महामारी में MP सरकार ने खाद के दाम 1200 से 1900 किए, पुराना स्टॉक खरीदने किसानों ने लगाई भीड़
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महामारी में MP सरकार ने खाद के दाम 1200 से 1900 किए, पुराना स्टॉक खरीदने किसानों ने लगाई भीड़

किसानों ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार ने कसम खाई है कि पूरे देश में ऐसी ही लाइन लगाकर किसानों को परेशान किया जाए.

प्रतीकात्मक तस्वीर

रायसेनः कोरोना महामारी में लोगों की समस्याएं वैसे ही कम नहीं, ऐसे में तूफान और बेमौसम बारिश ने किसानों की परेशानियां बढ़ाने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी. बरसात शुरू होने से पहले किसानों ने खाद, बीज से लेकर खेती में उपयोग होने वाली जरूरी चीजों की खरीदी शुरू कर दी है. लेकिन इस दौरान रायसेन जिले में डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए किसान खाद खरीदी के लिए जमा हो गए. इस दौरान खाद के भाव बढ़ने पर उन्होंने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.

सरकार पर लगाए भाव बढ़ाने के आरोप
कतारों में खड़े किसानों ने केंद्र व प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों ने कसम खाई है कि पूरे देश में ऐसी ही लाइन लगाकर किसानों को परेशान किया जाए. कुछ किसानों ने कहा कि पिछली सरकार डीएपी की कीमत 900 रुपए छोड़कर गई, जिसे शिवराज सरकार ने 1200 रुपए किया. अब इसे बढ़ाकर 1900 रुपए कर दिया गया है.

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डिस्टेंसिंग की उड़ीं धज्जियां
मामला रायसेन जिले के उदयपुरा से सामने आया, यहां खाद खरीदी के लिए किसान इकट्ठा हुए. वे फेडरेशन में डीएपी (खाद) खरीदने के लिए जान तक जोखिम में डाल रहे हैं. संक्रमण की दूसरी लहर के बीच खरीदार सुबह से डीएपी खरीदने के लिए टोकन प्राप्त करने के लिए लंबी लाइनों में खड़े हो रहे हैं.

रोज मरने से अच्छा है एक बार में मर जाएं
मीडिया से बात करते हुए किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर किया, उन्होंने कहा कि या तो ये सरकार चली जाए या फिर उन्हें ही कोरोना हो जाए और वो इस दुनिया से चले जाएं. किसानों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि इस सरकार के कारण रोज-रोज मरना पड़ रहा है. उससे तो अच्छा है कि इन कतारों में लगे हुए उन्हें कोरोना हो जाए और एक ही बार में उनकी जान चली जाए.

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इस कारण लगी भीड़
दरअसल, पूरा मामला डीएपी खाद की नई कीमतों से जुड़ा है. 1200 रुपए में मिलने वाले डीएपी की कीमत अब 1900 रुपए हो चुकी है. लेकिन कुछ दुकानों पर पुराना स्टॉक रखा है, जिसे दुकानदार खत्म कर रहे हैं. उसी की जानकारी किसानों को लगी और वे बड़ी संख्या में दुकानों पर एकत्रित हो गए. इन्हीं बढ़ती कीमतों के कारण किसानों का गुस्सा भी बढ़ा हुआ है.

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