे से आसपास रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं।

अब्दुल जब्बार सहित इन एनजीओ के नेताओं ने अमेरिका, भारत और मध्यप्रदेश सरकार से मांग की है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पनाह देने और उनके साथ सांठगांठ बंद करें और पांच लाख गैस पीड़ितों के न्याय और इज्जत की जिंदगी सुनिश्चत करें।

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी और रचना ढींगरा ने बंद पड़े कार्बाइड कारखाने के बाहर प्रदर्शन के दौरान कहा, ‘हमने आज विरोध स्वरूप अमेरिकी झंडा, अमेरिकी प्रशासन का पुतला, और अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल के लोगो (चिन्ह) जलाये हैं। गैस त्रासदी के 32 सालों बाद भी इन्होंने गैस पीड़ितों की पीड़ा समाप्त करने के लिये कुछ नहीं किया है।’ भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, ‘बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे से आसपास रहने वाले लोग मर रहे हैं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।’ 

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘बंद हो चुके कारखाने के जहरीले कचरे से आसपास की रहने वाली बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है, क्योंकि जहरीले कचरे से प्रदूषित वर्षा जल जमीन के अंदर जाता है और यही जहरीला पानी पीने से यहां रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां और मौत हो रही हैं।’ उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाना यहां कीटनाशकों का निर्माण करता था। इसके 14 वर्ष के संचालन के दौरान कारखाने के परिसर में करीब 11 लाख टन जहरीला कचरा दफनाया गया। कारखाने का करीब 340 टन जहरीला कचरा अब भी परिसर में जमीन के उपर पड़ा है।

षडंगी ने कहा, ‘कारखाने के अंदर जहरीले कचरे और आस-पास भूजल के प्रदूषण की बात मध्यप्रदेश सरकार को 1991 से मालूम थी। परंतु प्रदेश सरकार ने डाव केमिकल से जहर सफाई और बंद हो चुके कारखाने के आसपास के रहवासियों के स्वास्थ्य को पहुंचे नुकसान का मुआवजा वसूलने के लिये आज तक डाव केमिकल के खिलाफ कोई कानूनी कदम नहीं उठाया है।’ 

उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड कंपनी ने वर्ष 2001 में एक और बहुराष्ट्रीय कंपनी डाव केमिकल को अपने साथ मिला लिया और अब वही कारखाने के आस-पास जहर सफाई के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 सालों में भोपाल जिला अदालत के द्वारा डॉव केमिकल के अधिकृत अधिकारी को अदालत में हाजिर होने के सम्बन्ध में 4 नोटिस जारी किए गए और उन सभी नोटिसों की कंपनी द्वारा अवहेलना की गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि अब यह कंपनी भोपाल की कानूनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए एक और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी ड्यूपॉन्ट से विलय कर रही है।

नामदेव ने कहा, ‘हत्यारे कारखाने को बसाने और चलाने में अमरीकी सरकार ने बहुत मदद जुटाई थी। अब अमरीकी सरकार भोपाल अदालत से डॉव के खिलाफ जारी नोटिस की तामीली न कराकर डॉव केमिकल और फरार यूनियन कार्बाइड को पनाह दे रही है। इस साल के एक महीने के अंदर 1,27,000 लोगों ने अमरीकी राष्ट्रपति के दफ्तर को न्याय मंत्रालय द्वारा डॉव केमिकल के खिलाफ नोटिस की तामीली के लिए लिखा और जवाब में हमें जानबूझ कर निष्क्रिय रहने का माफीनामा मिला।’ 

उन्होंने कहा, ‘इसलिए इस साल हम 32वीं बरसी पर डॉव केमीकल और ड्यूपॉन्ट कंपनियों के लोगो के साथ-साथ हमने अमरीकी झण्डे का भी दहन किया।’ भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री डॉव केमिकल के सीईओ एंड्रयू लिवेरिस को भोज पर बुलाकर उनके मेनू पर विशेष ध्यान देते हैं। लेकिन उन्हें गैस पीड़ितों के लिये उच्चतम न्यायालय में अतिरिक्त मुआवजे के लिये छह साल से लंबित सुधार याचिका के आंकड़ों में सुधार पर विचार करने के लिये कोई समय नहीं मिला है।’ 

डॉव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन की साफरीन खान ने गैस पीड़ितों के प्रति इसी प्रकार की चिंता व्यक्त की और अमेरिकी कंपनियों के प्रति क्रोध व्यक्त किया। भोपाल में वर्ष 1984 की 2 और 3 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस रिसने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे।

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